drshyam jagaran blog
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कौन करता है साजिश ये बार बार |
कभी बागों में सडकों पे ‘मरकज़’ से यार |
हम तो बैठे हैं बंद दरीचों को किये हरसू
कौन हर वक्त अनुशासन करे तार तार |
बो रहे आज जो विष बीज औरों के लिए ,
देखिये कल खुद रोयेंगे वही जार जार |
द्रोह जो देश-समाज से आज कर रहे ,
बाज आयें, बच न पायेंगे श्याम हर बार |
या खुदा उन्हें भी कुछ अक्ल दे दे उधार |
कर रहे आज जो साज़िश ये बार बार ||
नोट : यह लेखक के निजी विचार हैं और इसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार हैं।
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