Menu
blogid : 16095 postid : 1343847

नज़्म : साज़िश ये बार बार

drshyam jagaran blog
drshyam jagaran blog
  • 132 Posts
  • 230 Comments

कौन करता है साजिश ये बार बार |
कभी बागों में सडकों पे ‘मरकज़’ से यार |

 

हम तो बैठे हैं बंद दरीचों को किये हरसू
कौन हर वक्त अनुशासन करे तार तार |

 

बो रहे आज जो विष बीज औरों के लिए ,
देखिये कल खुद रोयेंगे वही जार जार |

 

द्रोह जो देश-समाज से आज कर रहे ,
बाज आयें, बच न पायेंगे श्याम हर बार |

 

या खुदा उन्हें भी कुछ अक्ल दे दे उधार |
कर रहे आज जो साज़िश ये बार बार ||

 

 

 

 

नोट : यह लेखक के निजी विचार हैं और इसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार हैं।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh