drshyam jagaran blog
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क्यों हर बार बात उसी ज़मात से उछलती है ,
क्यों ये लपटें सदा दिल्ली से ही निकलती है |
छोड़ दो अहं को कि हम पे कोरोना नहीं आयेगा ,
जब कहर ढाएगा तुम्हारा नाम भी मिट जायगा |
वक्त रहते संभल जाओ ए ज़मात वालो ,
ज़िक्र भी नहीं रहेगा तुम्हारा दास्तानों में|
करते नहीं बस वक्तव्य देते हैं टीवी पे वो ,
नाकारों को कुर्सी सौंपने का हश्र यही होता है|
नोट : यह लेखक के निजी विचार हैं और इसके लिए वह स्वयं उत्तरदायी हैं।
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