Menu
blogid : 16095 postid : 1343797

धनि कश्यप जस धुजा

drshyam jagaran blog
drshyam jagaran blog
  • 132 Posts
  • 230 Comments

सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी असफाक उल्लाह ने कहा था—-मेरा हिंदूकुश हुआ हिन्दू कुश ( हिन्दुओं की ह्त्या करने वाला )…|

क्या होगया है दुनिया के स्वर्ग को | आज जो कश्मीर को अपना बता रहे हैं वह महर्षि कश्यप की भूमि है | हिंदूकुश पर्वत श्रृंखला से कश्मीर की पर्वत श्रृंखलाएं प्रारम्भ होती हैं | हिंदूकुश नाम से ही धरोहर का ज्ञान होजाता है, पर्वत, झीलों स्थानों के विभिन्न नाम भी संस्कृत के ही हैं |

 

 

पहले यह क्षेत्र भगवान् शिव व सती का क्रीड़ाक्षेत्र था इसे ‘सतीसर’ कहते थे। महामाया, आदिशक्ति का क्षेत्र | यहां सरोवर में सती भगवती नाव में विहार करती थीं। इसी बीच सर में स्थित जलोद्भव नामक राक्षस ने ब्रह्मा के वरदान से आतंक फैला रखा था जिसे कश्यप ऋषि मारना चाहते थे। वे तपस्या करने लगे। देवताओँ के आग्रह पर पक्षी रूप मेँ भगवती ने (सारिका पक्षी) चोंच में पत्थर रखकर राक्षस को मारा था। राक्षस मर गया। वह पत्थर हरी पर्वत हो गया। महर्षि कश्यप ने सर का जल निकालकर इस स्थान को बसाया अतः यह कश्मीर कहलाया | कश्यप पुत्र नीलनाग ने कश्मीर को बसाया | कश्यप ऋषि के नाम पर ही कश्यप सागर (कैस्पियन सागर) और कश्मीर का प्राचीन नाम हुआ।

कैस्पियन सागर से लेकर कश्मीर तक ऋषि कश्यप के कुल के लोगों का राज फैला हुआ था। कश्मीर के राजा अपने नाम के आगे आदित्य लगाते थे, वे सूर्यवंशी थे | ललितादित्य इस क्षेत्र के सुप्रसिद्ध शासक थे | महाराज ललितादित्य एवं कश्मीर के वैभव का वर्णन कल्हण के प्रसिद्ध ग्रन्थ राजतरंगिणी में है | मैथिलीशरण गुप्त जी ने भी कश्मीर के लिए लिखा है
“धनि कश्यप जस धुजा,
विश्वमोहिनि मन भावन”
लगता है जलोद्भव दैत्य का पुनः उद्भव होगया है और उच्छेद हेतु आदिशक्ति की कृपा से किसी कश्यप मुनि की आवश्यकता है |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh