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तुमने मुझे पसंद किया जब मैं कुछ रोज़ का ही था
अच्छे से पालने में बिठा कर, अपने कलेजे से लगाकर ले गये थे
तुम्हारी तरह अस्सी बरस तक जी नहीं सकता
मैं ज़्यादा से ज़्यादा दस पंद्रह तक साथ हूँ
मुझे भी दुःख होगा तुमसे बिछड़ने का
मेरी कुछ बातें याद रखना
मैं सुन तो सकता हूँ
लेकिन तुम्हारी आवाज़ में बोल नहीं सकता
मैं बेज़ुबान हूँ
मैं समझ सकता हूँ
तुम्हे धैर्य रखना पड़ेगा
मुझे ज़्यादा गर्मी और धूप में मत रखना
मेरा सर्दी में थोड़ा ख्याल भी रखना
मुझे भी पसंद में बाग़ बगीचों में घूमना
मुझे भी पसंद हैं छोटी गेंद से खेलना
मुझे भी पसंद उन झूलों में बच्चों के आगे पीछे दौड़ना
मुझे साथ लेकर जाना, तुम्हें भी अच्छा लगेगा
मैं हर शाम तुम्हारी कदमों की आहट सुनकर दरवाजै पर दौड़ा चला आऊंगा
बिना तुम्हारे बोले तुम्हारे सीने से लिपट जाऊँगा
सिर्फ एक दिन के लिये नहीं
जैसे एक माँ अपने बेटे का
जैसे एक बहन अपने भाई का
जैसे एक पत्नी अपनी पति का
रोज़ इंतज़ार करती हैं
वैसे ही या इससे ज़्यादा बेसब्री से तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा
मुझसे कभी नाराज़ मत होना,
मुझे कभी मारना मत
मेरा परिवार तो छूट गया
सबसे मेरा नाता टूट गया
अब मैं तुम्हारा हूँ
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