दिल की बातें दिल से
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तुम्हारी याद जब मुझको सताती है अकेले में।
हमारे दिल की धड़कन गुनगुनाती है अकेले में॥
खुले हैं दिल के दरवाजे ,
मोहब्बत आज भी तुमको बुलाती है अकेले में॥
तेरे रुख़सार की रंगत दहक होठों के शोलों की,
वो मस्ती आँख की पागल बनाती है अकेले में॥
मुझे अब चैन से सोने नहीं देती वो रातों को,
मेरे ख़्वाबों में आ आ कर जगाती है अकेले में॥
वो खोयी खोयी रहती है लुटाकर प्यार में सब कुछ,
किसी का नाम लिख लिख कर मिटाती है अकेले में॥
अँधेरी रात बारिश बिजलियां तूफ़ान है फिर भी,
जला के प्यार की शमआ वो आती है अकेले में॥
मोहब्बत है गज़ब उसकी शरारत भी निराली है,
बड़ी शिद्दत से वो सब कुछ निभाती है अकेले में॥
तेरे ईमेल पिक्चर और मैसेज साथ हैं “सूरज”,
तेरी मिस कॉल मुझको अब भी आती है अकेले में॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”
*चित्र गूगल से साभार
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