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टॉन्सिलाइटिस से ऐसे राहत पाएं

Ayurvigyan with Dr.Swastik
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tonsilमौसम बदलते ही गले में खराश होना आम बात है। इसमें गले में कांटे जैसी चुभन, खिचखिच और बोलने में तकलीफ जैसी समस्याएं आती हैं। सामान्यतः लोग गले की खराश को छोटी बात समझ कर उसे अनदेखा कर देते हैं। लेकिन गले की किसी भी परेशानी को ऐसे ही नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ये गंभीर बीमारी बन सकती है।

क्या है टॉन्सिल्सpediatrics_tonsillitis 3

टॉन्सिल्स  गले के दोनों तरफ पाए जाने वाले बादाम के आकार के अंग हैं। यह शरीर के सिक्युरिटी गार्ड के रूप में कार्य करते हैं जो कीटाणुओं, बैक्टीरिया और वायरस को हमारे गले में जाने से रोकते हैं । ये बाहर से आने वाले किसी भी रोग को हमारे शरीर में अंदर आने से रोकते हैं और बाहर के इन्फेक्शन से हमारी रक्षा करते हैं। अगर टॉन्सिल मजबूत होंगे तो वे बीमारी को शरीर में आने से तो रोकेंगे ही, साथ ही खुद भी उस इन्फेक्शन से बच जाएंगे। जब ये टॉन्सिल्स खुद ही संक्रमित हो जाते हैं, तो इन्हें टॉन्सिलाइटिस कहते हैं। इसमें गले के अंदर के दोनों तरफ के टॉन्सिल्स गुलाबी व लाल रंग के दिखाई पडते हैं। ये थोड़े बड़े और ज्यादा लाल होते हैं। कई बार इन पर सफेद चकत्ते या पस भी दिखाई देता है। टॉन्सिलाइटिस की समस्या यदि लगातार बनी रहे तो इसे ठीक नहीं माना जाता है।

कितनी तरह का होता है

Dr.Swastik Jain1) Bacterial Infection

2) Viral Infection

Bacterial Infection:

यह इन्फेक्शन Staphylococcus aureus, Streptococcus pyogenes, Haemophilus influenzae के इन्फेक्शन से होता है, ।

Viral Infection:

यह इन्फेक्शन Reovirus, Adenovirus, Influenza virus के अटैक से होता है।

कुछ रोगियों में दवाईयां खाने के बाद कुछ दिनों के लिए तो टॉन्सिलाइटिस ठीक हो जाता है लेकिन वो पूरी तरह ठीक नहीं होता है। उन्हें बार-बार टॉन्सिलाइटिस होता है और सांस लेने में भी तकलीफ होती है।

किस मौसम में होता है

वैसे तो टॉन्सिलाइटिस इन्फेक्शन पूरे वर्ष में कभी भी हो सकता है लेकिन मौसम बदलने के दौरान खतरा ज्यादा रहता है। इन महीनों में बहुत ठंडा-गरम, तीखा आदि न खाएं तो टॉन्सिलाइटिस से बच सकते हैं।

किस उम्र मेंखतरा ज्यादा

यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है, लेकिन 14 साल से कम उम्र में इसका खतरा ज्यादा होता है।

कैसे होता हैswastik jain

1.बहुत तेज गर्म खाना खाने से
2.प्रदूषण, धूल-मिट्टी आदि से
3.इम्यून सिस्टम (बीमारियों से लड़ने की क्षमता) कमजोर होने पर
4.ज्यादा मिर्च-मसाले वाला तीखा और तला-भुना खाना खाने से
5.पेट खराब होने से गैस या कब्ज की लगातार शिकायत रहने पर
6.बहुत ज्यादा ठंडा खाने या पीने से, जैसे एकदम ठंडी आइसक्रीम या कोल्ड ड्रिंक

लक्षणswastik suresh

1.तेज बुखार
2.थकान
3.कान दर्द
4.आवाज में बदलाव और भारीपन
5.टॉन्सिल्स सूज जाना
6.गले के बाहर सूजन
7.गले में दर्द और सूजन
8.खाने-पीने और निगलने में परेशानी

सामान्य उपचारDr.Swastik Suresh

अधिकाँश चिकित्सक निम्न उपचार अपनाते हैं-

1.अगर बुखार न हो तो मरीज को बुखार की दवा नहीं देते हैं।
2.गले में दर्द के लिए सिर्फ गरारे करवाते हैं।
3.गले में दर्द के लिए गुनगुने पानी में नमक डालकर मरीज को उसके गरारे करने की सलाह।
4.अगर टॉन्सिलाइटिस बैक्टीरियल इन्फेक्शन से हुआ है तो पैरासिटामॉल और गरारों के साथ एंटी-बायोटिक दवाओं की सलाह।
5.६-७ दिनों में रोगी को आराम हो जाता है और १२-१४ दिनों अधिकाँश रोगी पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।
6.कई बार रोगी दवाईयां लेना शुरू तो करते हैं पर थोड़ा आराम मिलते ही दवाईयां बंद कर देते हैं। इससे फिर से रोग बढ़ने का ख़तरा बना रहता है। रोगियों को तब तक दवाईयां लेनी चाहिए जब तक पूरा कोर्स न ख़त्म हो जाए।

ऑपरेशनकी सलाह-

– अगर साल में तीन से चार बार टॉन्सिलाइटिस हो जाय।

– अगर मरीज को बोलने, खाना निगलने में बहुत ज्यादा दिक्कत होने लगे ।

आयुष उपचार

1.२ ग्राम मुलेठी चूर्ण को आधा चम्मच शहद में मिलाकर खाएं। रोजाना रात को महीने भर खाएं।
2.गाजर के रस का छोटा गिलास दो तीन महीने तक पीयें।
3.5 पत्ते काली मिर्च, 5 पत्ते तुलसी, 2 ग्राम अदरक को 1 कप पानी में उबालें। फिर छानकर पानी को पी लें। इसमें आधा चम्मच चीनी और आधा चम्मच चाय पत्ती डालकर भी उबाल सकते हैं। महीने भर पिएं। रात को पीकर सोएं और इसे पीने के बाद कुछ खाएं-पिएं नहीं।
4.१ ग्राम हल्दी पाउडर को एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर पिएं। हल्दी हमारे शरीर को इन्फेक्शन से बचाती है। रोज रात को सोने से पहले महीने भर पिएं।
5.हमेशा साबुन से हाथ धोकर ही खाना खाएं।

इम्युनिटी कैसे बढ़ाएं

1.ताजा हवा में टहलें।
2.सादा भोजन लें।
3.खूब पानी पिएं।
4.रोजाना आधा घंटा व्यायाम करें
5.ताजे फल, हरी सब्जियां, दालें खूब खाएं
6.खाने को फ्रिज में रखने के बाद उसे बार-बार गर्म न करें। इससे खाने के पोषक तत्व कम होते हैं और इम्युनिटी पर भी बुरा असर पड़ता है।
7.करीब 15 पत्ते तुलसी, 15 पत्ते पुदीने और 50 ग्राम अदरक को ४०० ml पानी में उबालें। पानी को तब तक उबालें, जब तक वह कुल पानी का एक-चौथाई न रह जाएं। इसके बाद पानी को छान लें और उसमें पडे़ तुलसी और पुदीने के पत्तों और अदरक को भी पानी में निचोड़ लें। फिर उसमें शहद मिलाकर पिएं। इसे १५ दिनों तक 3 से 4 बार पिएं। यह उपाय उन लोगों के लिए विशेष लाभदायक है, जिन्हें टॉन्सिलाइटिस बढ़ने पर ऑपरेशन की सलाह दी गयी है।

योग चिकित्सा-

कुंजल- सुबह ५००-७०० ml पानी उबालें, गुनगुना होने पर उसमें साधारण नमक मिलाएं। उकडू होकर बैठ जाएं और पानी पिएं। जितनी आपकी क्षमता हो पानी उतना ही पिएं । जब पानी गले तक आ जाए और उलटी आने को हो तो खडे़ हो जाएं। अब आगे झुककर उलटे हाथ को बायीं तरफ पेट पर रखें और पेट को हल्का दबाएं और सीधे हाथ की बीच की उंगली से मुंह में उलटी लटकी जीभ को टच करें। ऐसा करने से उलटी होगी। ऐसा तब तक करें, जब तक सारा पानी उलटी के जरिए बाहर न निकल जाए और सूखी उलटी न आने लगे। इसके आधे घंटे बाद एक गिलास गुनगुना दूध पिएं।

– पहले 7 दिन प्रतिदिन करें

– फिर 7 दिन में दो बार करें

– उसके बाद 7 दिन में 1 बार करें

सावधानी : यह क्रिया सुबह खाली पेट करनी है और इस दौरान हाथ साफ हों और नाखून कटे हों। साथ ही जब टॉन्सिल बढे़ हुए हों, उनमें सूजन हो, लाल रंग के हो, बहुत दर्द हो या तेज बुखार हो तो यह क्रिया न करें। इस क्रिया को किसी अच्छे योग शिक्षक के प्रशिक्षण में ही करें।

जनहित में ये जानकारी शेयर करें .

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्

शेष अगली पोस्ट में…..

प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में,

आपका अपना,

डॉ.स्वास्तिक

चिकित्सा अधिकारी

( आयुष विभाग , उत्तराखंड शासन )

(निःशुल्क चिकित्सा परामर्श, जन स्वास्थ्य के लिए सुझावों तथा अन्य मुद्दों के लिए लेखक से drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है )

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