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दर्दे दिल की दास्तां

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सब कुछ लुट चुका है, अब और मत लूट ऐ जिंदगी;
कतरा-कतरा बह गया, अब और मत बहा ऐ जिंदगी।
अपने ही पराये हो गये, रिश्ते बन गये राजनीति,
सम्बंध बन गये व्यापार, अब और मत बेच ऐ जिंदगी।

यहां कौन दोस्त, कौन दुश्मन, जानता नहीं कोई;
गद्दारों को अब और मत बुला हसने के लिये ऐ जिंदगीं।
कितने और इम्तहां और लेगी, तू मेरी जिंदगी,
यहां शह मात के खेल में बचा ही क्या ऐ जिंदगी।

ब्यार बहा दे प्यार की, जोड़ दे उजड़े दिलों को;
भोर कर दे प्यार का, अब और जुदा ना कर ऐ जिंदगी।
भूल-भुलय्या में खो गये आंख मिचोली करते-करते,
और खेल अपना प्रेम-प्यार का दि:खा ऐ जिंदगी।

चला दे प्रेम ब्यार, सुख सागर आगे करके,
जोड़ वही भगवान रिश्ते और मत डरा ऐ जिंदगी।

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