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लड़्कियॉ क्यौ जल्दी बूढी हो जाती है?

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चश्मे के नीचे से रोती थी,
चुभती, भारी, सिसकती ऑखै,
हंसते ही सब कुछ खो जाता है,
पलकौ के अंधेरॉ के अंदर।
सीखते हुये आटा, दाल, सिलायी, कढाई;
मेरे सारे रिश्ते‌‌ अम्मा, चाची, ताई,
बह जाती थी, आतीत के भटकते सायॉ मै।
पंद्रह साल की होते होते,
बन जाती थी एक बोझ,
और बॉध दी जाती हू,
एक अजनबी के पल्ले से,
मसालॉ का अर्थशास्त्र सीखते सीखते,
भूल गई जिंदगी का शास्त्र।
सब लिखते रह गये, बनाते रह गये,
दूल्हा और दुल्हन के बीच एक नया अर्थशास्त्र।
चिता पर लेटे मॉ बाप की जायदाद और्
आल्मारी के अन्दर बंद खजाने की चिंता ने,
दबा दी थी बेटी की सिसकियॉ।
पिता से भी ज्यादा खामोश पति,
कसाई के जैसी लाल लाल ऑखॉ से,
आपने हिस्से की लूट के खजाने का
इंतजार मै पागल ।
और मै एक कटि गाय की तरह,
आपनी बेटी के स्कूल सजाते हुये,
आपनी बूढी यादॉ से,
उसे आटा, दाल, सिलायी, कढाई;
का गणित सिखाते सिखाते,
मै भी बूढी हो चलि हूं।
बूढे शाहरूख, आमिर, सलमान, सैफ,
आज भी जवान है,
और जवान मधुरी, रानी, तब्बू, काजोल,
आज बूढि हो जाती है।
आज तक नही जान सकी हू,
लड़्कियॉ क्यौ लडको से जल्दी,
बूढी हो जाती है?

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