Menu
blogid : 15605 postid : 1387025

डगमगाती बैकिंग व्यवस्था

VOICES
VOICES
  • 97 Posts
  • 16 Comments

राष्ट्र एवम समाज के निर्माण मै कुछ संस्थाओ का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान होता है। उन नामो मे शिक्षा, स्वास्थ, रक्षा, न्याय आदि प्रमुख है । आज के युग मे आब उनमे एक नाम और जुड़ गया है, और वह है‌‍, बँकिंग एवम बँक है। आज की व्यावस्था मे बँक जिवन का एक अंग बन गये है। नित्य के अनेक कार्य करने के लिये नागरिकॉ को बँक का सहारा लेना पड़्ता है।
परंतु दुर्भाग्य से हमारे देश मे इस आत्यंत महत्वपूर्ण अंग को बड़ी ही लापरवाही से लिया जाता है तथा बैकौ की कार्या प्रणाली को कोई भी गंभीरता से नही लेता है। सुधार आथवा रिफार्म के नाम पर वोट बैक को बैक की मार्फत कर्ज एवम धन लुटाने की परम्परा चल पड़ी है तथा कर्मचारियॉ को कार्य के बोझ तले दाब कर बंधुआ मजदूर मात्र बना कर डाल दिया गया है तथा उनका ट्रांसफर, प्रमोशन तथा पोस्टिंग के नाम पर जबरजस्त उत्पीड़न किया जाता है।

 

 

बैकिंग क्षेत्र मे अराजकता एवम कुप्रबंधन के लिये सभी जिम्मेदार है परंतु इसके लिये सबसे ज्यादा जिम्मेदार  मनमोहन सिंह एवम उनके द्वारा किये गये तथाकथित सुधार आथवा रिफार्म हैं। वर्तमान सरकार भी ड्।. मन मोहन सिंह के द्वारा प्रारम्भ किये गये दिशाहीन सुधारौ की अराजकता से बाहर ही नही आ रही है और ना ही इसके लिये कोई कोशिश ही कर रही है। इन्ही सुधारौ के कारण भारतीय बैंक आज धोकाधड़ी का बड़ा केंद्र बन गये हैं तथा जनता का बैंकौ से विशवास उठ्ता जा रहा है। बैंकौ की धोकधड़ी कोई नई बात नही है परंतु बड़े स्तर पर इसका प्रारम्भ डा. मन मोहन सिह पहली बार वित्तमंत्री बनने के बाद प्रारम्भ हुई थी जब हर्शद मेहता, केतन पारेख जैसे बड़े घोटालेबाजौ ने बैकौ को हजारौ करोड़ का चुना लगाया था। इसमे हर्शद मेहता की संदिग्ध हालातौ मे मृत्यु होने के साथ ही ममला एक दम ख्त्म हो गया था तथा डा.मन मोहन सिह इअतने बड़े घोटाले के बावजूद भी साफ बच निकले थे।

 

इन्ही सुधारौ के चलते, कारपोरट घरानौ, उधौग घरानौ, और व्यापारियौ, को अंधाधुंध आर्थिक एवम वित्तिय मदद की गयी जिनका उपयोग कम हुआ परंतु दुरुपयोग ज्यादा हुआ। इसके साथ ही साथ राजनेताऔ ने अपने वोट बँक पर धन लुटाना प्रारम्भ कर दिया। किसान, अनुसुचित जाति, जन जाते, मुसलमान, छात्र, आदि समुहौ पर धन लुटाना प्रारम्भ कर दिया तथा बाद मे वर्ग एवम साम्प्रदायिक तुश्टिकरण के कारण से ये सभी कर्ज माफ कर दिये गये। इन करणौ से राजनेताऔ, व्यापारियौ, उद्धयोग पतियौ, अधिकारियौ तथा वोटरौ का एक कुचक्र बन गया। इसमे बैक लुटते एवम डुबते चले गये तथा बैक का कर्मचारी, इन सबका एअक गुलाम बनकर सिर्फ पिटने के लिये एक गुलाम मोहरा मात्र बन कर रह जया।

वास्तम मे यह कार्य बैंक के कार्य नहीं हैं। बैंक आज रजनैतिक पार्टियॉ एवम रजनेताऑ के गुलाम मोहरा मात्र बन कर रह गये हैं। इस सारे खेल मै जनता का पैसा लुट रहा है तथा बैंक कर्मचारि पिस रहे हैं। विजय माल्या, नीरव मोदी, विडियोकोन, भूशण स्टील, एस्सार, केतन परिख, हर्शद मेहता, हसन अली, आदि ऐसे सैंकड़ौ ऐसे नाम है जोकि बैंकॉ का लाखॉ करोड़ लूटे ब बैठे हैं परंतु इनका कोई बाल भी बांका नहीं कर पाया। न्यायपालिका भी इन्हे तारीख पर तारीख देकर इनका बचाव ही करती रहती है।
आज बैंक अधिकारी दिल्ली, मुम्बाई, चेन्नाई आदि स्थनॉ पर बैठे, पांच सितारा जिवन के मजे लेते रहते हैं। उन्है वास्तविक बैंक कार्य प्रणाली का कोई ज्ञान ही नही होता है। वे सिर्फ अपने आका नेताऑ एवम अफसरौ की चापलूसी को ही बंकिंग मानते हैं। वे सिर्फ अपने अधीनस्त कर्मचारी का ट्रांसफर‌‌‌ – पोस्टिंग के धंधे के द्वारा, सिर्फ उनका उत्पीणन जनते हैं। ट्रानसफर का आतंक आज हर बैंक कर्मचारी को भय के साये मै जीने मजबूर करता है।

उच्च अधिकरियॉ का कार्य, करमचारी को देश के एक कोने से उठा कर दुसरे कोने मै फैकने तक ही उनकी बैंकिग एवम बैंकिंग ज्ञान सीमित रहता है। इसके अलावा वे हर कार्य मै जीरो होते हैं। इस ट्रांसफर‌‌‌ – पोस्टिंग के गोरख धंधे मै महिला कर्मचारियॉ का सबसे ज्यादा उत्पीणन होता है। इतना ही नही, अधिकांश बैंकॉ मै अनुभव प्रमाणपत्र भी नही दिये जाते हैं। कर्मचारियॉ को लगभग बारह – चॉदह घंटे कार्य करना होता है जिससे उनके स्वास्थेय पर नकारत्मक प्रभाव पड़ता है तथा उनकी परिवारिक जिंदगी भी नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। इसके साथ ही साथ बैंकॉ मै कर्मचारियॉकी पेंशन, मेडिकल, चाइल्ड केयर लीव आदि सुविधायै भी नही मिलती है।
इस सारे वर्णन से स्पश्ट है कि आज बैंकिंग व्यवस्था एकदम चरमराकर डूबने के कगार पर पहुंच गयी है। नेता,अधिकारी, उद्योगपति और वोट्बैंक मजे ले रहे हैं परंतु जनता और कर्मचारी लुट रहे हैं और पिट रहे हैं। बैंक की हालत मजबूत करने के लिये सरकार को कठोर उपाय करने होंगे। जिनमे से कुछ निम्म हो सकते हैं –

1- कर्जलेने वलॉ की सारी चल-अचल समपत्ति, बैंक के अधिन के दौरान ट्रांसफर होनी चहिये।
2- डिफालटर का नाम पब्लिक के लिये प्रसारित कर देना चाहिये तथा उसकी सारी चल – अचल सनपत्ति जब्त एवम कुर्क हो जानी चाहिये।
3- डिफालटर को पुनः व्यापार करने एवम सरकारी कार्य करने पर पाबंदी लगा देनी चहिये।
4- लोन एवम लीगल विभाग हर बैंक का अलग होना चाहिये जिसमे सिर्फ योग्य विषेशाज्ञ ही होने चाहीये।
5- कर्मचारियॉ का जल्दी – जल्दी ट्रंस्फर नही होना चहीये। उनको एक स्थान पर कम से कम दस वर्ष की पोस्टिंग मिलनी चाहीये जिससे वे निर्भीकता से बैंकॉ के लिये कार्य कर सकॅ। ट्रांसफर आस-पास ही उसी जिले मे होना चाहीये।
6- महिला कर्मचारियॉ का ट्रांस्फर – पोस्टिंग पति अथवा उनके परिवार के पास ही होनी चाहिये। ऐसा ना करने पर जिम्मेदारी तय करके दोषी अधिकारी को महिला उत्पीड़्न का दोषी मानते हुये कड़ी कर्यवाही होनी सुनिश्चित होनी चाहिये।
7- कर्मचारियॉ का उत्पीणन बंद होना चाहीये तथा उन्है पेंशन, मेडिकल, चाइल्ड केयर लीव, अनुभव प्रमाणपत्र आदि कि सुविधा एवम अधिकार होने चाहीये\।
8- कर्मचारियॉ की नियुक्ति स्थिर एवम परमानेंट होनी चाहिये। आउट – सोर्सिंग की भ्रष्ठ प्रथा का अंत होना चहिये।
9- लोन विषेश्ज्ञ, कानूनी विषेश्ज्ञ, वित्त विषेश्ज्ञ, कमप्यूटर विषेश्ज्ञ, ऑधॉगिक विषेश्ज्ञ, आदि हर बैंक मै होने चहीये।

Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh