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रोज़गार छीनते पर्यावरणविद!

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अभी कुछ समय पहले, पर्यावरण सुरक्षा के नाम पर, तामिलनाडु के टुटिकोरिन जिले के, वेदांता स्टर्लाइट कापर प्लानत मै एक बड़ा आंदोलन हुआ था। आन्दोलन ने हिंसक रूप धारण कर लिया तथा दंगो मे लगभग पंद्रह लोग मारे गये| इसके आलावा दंगाइयॉ ने सम्पत्ति को भी भारी नुकसान पहुँचाया। आंदोलन के कारण बड़ी संख्या मे लोगॉ को अपना रोजगार भी खोना पड़ा।

इस तरह के भी आरोप लग रहे हैं कि आंदोलन के पीछे विपक्षी दलॉ के साथ्-साथ, नक्सली अपराधी, चर्च, गैर सरकारी संगठन ( एन.जी.ओ.), वामपंथी आदी शक्तियॉ काम कर रही हैं। इनके आतंक के कारण प्लांट लम्बे समय तक बंद रह।

यह कोई पहला मुद्दा नही है। आज पर्यावरण मुद्दा एक बड़ा दुधारू मुद्दा बन गया है। पर्यावरण के नाम पर अनेक मंत्रालय काम कर रहे हैं। लगभग हर जिले एवम हर नगर मे पर्यावरण से जूड़े दर्जनॉ सरकारी एवम गैर सरकारी विभाग कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा पर्यावरण के नाम पर लाखॉ गैर सरकारी संगठन ( एन.जी.ओ.), लाखॉ एक्टिविस्ट, चर्च, नक्सली आदि कार्य कर रहे हैं। पर्यावरण आज एक फाइव स्टार गोरख धंधा बन गया है।

वैसे तो यह बहुत पुराना खेल है परंतु बड़े स्तर पर मेधा पाटेकर ने नर्मदा परियोजना के खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा करके, सारे राष्ट्र को बता दिया कि पर्यावरण एक फाइव स्टार मुद्दा है और मेधा पाटेकर रातॉ-रात स्टार बन गई। इस आंदोलन से जुड़े लोगॉ की चांदी बन गई परंतु क्षेत्र पिछड़्ता चला गया। नागरिक और किसान बूंद-बूंद पानी तो तरस गये तथा बड़ी संख्या मे लोगॉ के रोजगार के अवसर जाते रहे, जिसके कारण बड़ी संख्या मे लोगॉ का क्षेत्र से पलायन प्रारम्भ हो गया।

मेधा पाटेकर की कामयाबी के बाद पर्यावरण सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गया। इसके बाद इन तत्वॉ ने ताज महल को मुद्दा बनाया। ताज महल के पत्थर की सुरक्षा एवम सफेदी के नाम पर, इन तत्वॉ ने पुरे उत्तर प्रदेश मे, विषेश कर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश मे कोहराम मचा दिया और ताज महल के पत्थर की सुरक्षा एवम सफेदी के नाम पर लाखॉ उध्योगॉ को जबरन बंद करा दिया। जिससे लाखॉ लोगॉ का रोजगार छिन गया।

उदाहरण के लिये, खुर्जा का पौटरी उध्योग, ईट भट्टा उध्योग; अलीगढ़ का ताला, चाकू, कैंची, नट-बोल्ट उध्योग; फिरोज़ाबाद का शीशा-कांच, चूड़ी, बर्तन उध्योग, मुरादाबाद का पीतल-तांबा, बर्तन उध्योग; आगरा का फाउंद्री, डाई-कास्टिंग उध्योग; कानपुर का वस्त्र उध्योग, कोहलू-क्रशर उध्योग आदि सभी बंद हो गये। इसमे लाखॉ लोगॉ का रोज़गार रातॉ-रात ताज महल के पत्थर की सुरक्षा एवम सफेदी के नाम पर छिन गया। ओद्धोगिग़ उत्तर प्रदेश बीमारू एवम वाईल्ड उत्तर प्रदेश बन गया। अब यहॉ हत्या, आत्म्हात्या, अपहरण, सुपारी किलींग, फिरोती, हथियार तस्करी, भू-माफिया आदि नये उध्योग बन गये। रातॉ-रात मुस्लिम गैंग, भीम सेना, त्यागी गैंग, जाट गैंग, गुर्जर गैंग, भाटी गैंग, फौजी गैंग आदि अपराधी उध्योग पैदा हो गये।

पर्यावरण सुरक्षा के नाम पर दिल्ली मे भी हजारॉ उध्योग-धंधे जबरन बंद करा दिये गये। लाखॉ वाहनॉ को सड़क से हटा दिया गया। डिज़ल के वाहन एवम कम्पनियॉ, जनरेटर उध्योग, वाहन उध्योग, आदि बहुत बुरी तरह से खत्म किये गये। इन उध्योग से जुड़े लोग दो वक्त की रोटी के लिये तक तरस गये ।

ईसी तरह पर्यावरण सुरक्षा के नाम पर उत्तरांचल लगभग बरबाद हो चुका है। रोजगार के सारे अवसर खत्म हो गये हैं। वहॉ से बड़ी संख्या मे लोगॉ का पलायन हो रहा है जिस कारण हजारॉ गावॉ मे एक भी नागरिक नही बचा है। हजारॉ गांव भूत गांवबन चुके हैं।

स्थिति इतनी खरब है कि पर्यावरण सुरक्षा के नाम पर, सड़क निर्माड़ का कार्य भी पर्यावरण कार्यकरता रुकवा देते है। यहॉ तक कि नामी-गिरामी वकील रख कर न्यायालयॉ से निर्माड़ को रुकवा देते हैं। ये तत्व सरकारॉ को भी आसानी से डरा लेते हैं। यहॉ तक कि इनकी घोर विरोधी उमा भारती मंत्री बनने के बाद इन्ही की भाषा बोलने लगी हैं।

उत्तरांचल मे बनने वाले सैकड़ॉ बांधॉ पर काम रुका पड़ा है जिसके कारण सरकार एवम उद्ध्योगपतियॉ के हजारॉ करोड़ दूब गये हैं। अनेक बिजली परियोजनायै रूकी पड़ी हैं। इस कारण स्थानिय नागरिकॉ के रोजगार एकदम ख्त्म हो गये हैं और लोग भुखमरी के कगार पर आ गये हैं। इतना ही नही, इन पर्यावरणबिदॉ के कारण नदियॉ से रेत की खुदाई इवम खनन एक दम बंद करवा दिया गया है जिसके कारण नदियॉ की जल क्षमता एकदम खत्म हो गयी है जिसके कारण देश बाढ: की तबाही निरंतर  झेल रहा है। दूसरी ओर खनन रुक जाने से किसान और गरीबॉ का रोजगार एकदम छिन गया है।

पर्यावरणविदॉ की अराजकता के कारण आज सबसे खतरनाक मौत खेल सड़क निर्माण मे खेला जा रहा है। पर्यावण रक्षा के नाम पर, देशभर मे तार्कोल के प्लांट बंद करवा दिये हैं और अब सड़्क निर्माण का कार्य सीमैंट से हो रहा है जोकि भारत जैसे देश मै बहुत खतरे वाली सड़्क सिद्ध हो रही हैं। सिमेंट की सड़्कै अत्याधिक गर्म हो जाती हैं। जिससे घर्षण अथवा घिसने से टाय्रर भी अत्याधिक गरम होकर फट जाता है जिस कारण बड़ी संख्या मे सड़्क दुर्घटनाऐ हो रही हैं। अकेले आगरा एक्सप्रेस हाईवे पर इस कारण हजारॉ व्यक्ति मौत के मुह मे जा चुके हैं क्यॉकि आगरा हाइवे सिमेंट का बना हुआ है।

ये कुछ उदाहरण मात्र हैं। पर्यावरणविद, पर्यावरण कर्याकर्ता आदि आज राष्ट्र के विकास एवम रोजगार स्रजन मे बड़ी बाधा बन गये हैं। उनकी गतिविधियॉ के कारण देश के नगरिकॉ के रोजगार छिन रहे हैं तथा नया रोजगार स्रजन एकदम असम्भव सा हो गया है। पर्यावरण आंदोलन आज एक अत्यन्त लुभावना व्यवसाय बन गया है और आज वामपंथी, चर्च, गैर सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.), नक्सली, शहरी नक्सली अपराधी, तथकथित सिविल सोसयटी, जिहादी, बिदेशी ताकतै, आदि सभी घुसपैठ कर चुके हैं तथा यहा राष्ट्र की सुरक्षा, विकास एवम रोजगार के लिये एक बड़ा खतरानाक गठ्जोड़ बन गया है।

इन तत्वॉ का एक मात्र उद्देश्य उद्ध्योग धंधे बंद करवाकर देश मे बेरोजगारी एवम अराजकता फॅलाना है। इस कारण नये उद्ध्योग की स्थापना, नदियॉ का जोड़्ना, बांध-निर्माण, सड़्क निर्माण, नदियॉ कि सफाई तथा खनन, प्लास्टिक उद्द्योग, कृषि, टयूवेल, बिजली-घर, डिज़ल वाहन तथा जनरेटर उद्ध्योग, आदि लगभग बंद होते जा रहे हैं।

देश इस खतरे को नही समझ पा रहा है। इन तत्वॉ की कार्यप्रणाली अत्यंत विकृत एवम नकारात्मक है। ये तत्व सिर्फ विकास एवम रोजगार विरोधी हैं। ये तत्व कभी भी ग्रीन बेल्ट मे अथवा नदियॉ की भूमी मे अवैध कालोनियॉ का कही भी विरोध नही करते हैं। ये कभी भी वृक्षारोपण, रैन वाटर हारवेसटिंग, जैसे सकारात्मक कार्य नही करते हैं।

सरकार को इस खतरे को भॉपते हुये, इन पर्यावरण कर्यकर्ताऑ, वामपंथी, चर्च, गैर सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.), नक्सली, शहरी नक्सली अपराधी, तथकथित सिविल सोसयटी, जिहादी, बिदेशी ताकतै, आदि पर सख्ती से लगाम लगानी चहिये तथा इस खतरे को यही खत्म कर देना चाहिये, इससे पहले कि ये बेलगाम हो।

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