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अभिव्यक्ति की आज़ादी

National Issues
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अभिव्यक्ति की आज़ादी

आप यह सुनकर हैरान होंगे कि अचानक अभिव्यक्ति की आजादी की ओंट में छुपकर लोग देश को तोड़ने या समाज को बिखेरने के प्रयास में संलग्न रहते हें. इस अभियान में राजनेता आगे हें खासकर वे जो सरकारी आवास में रहते हें; बिना कोई काम किये और हंगामा कर सरकार यानि आपसे पैसे लेते हें. इनका जो वेतन तथा भत्ता है और इसके उपरान्त जो अन्य सुविधाएँ इनको दी जाती हें यह सब मिलकर इनकी आर्थिक स्तिथि निश्चित रूप से उच्स्तरीय हो जाती है जब हम जनता अधिकांशतःआर्थिक रूप से निम्नस्तरीय हें. और इन राजनेताओं का आर्थिक रूप से खुशहाल होना हमें ग़रीब बनाता है. इसके ऊपर से ये राजनेता केंद्र में संसद में काम नहीं करते और जो राज्यों में नेता बने चलते हें वे विधान सभाओं में वही हंगामा करने को ही अपना कर्तव्य समझते हें.

अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर धर्म तथा संप्रदाय के नाम पर समाज और देश को तोड़ने का काम आम जनता नहीं बल्कि राजनेता करते हें. जो जितना सामाजिक एकता कि बात करता है वह नेता उतना ही नुक्सान देश को पहुंचाता है. लोकतंत्र कि दुहाई देकर और लोकतंत्र की सुरक्षा के नाम पर खासकर प्रादेशिक या यूं कहिये कि क्षेत्रीय पार्टियाँ देश या समाज को तोड़ने में ज्यादा सक्षम हें. भारत की जनता को जागरूक होने की ज़रुरत है और क्षेत्रीय और प्रादेशिक राजनीतिक दलों को मत न देकर उनकी समाप्ति की दिशा में हमें काम करने की ज़रुरत है.

भारतीय संविधान के अंतर्गत भारत के प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी है. हर नागरिक अपना विचार व्यक्त करने में स्वतंत्र है. अभ्व्यक्ति की जहां स्वतन्त्रता है वहां कुछ ऐसा भी प्रावधान है जो इसपर कुछ शर्त लगाने का काम करते हें. हमें किसी भी विषय पर अपना विचार व्यक्त करने की आज़ादी है पर हमे इसका ध्यान रखना होगा कि हम भारत की सुरक्षा के लिए अपना विचार रखकर कोई परिशानी, कठिनाइयाँ नहीं उत्पन्न करते हें. मोटे तौर पर अभिव्यकि की आजादी पर अंकुश लगाया जा सकता है यदि १. राष्ट्र सुरक्षा की बात हो २. विदेशी राष्ट्रों के साथ मैत्री पूर्ण सम्बन्ध में बाधक हो ३. लोक शान्ति में बाधा उत्पन्न करे ४. भद्रता तथा नैतिकता पर प्रहार हो ५. यदि इस अभिव्यक्ति के माध्यम से अदालतों की अवमानना का संकेत हो ६. यदि विचार किसी भी व्यक्ति की मानहानि से संबधित हो ७. यदि ऐसे विचार हों जो दूसरों को जुर्म करने के लिए उत्साहित उया उत्तजित करे और १०. यदि अभिव्यक्त विचार भारत की प्रभुता और अखंडता पर दुष्प्रभाव के रूप में हो. किसी भी प्रकार का प्रतिबन्ध केवल जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के समूह द्वारा ही लगाया जा सकता है. कार्यपालिका अपने अध्यादेश के आधार पर व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध नहीं लगा सकती है .

अभी आप इस घटना से अवश्य अवगत होंगे कि ममता बनर्जी NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स) का उज्जडता के साथ विरोध कर रही हें. उनके इस उज्जड आचरण से बीजेपी के सभी विरोधी दल सहमत हें. ममता अवश्य ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत ऐसा कर रही हें. NRC के विरोध में बोलना और दूसरी राजनीतिक दलों के साथ इस मुद्दे पर बात करना सही है. इसके साथ ही हमें इस पर भी ध्यान देना चाहिए कि ममता बनर्जी NRC का विरोध क्यों कर रही हें.

NRC अभी इस रूप में है जब हम यह कह सकते हें कि अभी NRC की ड्राफ्ट कापी (प्रालेख) तैयार है. यह NRC केवल असम राज्य के लिए तैयार की गयी है. इसका संकलन इसलिए किया गया है कि असम में रहनेवाले भारतीय मूल के नागरिकों का पता रहे और नागरिकों की सूची में घुसपैठिओं को न जोड़ा जाए. आपको यद् दिला दें कि बंगला देश बना १९७२ में जब पाकिस्तान दो टुकड़ों में हो गया. यानि पूर्वी पाकिस्तान मूल रूप से पाकिस्तान समझे जाने वाले पश्चिमी पाकिस्तान से अलग हो गया. उसके बाद बंगलादेश के मूलतः बंगाली असम आकर मूल असम के लोगों की जन्संधान में हिस्सा लेने लगे जिससे असम के लोगों की आर्थिक परिस्तिथि कमज़ोर होने लगी. चूंकि बंगला देश से आने वाले लोग मुस्लिम हें इस कारण मुस्लिम समुदाय कि संख्या में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई और सामाजिक संतुलन भी असम में बढ़ने लगा. NRC में लगभग ४० लाख लोगों का नाम नहीं है. इसमें घुसपैठिओं के अलावा सही रूप से भारतीय नागरिक भी शामिल है. असम की सरकार ने NRC उचतम न्यायालय के दिशा निर्देश से बनाया. अभी इस NRC का अंतिम संस्करण तैयार नहीं है क्योंकि जिनका नाम इस NRC में शामिल अभी नहीं है उन्हें अपनी नागरिकता प्रमाणपत्र देने के लिए अतिरिक्त समय दिया गया है जो तर्कसंगत है. ममता बनर्जी ने NRC को एक राजनीतिक मुद्दा बनाकर ग़ैर बीजेपी दलों को एकजुट करने का अभियान चलाया और इस अभियान में कांग्रेस आप, CPI  जैसे गैर बीजेपी नेता सम्मिलित हुए. इन सभी नेताओं का कहना है कि बंगला देश से आये घुसपैठिओं को  सत्ता दल संसद के चुनाव के लिए हथियार रूप में उपयोग में लाएगा ताकि विपक्छ की आवाज़ बंद हो.

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