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बिहार राज्य में भीषण गर्मी और बीमारी का कहर

National Issues
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बिहार राज्य में मरने वाले बच्चों की संख्या १५० का आंकड़ा के पार है. केवल यह कह देने से काम नहीं चल सकता कि सरकार को इसका दुःख है और सभी आवश्यक क़दम उठाए जा रहे हें ताकि इस समस्या का समाधान स्थाई रूप से निकाला जा सके. भविष्य में फिर इस प्रकार के कहर से छुटकारा मिले. इस निन्दनीय परिस्तिथि के लिये केवल बिहार राज्य सरकार को दोषी ठहराना उचित नहीं होगा. इसके लिए भारत की केंद्रिय सरकार को भी जवाबदेही लेनी होगी. नितीश कुमार की जदू (JDU) सरकार सफल सरकार नहीं है. नितीश कुमार का काम स्वयं साफ़ छवि बनाए रखना है और मुसलमानों की तुष्टिकरण से सत्ता में बने रहना है. एक बात सराहनीय नितीश ने की और यह है RJD का साथ छोड़ना. बीजेपी ने नितीश जैसे अवसरवादी नेता के साथ बिहार में गठबंधन करने के कारण अपनी छवि को धूमिल किया है.
मुजफ्फरपुर के ICU में बिजली हमेशा मिले इसका भी प्रबंध नहीं है. आखिर मुझे कोई यह बताए कि गाँव गाँव में बिजली पहुंचाने का दावा करने वाली BJP सरकार इस सम्बन्ध में नितीश सरकार से किस प्रकार निपटेगी. मुसलमानी मुल्लाओं को खुश करने ताकि अगले चुनाव में उनका साथ रहे JDU तीन तलाक़ और तलाके बिद्दत जैसी कुरीतिओं को दूर करने की BJP के प्रयासों से अपनी स्पष्ट दूरी बनाए रखना पसंद करती है.
डॉ. हषवर्धन की राजनीतिक मज्बूरिओं से इनकार नहीं किया जा सकता. केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए पिछली BJP सरकार के कार्य के अंतर्गत उन्होंने बिहार का और मुजफ्फरपुर का दौरा किया और अस्पतालों की व्यवस्था की समीक्छा भी की. इस समीक्षा के अंतर्गत उन्होंने ऐसे कई चिकित्सा अनुसंधान केन्द्रों की स्थापना के सम्बन्ध में सिफारिश की पर पांच साल की पिछली सरकार के कार्यों के अंतर्गत इन अनुसंधान केन्द्रों की स्थापना नहीं हो सकी. यह सोच अच्छी थी. पर जब क्रियान्वन नहीं हो पाता तब अबतक की कांग्रेसी सरकारों और २०१४ की BJP सरकार में क्या अंतर है. इन अनुसंधान केन्द्रों में वस्तुतः बीमारियों के कारण, उनको रोकने के कारणों पर वैज्ञानिक खोज की जानी थी ताकि इनके निवारण को ढूंढ निकाला जा सके.
जो बच्चे मौत के शिकार हुए वे सभी गरीब बच्चे हें. कुपोषण नज़र आता है. अस्पताल में उनके परिजनों को कहा जाता है कि दवाएं बाहर से खरीद कर लाओ. अगर ऐसी बात है तो हमारी सत्ता और व्यवस्था को धिक्कार है. मोदी जी के सामने चुनौतियाँ सिर्फ राहुल, सोनिया या गुलाम नबी आज़ाद सरीखे नेता ही नहीं हें. नितीश कुमार जैसे सुशाशन बाबु को समझना और उनसे निपटना ज्यादा कठिन है क्योंकि यह सांप चुपचाप रहता है. बिहार के उन अमीरों से भी मैं पूछना चाहता हूँ कि ऐसी अमीरी किस काम की जो गरीबों का दुःख बाँट कर उन्हें राहत पहुंचाने से वंचित रखे.
हमारी सोच और इनका क्रियान्वन ऐसा हो कि हम साम्प्रदायिकता से अपने को अलग रखते हुए गरीबों के लिए पीने का साफ पानी का प्रबंध कर सकें. साथ ही सरकार से यह आशा की जाती है कि गरीबों का पूरा इलाज मुफ्त हो. दवा के पैसे उन्हें देना नहीं पड़े तथा सरकारी अस्पतालों में सभी सुविधाएँ उन्हें दी जाये. मैं अपने देशवासियों से आशा करता हूँ कि वे नकली नेताओं को राजनीति से बाहर करें. नितीश जैसे नेताओं को पाठ पढाना भी आवश्यक है.
मोदी जी से हमारा यह आग्रह है कि बिहार में घटित घटनाओं का स्वयं संज्ञान ले और दोषी राजनेताओं तथा अफसरों को उचित सज़ा देने का कार्य प्रारंभ करें. केवल योजनाओं के उदघाटन से काम नहीं चलेगा.
मोदी जी आपसे निवेदन है कि गरीबों के बच्चों का कुपोषण न हो. यह सबको पता है कि सत्ता तो बदली है पर व्यवस्था वही है. व्यवस्था को सही रास्ते पर शीघ्र लाने की आवश्यकता है. जनता ने अपनी ज़िम्मेदारी निभाई अब सत्ता को अपनी ज़िम्मेदारी निभाना है. व्यवस्था के पुनर्गठन की आवश्यकता है.

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