Menu
blogid : 26561 postid : 15

राजनेताओं का अहंकार और नागरिकों पर प्रहार

National Issues
National Issues
  • 9 Posts
  • 1 Comment

अभी हाल में सोशल मीडिया के माध्यम से यह सूचना मुझे मिली जिससे यह साबित होता है कि हमारे राजनेताओं में अहंकार कितना है और इस अहंकार के दबाव में योग्य, कुशल तथा अपने कामों में निपुण नागरिक पर भी कितना असम्मान किया जा सकता है.  मैं इस सूचना को अक्षरशः उद्धृत कर रहा हूँ.  “ये हकीक़त १९७१ कि है जब इंदिरा गांधी प्रधान मंत्री थीं.  उस समय फील्ड मार्शल मानेकशा आर्मी चीफ थे. इंदिराजी ने उन्हान पाकिस्तान पर चढ़ाई करने का आदेश दिया …   मानेकशा ने कहा सैनिक तैयार हें; पर योग्य समय पर युद्ध करेंगे.

इंदिराजी ने ताबड़तोड़ चढाई करने का हुक्म दिया… परन्तु योग्य समय पर ही चढ़ाई करके सिर्फ १३ दिनों में पूर्व पाकिस्तान को बांग्लादेश बना दिया… उचित समय पर मानेकशा इनिराजी से बोले मैं आपके राजकाज में दखल नहीं देता वैसे ही आप भी सैन्य कार्यवाही में दखल मत दीजिये.  इस प्रकरण के पश्चात १९७३ के बाद मानेकशा का वेतन बंद कर दिया गया.  परन्तु इस खानदानी आदमी ने कभी अपने वेतन की मांग नहीं की.  २५ साल बाद जब वो हॉस्पिटल में थे तब एक दिन ए. पी. जे.  अब्दुल कलाम राष्ट्रपति पद पर रहते उनसे मिलने गए.  उस वक्त बातचीत के दौरान ये बात राष्ट्रपतिजी को  पता चली  कि जिस  व्यक्ति ने अपने देश के लिए ५-५ युद्ध लड़े, उस योद्धा को १९७३ के बाद से वेतन ही नहीं दिया गया. तब उन्होंने तत्काल कार्यवाही करके उनकी शेष राशि का  भुगतान लगभग १.३ करोड़ रुपये का चेक उनको भिजवाया. ऐसे वीर योद्धा को भी इस महान गांधी परिवार ने नहीं छोड़ा. अत्यंत  ही शर्मनाक बात है.”

इस प्रकरण का उल्लेख मैं इसलिए कर रहा हूँ ताकि आप सभी को हमेशा इस बात पर ध्यान रखना चाहिए कि राजनेता अपने अहंकार के नशे में डूबे रहकर भी यह सोचते है कि उनका  हर कदम जनता के हित में रहता है. अभी हाल में आपने यह सुना होगा तथा TV पर देखा भी होगा कि किस तरह कांग्रेस के नेता अशोक तंवर ने कांग्रेस पार्टी का जुलूस  निकाला और इस प्रक्रिया में हरियाणा के एक हाईवे को ऐसा जाम किया कि कोई गाड़ी हाईवे पर जुलूस को पार  कर या उससे बचकर आगे निकल सके.  हाईवे पर सड़क निर्माण का काम नहीं चल रहा था; सड़क पर जुलूस के कारण ही जाम लगा था अन्यथा सड़क पर ट्रैफिक अधिक नहीं थी.  अगर आपने TV पर इस दृश्य को देखा होगा तब आपने यह ज़रूर देखा होगा  कि अशोक तंवर बड़ी शान से फूलों की मालाओं से लदे हुए बिना किसी रुकावट या जल्दीबाजी के साइकिल पर सवार होकर जुलूस में जा रहे थे.  अब सवाल यह उठता है कि क्या अशोक तंवर को यह अधिकार प्राप्त है कि वे हाईवे पर ऐसा जाम करें कि एम्बुलेंस को भी आगे जाने का रास्ता नहीं मिले.  जिस एम्बुलेंस का अभी प्रसंग हो रहा है वह एक शिशु को लेकर अस्पताल जा रहा था.  हाईवे पर ट्रैफिक जाम होने से अस्पताल पहुँचने में देर हो गयी और शिशु को इया प्रकार कांग्रेस पार्टी के इस जुलूस ने मरने दिया.

हाईवे पर ट्रैफिक के सुचारू रूप से चलने के नियम तो बहुत हें.  उच्च न्यायालयों द्वारा निर्देश भी दिए गए हें और सड़क पर ट्रैफिक जाम करने का अधिकार किसी को नहीं है और जब हम कहते हें कि किसी को भी नहीं है तब उसमे राजनेता तथा राजनीतिक दल भी शामिल हें.  इसे प्रशाशन की कमजोरी ही कहा जाएगा कि हमारे देश में, हमारे समाज में नियमों का नहीं पालन करना प्राकृतिक रूप से गलत नहीं समझा जाता है जिसके परिणाम स्वरुप बात आयी और गयी हो जाती है.  एक अच्छी बात यह उभर कर सामने आई है कि बीजेपी की हरियाणा सरकार ने इस अधिकार के अमानुषिक दुरूपयोग का संज्ञान लिया है और इस दिशा में जांच चल रही है. यहाँ समाज से मेरा कहना है कि अधिकार के इस नग्न दुरूपयोग के लिए कांग्रेस पार्टी के नेता को सख्त सज़ा दी जाए जिसकी आशा मैं करता नहीं हूँ क्योंकि राजनेता चाहे किसी दल का हो राजनेता होता है और उसकी पहुँच लम्बी होती है.  क्या यह आशा कर सकते हें कि केंद्रीय सरकार इस तथ्य का संज्ञान लेगी और इस प्रकार कि वारदात दुबारा न हो इसके लिए उचित कारवाई करेगी.  मेरा सभी सभ्य लोगों से हार्दिक निवेदन है कि इस दुर्घटना को कारपेट के नीचे डाल कर चुप नहीं बैठें.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh