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भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इसकी राजधानी है दिल्ली. दिल्ली विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय राजधानियों में से एक है. इसकी गिनती विश्व के सबसे संपन्न और विकसित शहरों में होती है. लेकिन यह सब दावे तब झूठे साबित होते हैं जब बात लोकतंत्र को मजबूत करने वाले मतदान की आती है. दिल्लीवासियों का मतदान ना करने की आदत भी विश्वप्रसिद्ध है. यूं तो सरकार को कोसने और सरकारी नीतियों में खामियां निकालने में दिल्लीवाले सबसे आगे रहते हैं लेकिन जब बात वोट डालने की आती है तो सिर्फ 42% लोग ही अपने इस अधिकार का प्रयोग कर परिवर्तन का सही और सार्थक सपना देख पाते हैं.
कुछ ही दिनों में दिल्ली में नगर निगम के चुनाव होने हैं. इस बार भी कई लोग सिर्फ यही सोचकर वोट डालने नहीं जाएंगे कि यह तो नगर निगम के चुनाव हैं इससे कौन सा देश बदलेगा. लेकिन जो लोग ऐसी सोच रखते हैं वह यह भूल जाते हैं कि अगर हमें कुछ बदलाव चाहिए तो उसकी शुरुआत हमें घर से ही करनी चाहिए.
क्यूं डाले नगर निगम के चुनाव में वोट
दिल्ली नगर निगम एक ऐसा सरकारी संगठन है, जो राजधानी के हर नागरिक से सीधे जुड़ा है. जन्म से मृत्यु तक लोगों का वास्ता इस सरकारी एजेंसी से पड़ता है. बच्चे का जन्म होता है, तो उसका जन्म प्रमाण पत्र नगर निगम ही बनाता है और परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है, तो मृत्यु का प्रमाण पत्र भी नगर निगम देता है. और भी तमाम मसले हैं, जहां आम लोगों का सीधा वास्ता इस संगठन से पड़ता है. चाहे घर के बाहर की सड़क हो या क्षेत्र का पार्क सभी नगर निगम के अधीन ही आता है. तो फिर फैसला आपका है वोट डालकर दबंग बनना है या वोट ना डालकर पप्पू.
पप्पू नहीं दबंग बनिए
दिल्ली नगर निगम के चुनाव में पप्पू नहीं दबंग बनिए. आगामी 15 अप्रैल को होने वाले मतदान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लीजिए. क्योंकि शहर में पहली बार बने तीन निगमों का स्वरूप आपके ही वोट से तय होना है. सिर्फ नगर निगम को कोसने से काम नहीं चलेगा. इसकी खामियां तभी दूर होंगी, जब हम और आप ज्यादा से ज्यादा संख्या में मतदान करेंगे और अपने मनपसंद प्रतिनिधियों को चुनकर भेजेंगे.
लोकतांत्रिक व्यवस्था की आलोचना कर किनारे सरक लेने भर से इसकी नींव पुख्ता नहीं हो सकती. जरूरत है कि इसका आवश्यक रूप से हिस्सा बनें और अपने मतदान के माध्यम से इसकी खामियों को दूर करें.
हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मतदान का प्रतिशत अप्रत्याशित रूप से बढ़ा. उत्तर प्रदेश में तो मतदान का नया रिकार्ड ही बन गया. 60 फीसदी के आसपास तक वोट पड़े इसीलिए उम्मीद की जा रही है कि दिल्ली के मतदाता भी बड़ी संख्या में घरों से निकलेंगे और अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
आम मतदाताओं की सुविधा के लिए ही राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं के घर-घर न केवल मतदान करने का निमंत्रण पत्र भेजा है, बल्कि उनके मतदान केंद्र, उनकी मतदाता संख्या, फोटो आदि तमाम जानकारियां विस्तार से भेजी हैं, ताकि उन्हें कोई दिक्कत नहीं होने पाए.
इतनी सारी सहूलियतें हमें सिर्फ इसलिए दी जा रही हैं ताकि हम अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें और दिल्ली के आने वाले पांच साल सुरक्षित हाथों में दे सकें. तो चलिए 15 अप्रैल को घरों से निकलकर अपने अधिकार का प्रयोग करें.
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