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क्या फिर मायावती का हाथी करेगा राज !!

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साल 2007 में जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हुए थे तो साइकिल की गद्दी पर काबिज मुलायम सिंह को मायावती ने बड़ी बेरहमी से अपने हाथी से कुचल दिया था. अब एक बार फिर चुनाव के रणक्षेत्र में मायावती अपने हाथी पर सवार होकर पंजे, कमल और साइकिल का सामना करने को तैयार हैं.


BSPयूं तो अपने पांच साल के मुख्यमंत्री काल में मायावती ने उत्तर प्रदेश को हाथियों और अपनी मूर्तियों से भरने के अलावा भी कुछेक बेहतरीन काम कराया है. हालांकि इन पांच सालों में कई ऐसे कांड भी सामने आए हैं जिन्होंने उनका सर शर्म से झुकाया पर मायावती की छवि पर हमला करने का कोई भी साहस नहीं कर सकता.


मायावती की तस्वीर जो शायद आपने कभी ना देखी हो

कभी मंत्रियों से जूती साफ करवाना तो कभी स्पेशल जहाज से चप्पल मंगवाना तो कभी नेताओं और अफसरों को एक झटके में पद से हटा देना मायावती की पहचान बन गई है. आम जनता में जो राजनीति को अच्छे से समझते हैं उनकी नजर में मायावती एक बहुत बड़ी तानाशाह हैं. मायावती ना तो कभी किसी प्रेस कांफ्रेस में अपनी सफाई देती हैं ना ही किसी घोटाले पर कुछ कहती हैं. उत्तर प्रदेश में मायावती की छवि एक राजा की तरह है जो खुद एक बड़ी गद्दी पर बैठती हैं और उनकी महफिल में नेता और अफसर जमीन पर बैठते हैं. मायावती के सामने बड़े से बड़ा नेता और अफसर सर झुका कर प्रणाम करता है और उन्हें सलाम करता है. मायावती का यह चेहरा आपको जरूर अजीब लगेगा पर सत्ता का असली नशा कैसे लूटते हैं इसकी बानगी सिर्फ मायावती ही दिखा सकती हैं.


कभी ऊपर तो कभी बिलकुल नीचे

पांच साल के कार्यकाल के दौरान तमाम घोटालों, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में खामियां और जनता की दिक्कतों की तो कई बार चर्चा हुई पर उन पर कभी कोई काम नहीं हुआ. मायावती सरकार ने उत्तर प्रदेश में जो चाहा वह किया. मायावती ने अपना रूतबा इतना प्रभावशाली बनाया कि लोग उनके खिलाफ बोलने से कतराते थे. उनके खिलाफ कहीं से कोई आवाज नहीं उठी.


हालांकि प्रदेश में लोकायुक्त का गठन मायावती ने किस आधार पर होने दिया समझ नहीं आया. पर अचानक लोकायुक्त का पद महत्वपूर्ण होता चला गया और उनकी संस्तुति पर कई मंत्रियों को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. खुद मायावती ने अपने ही कई मंत्रियों को नौ दो ग्यारह कर दिया. लेकिन हैरतअंगेज तरीके से किसी भी दागी नेता ने मायावती का नाम घोटालों में नहीं लिया और ना ही उनकी सरकार के खिलाफ कहीं से भी कोई विरोध की आवाज उठी.


कुछ तो बदला है

मायावती शासन काल में कुछ नहीं हुआ यह कहना गलत होगा. मायावती ने मुलायम सिंह के राज में फैले गुंडाराज को काफी हद तक खत्म किया है. आज माना कि उत्तर प्रदेश में क्राइम रेट अन्य राज्यों से बेहद अधिक है लेकिन हालात तब के मुकाबले लाख गुने सही हुए हैं जब मुलायम सिंह थे. क्राइम का हाल यहां बिहार की तरह हो गया है जैसे लालू के राज के बाद नीतीश के राज में भी वहां क्राइम है पर वह क्राइम रेट उस रेट के सामने कुछ नहीं जो कभी लालू के राज में था.


उसी तरह विकास की गाड़ी को भी हाथी ने अच्छा धक्का लगाया है. पर मायावती ने अमीर और पूंजीपतियों के लिए तो दोनों हाथ खोलकर पैसे लुटाए पर गरीबों के लिए कुछ नहीं किया और यही वजह है कि उनके शासन काल में आम जनता में रोष पैदा हुआ. ग्रेटर नोएडा और अन्य जगह तो हमें विकास देखने को मिला पर अन्य क्षेत्रों में शायद मायावती ने नजर डालना सही नहीं समझा.


क्या फिर मिलेगा कमल का साथ

बीएसपी और भाजपा में चाहे राजनीतिक विरोध हो पर उनमें मेलभाव भी है और यही वजह है कि इस बार लोग ना चाहते हुए भी मान रहे हैं कि शायद मायावती की सरकार दुबारा बन जाए.

उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा ने कई बार भाजपा के सहयोग से सरकार बनाई है और मायावती मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठी हैं. हालांकि पिछली बार बीएसपी ने कमाल करते हुए अकेले दम पर सरकार बना ली थी. क्या पता ये चमत्कार पुनः हो जाए और माया की पुनर्वापसी हो जाए.

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