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एमसीडी चुनाव: विजय की ओर बढ़ती बीजेपी

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यूं तो मुख्यमंत्री साहिबा यानि दिल्ली की सिपहसालार शीला दीक्षित जी ने एमसीडी चुनावों से पहले साफ कहा था कि इन चुनावों से राज्य और देश के भाग्य का फैसला नहीं होता यह तो बस कुछ जमीनी चीजों और छोटे मुद्दों पर लड़े जाने वाले चुनाव हैं. लेकिन शीला भूल गईं कि राजनीति की एबीसीडी इसी एमसीडी से ही सीखी जाती है और जो यहां फेल हो जाता है उसका बड़े परीक्षा में यानि विधानसभा चुनावों में हाल बेहाल हो जाता है.


वार उलटा पड़ गया

दिल्ली में 15 अप्रैल को एमसीडी के लिए चुनाव हुए थे जिसके परिणाम आज आ रहे हैं. अभी तक के रुझान से तो लगता है कि एंटी कांग्रेस की भाजपा की नीति सफल हो रही है और हो सकता है एमसीडी को तीन भागों में बांटने से भी कांग्रेस का खास भला नहीं हो और उसे कहीं तीनों ही भागों में हारना ना पड़े.

दिल्ली नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस जहां हार की तरफ बढ़ रही है वहीं बीजेपी ने अपनी जीत का जश्न मनाना भी शुरू कर दिया है. बीजेपी की इस जीत को कांग्रेस के खिलाफ चल रही लहर माना जा रहा है. कांग्रेस के खेमे के लिए यह एक बुरी खबर है. अंतिम परिणाम आने के बाद अब इस हार की गाज दिल्ली की मुख्यमंत्री के ऊपर गिरने के पूरे आसार दिखाई दे रहे हैं.


और अब दिल्ली भी हाथ से गई !

पंजाब, उत्तर प्रदेश और गोवा के विधानसभा चुनावों में कड़ी शिकस्त खाने के बाद अब कांग्रेस को दिल्ली के निगम चुनावों में भी हार का सामना करना पड़ता दिखाई दे रहा है. बीजेपी तीनों निगमों में बहुमत की ओर बढ़ रही है. बीजेपी नेता इस जीत को कांग्रेस की गलत नीतियों और उनके फैलाए भ्रष्टाचार के खिलाफ जीत बता रहे हैं.


दिल्ली एमसीडी चुनाव 2012 नतीजे

राष्ट्रीय राजधानी में तीन नगर निगमों के लिए मतों की गिनती का काम जारी है. बीजेपी की बढ़त से पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह नजर आ रहा है. वहीं धीरेधीरे पिछड़ -रही कांग्रेस अभी भी मजबूत जीत का दावा कर रही है. अभी तक मिले रुझानों में उत्तरी, दक्षिण और पूर्वी दिल्ली में बीजेपी बहुमत की ओर है. वहीं जारी परिणामों में बीजेपी ने कांग्रेस से कहीं अधिक सीट हासिल की है.


विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल

एमसीडी चुनाव को अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों के सेमीफाइनल मुकाबले के रूप में भी देखा जा रहा है. काग्रेस और भाजपा दोनों का ही दावा है कि उनकी पार्टी चुनावों में भारी जीत हासिल करेगी.

माना जाता है कि दिल्ली के एमसीडी चुनावों से विधानसभा चुनावों की भी तस्वीर से हल्की सी धूल हट जाती है. इस बार भाजपा ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार, महंगाई, सुरक्षा, पानी, बिजली, दूध के मूल्य जैसी बहुत ही छोटे मुद्दे को उठाकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया. यह एक अच्छी रणनीति है पर भाजपा को अब इसी जीत की लहर को आगे ले जाना होगा. कहीं ऐसा ना हो मात्र एमसीडी के चुनाव जीतकर ही वह अपनी पीठ थपथपाते रहें और इस आपाधापी में विधानसभा चुनाव हाथ से निकल जाए. साथ ही भाजपा को एमसीडी को सशक्त बना कर अपने अपने क्षेत्रों में विकास करना होगा. एक ऐसा विकास जिससे मतदाता उनकी ओर आकर्षित हों और 2014 में देश का तख्तापलट होने की संभावना बने.


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