58वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की घोषणा हो चुकी है. इस बार के पुरस्कारों ने सलमान खान को जरुर खुश होने का मौका दिया है. फिल्मी अवार्ड शो में विश्वास ना रखने वाले सलमान खान की फिल्म दबंग को सम्पूर्ण मनोरंजक फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. हालांकि कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया है कि “दबंग” जैसी फिल्म जिसमें आधुनिक फुहड़ता का काफी प्रभाव देखने को मिलता है उसे किस तर्ज पर राष्ट्रीय अवार्ड दिया जा रहा है.
दबंग के साथ हिन्दी फिल्म इश्किया की झोली में भी दो अवार्ड आए हैं. फिल्मकार विशाल भारद्वाज की फिल्म इश्किया को दो राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए चुना गया. इसके लिए भारद्वाज को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार और उनकी पत्नी व गायिका रेखा भारद्वाज को सर्वश्रेष्ठ गायिका चुना गया है.
सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए मलयालम फिल्म “अदामिंटे मकन आबु” (Adaminte Makan Abu) को चुना गया है. तमिल फिल्म ‘आडुकलम’ (Aadukalam) के लिये वेत्रीमारन को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक चुना गया. सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए तमिल अभिनेता धनुष और मलयालम अभिनेता सलीम कुमार को संयुक्त रूप से चुना गया है. धनुष को अदुकलम और सलीम को अदामिंटे मकन आबु के लिए चुना गया है.
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मराठी फिल्म ‘बाबू बैंड बाजा’ के लिये मिताली जगताप वराडकर और तमिल फिल्म ‘थेंमेरूक्कू पेरूवक्कात्रू’ के लिये सरन्या पोंवन्नन को दिया जायेगा. सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार तमिल फिल्म ‘नम्मा ग्रामम’ के लिये सुकुमारी और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार तमिल फिल्म ‘मायना’ के लिये जे टी रमैय्या को दिया जायेगा.
सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म के पुरस्कार के लिए ऋषि कपूर, नीतू सिंह अभिनीत दो दूनी चार चुनी गई है.
बांग्ला फिल्म “मोनेर मानुष” को राष्ट्रीय एकता की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए नर्गिस दत्त पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. सर्वश्रेष्ठ गायक का पुरस्कार सुरेश वाडेकर और सर्वश्रेष्ठ गायिका का पुरस्कार निर्माता-निर्देशक विशाल भारद्वाज की गायिका पत्नी रेखा भारद्वाज को फिल्म ‘इश्किया’ में गाए गए गीत के लिए मिला है.
उल्लेखनीय है कि फीचर फिल्म जूरी के अध्यक्ष जेपी दत्ता थे जबकि इसके सदस्यों में भरत बाला, डाक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी, प्रहलाद कक्कड़ समेत 10 सदस्य थे. सात सदस्यीय गैर फीचर फिल्म जूरी के अध्यक्ष ए के बीर थे. जूरी ने 113 प्रविष्टियों में से पुरस्कार का चयन किया.
अवार्ड : कहीं गड़बड़ तो नहीं
राष्ट्रीट फिल्म अवार्ड्स अब तक हमेशा अपनी पाक छवि के कारण लोगों में खासा सम्मान पाए हुए थे लेकिन इस बार इस अवार्ड पर भी लोगों की शक की सुई घूम रही है. फिल्मफेयर अवार्ड पर पहले ही कई दिग्गज सवाल उठा चुके हैं और अब राष्ट्रीय अवार्ड की सच्चाई पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. हालांकि हर बार अवार्डों की घोषणा के समय इस तरह के बवाल होते हैं लेकिन इस बार सच में लगता है कि दाल में कुछ काला है.
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