Menu
blogid : 319 postid : 1032

गालियां देना अब है बॉलिवुड का नया शगल

फिल्मों में बोल्ड सीन देने का दौर तो बेहद पुराना है लेकिन आजकल बॉलिवुड को नया चस्का लगा है फिल्मों में गालियां देने का. फिल्मों के संवाद से लेकर कभी कभी तो हमें फिल्मों के टाइटल में भी गालियां देखने को मिलती हैं.


omkaraअब इसे आम लोगों का टेस्ट कहे या खुद को परिपक्व मानने वाले बॉलिवुड का स्वाद कुछ भी हो फिल्मों में गालियां आज आम होती जा रही हैं. पहले जहां कभी कभार एकाध फिल्म में साले, कमीने जैसे शब्द देखने को मिलते थे तो वहीं हाल के कुछ दिनों में जैसे बिना गाली के फिल्म तो पूरी ही नहीं हो सकती. कॉमेडी हो या एक्शन करना हो हर जगह गालियों का स्थान बना रहता है.


बॉलिवुड संवादों में बढ़ते गालियों के चलन के पीछे तर्क देता है कि आजकल गालियां आमजीवन में बेहद आम हो चुकी हैं. आजकल लोग आपसी बोलचाल में अपशब्द या गालियों का प्रयोग बेझिझक करते हैं.


वैसे भी बॉलिवुड का काम है जो समाज में होता है उसे वैसे ही प्रदर्शित करना. हाल की कुछ फिल्मों पर नजर डालें तो हमें फिल्मों में इस्तेमाल होने वाली गालियों का स्तर पता चलेगा. फिल्म नो वन किल्ड जेसिका में रानी मुखर्जी ने बेधड़क गालियों का इस्तेमाल किया तो वहीं फिल्म “ये साली जिंदगी” के तो टाइटल में ही साली विराजमान थी और फिल्म के अंदर इतनी गालियां है कि आप गिनना ही छोड़ दो. इसके अलावा पिछले साल आई फिल्म गोलमाल 3 में भी भरपूर गालियों का प्रयोग किया गया था. पिछले साल प्रदर्शित हुई इश्किया, खट्टा मीठा, तेरे बिन लादेन के संवादों और गीतों में भी अपशब्दों का इस्तेमाल हुआ है. इससे पहले विशाल भारद्वाज की फिल्म ओमकारा में अजय देवगन और सैफ अली खान गालियों की बौछार करते नजर आए थे.


अभिनेता शाहरुख खान भी कभी ऐश्वर्या राय के साथ इश्क कमीना जैसे गीत पर थिरके थे. यह 2002 में प्रदर्शित हुई फिल्म शक्ति का गीत है.


फिल्मकारों का मानना है कि फिल्मों का परिदृश्य बदलने और उनके अधिक वास्तविक होने के साथ फिल्मकार और अभिनेता शब्दों के इस्तेमाल में आजादी बरत रहे हैं. बोलचाल की भाषा में गालियों का इस्तेमाल सामान्य है.


वैसे इन सब से आम जनता पर बहुत बुरा असर पड़ता है. इन सब से आकर्षित हो कर कई बार वह लोग भी गालियों का प्रयोग करने लगते हैं जो देते ही नहीं है. गालियों का सबसे बुरा असर पड़ता है बच्चों पर. आज अधिकांश बच्चे टीवी और फिल्में देखते हैं. उनके बालमन पर यह गालियां ऐसा असर करती हैं कि बच्चे भी इनका प्रयोग करने लगते हैं. फिल्मकारों के साथ-साथ सेंसर बोर्ड को भी फिल्मों में इस्तेमाल हो रहे अपशब्द और गालियों के नियंत्रण के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh