बॉलीवुड एक्ट्रेस हुमा कुरैशी का कहना है कि इंडिया में जब कोई महिला जब सेक्सुअल हैरेसमेंट की बात करती है, तो उसे अजीब तरीके से ट्रीट किया जाता है. वो ऐसा महसूस करवाया जाता है मानो वो विक्टिम न होकर गुनहगार हो. वो कहती हैं, ‘हमें अपने आस-पास महिलाओं के लिए सेफ और कंफर्टेबल एनवॉयरमेंट क्रिएट करने की जरूरत है ताकि महिलाएं ये बता सकें कि आखिर कौन उन्हें हैरेस कर रहा है. सच कहूं तो वर्क प्लेस पर होने वाले सेक्सुअल हैरेसमेंट को ठीक से मैनेज ही नहीं किया जा रहा है. कोई भी कड़ी कार्यवाही नहीं होती जबकि एक सोसाइटी के तौर पर ये हमारी जिम्मेदारी है.
बराबर हैं मेन और विमेन
हुमा ने इसके बारे में बात करते हुए आगे कहा, ‘मैं एक फेमिनिस्ट हूं और जब मैं खुद को फेमिनिस्ट कहती हूं तो मेरा मतलब होता है एक बराबरी की दुनिया जिसमें मेन और विमेन बराबर हैं. इसका मतलब ये नहीं कि मेन विमेन के कंपैरिजन में किसी तरह से कमतर हैं. जरूरी है कि सेक्सुअल हैरेसमेंट जैसी घटनाओं के खिलाफ मेन भी विमने के सपोर्ट में आएं और ये तभी हो सकता है जब दोनों इसको लेकर एक जैसी सोच रखेंगे. सेक्सुअल हैरेसमेंट को लेकर अगर दोनों आवाज उठाएंगे तो एक बड़ा चेंज ला सकते हैं. मेन के बिना हम ये चेंज ला भी नहीं सकते. हमें अच्छे और स्ट्रॉन्ग मेल रोल मॉडल्स भी चाहिए.
जब बात हो जेंडर ईक्वेलिटी की
यहां हुमा ने जेंडर ईक्वेलिटी के बारे में भी कहा. वो कहती हैं, ‘ये प्रॉब्लम सोसाइटी से तभी जाएगी जब हम उन महिलाओं की भी बात करेंगे जो पर्दे के पीछे काम करती हैं. पहले फीमेल एक्टर्स तो थीं लेकिन कुछ ही फीमेल टक्नीशियंस, डायरेक्टर्स, एडिटर्स और कैमरा पर्संन होती थीं. पर आज मैं बिहाइंड द कैमरा ज्यादा फीमेल्स देखती हूं. इसलिए ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने आस-पास काम कर रही महिलाओं को हर तरह से सेफ एनवॉयरमेंट प्रोवाइड करें.
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