बॉलिवुड में सफल पिता-पुत्र की गिनती बहुत कम है. लेकिन असफल पिता-पुत्र की गिनती में जो नाम हमेशा चर्चा में रहते हैं वह हैं विनोद खन्ना-अक्षय खन्ना, अमिताभ बच्चन-अभिषेक बच्चन आदि. बॉलिवुड में अपने हिचकोले खाते कॅरियर की नाव में सवारी करने वाले स्टार पुत्र अक्षय खन्ना अपने पिता स्टार विनोद खन्ना की तरह सफल तो नहीं हैं पर चरित्र भूमिकाओं में उनके अभिनय की हमेशा सराहना होती रही है.
अक्षय खन्ना की प्रोफाइल
अक्षय अपने स्वाभाविक अभिनय के लिए मशहूर हैं. अपने पिता विनोद खन्ना से उन्हें अभिनय विरासत के तौर पर मिली है. 28 मार्च, 1975 को जन्में अक्षय खन्ना का फिल्मी कॅरियर असफल रहा पर सुभाष घई की फिल्म “ताल” से उन्हें थोड़ा सहारा जरूर मिला.
अक्षय खन्ना का कॅरियर
अक्षय खन्ना ने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरूआत 1997 में फिल्म “हिमालय पुत्र” से की जो एक फ्लॉप साबित हुई. लेकिन 1997 की ही फिल्म “बॉर्डर” में अक्षय खन्ना के अभिनय को फिल्मफेयर नॉमिनेशन भी मिला. “बॉर्डर “में संजय दत्त, सनी देओल सरीखे सितारों की मौजूदगी में भी अक्षय का अभिनय सर्वाधिक प्रभावी रहा. लेकिन इसके बाद ‘कुदरत’, ‘मोहब्बत’, ‘लव यू हमेशा’ जैसी फ्लॉप फिल्मों से अक्षय खन्ना का मनोबल थोड़ा गिरा.
1999 की फिल्म “आ अब लौट चलें” से अक्षय खन्ना के कॅरियर को नई शुरूआत मिली. और इसके बाद सुभाष घई की फिल्म “ताल” में अक्षय खन्ना का अभिनय बेमिसाल रहा. अक्षय में बेहतरीन कलाकार की छवि देखी जाने लगी. इस समय पिता विनोद खन्ना के पुत्र की पहचान से वे बाहर निकल चुके थे. धीरे-धीरे अक्षय ने साबित कर दिया कि वे हर तरह की भूमिका निभाने में सक्षम हैं. उन्होंने “हलचल” और “हंगामा” में हास्य कलाकार की भूमिका निभायी तो “हमराज” और “रेस” में खलनायक की भूमिका.
“गांधी माई फादर” अक्षय के फिल्मी कॅरियर की सबसे उल्लेखनीय फिल्म है. इस फिल्म में हरिलाल गांधी की भूमिका में अक्षय का संवेदनशील अभिनय बेहद पसंद किया गया. अक्षय खन्ना को दर्शकों ने मुख्य अभिनेता की जगह सह-अभिनेता की भूमिका में ज्यादा पसंद किया. हाल ही में वह “आक्रोश” और “तीसमार खां” जैसी फिल्मों में नजर आए हैं.
यूं तो अक्षय खन्ना को अभिनय की कला विरासत में मिली है पर अपने प्रयोगों से वे हमेशा ही पर्दे पर अभिनय की नयी परिभाषा गढ़ते आए हैं. यही वजह है कि उनके प्रशंसकों में आम दर्शकों के साथ-साथ कई फिल्मी नायिकाएं और नायक भी हैं.
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