क्या आपको फिल्मी दुनिया का गब्बर सिंह याद है जिसके चर्चे किसी समय गांव-गांव और घर-घर में थे. आज जहां बॉलिवुड में खलनायकों की कमी है वहीं एक अभिनेता ऐसा भी था जिसने बॉलिवुड में खलनायकों के मानक ही बदल दिए. फिल्म ‘शोले’ में गब्बर सिंह का रोल अदा करने वाले अमजद खान आज हमारे बीच तो नहीं हैं पर उनकी यादें सबको यह कहने पर मजबूर कर देती हैं कि वह खलनायक नहीं नायक थे. चाहे फिल्मों में डाकू का किरदार हो या एक हास्य कलाकार का किरदार, हर रोल में अमजद खान ने खुद को फिट किया है.
अमजद खान का जन्म 12 नवंबर, 1940 को हैदराबाद में हुआ था. वह अभिनेता जयंत के पुत्र थे. बांद्रा के सेंट टेरेसा स्कूल (St. Theresa’s High School) से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद आर. डी. नेशनल कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई पूरी की. अपने कॉलेज के दिनों में वह छात्र संघ के जनरल सेक्रेटरी चुने गए थे. कॉलेज में उनकी दंबग छवि के कारण लोग उन्हें “दादा” कहकर पुकारते थे.
अमजद खान स्टेज के जरिए फिल्मों में आए थे. 1957 की फिल्म “अब दिल्ली दूर नहीं” से उन्होंने एक बाल कलाकार के रूप में काम करना शुरू किया था. इसके बाद साल 1973 में उन्होंने फिल्म “हिंदुस्तान की कसम” से एक अभिनेता के तौर पर काम करना शुरू किया. इसके बाद आई 1975 में फिल्म “शोले”. इस फिल्म ने अभिनेता अमजद खान को हिन्दी फिल्मों का “गब्बर सिंह” बना दिया. “शोले” में उन्होंने डाकू गब्बर सिंह का रोल निभाया था. इस फिल्म के संवादों में गब्बर सिंह ने ऐसी जान फूंकी की आज भी इसके संवाद दर्शकों की पसंद बने हुए हैं. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र के होने के बाद भी दर्शकों ने अमजद खान के अभिनय को भी सराहा. फिल्म “शोले” अमजद खान के कॅरियर की अहम फिल्म रही है.
“शोले” के बाद अमजद खान ने अधिकतर फिल्मों में निगेटिव रोल ही अदा किए. फिल्मी पर्दे पर लोग अमरीश पुरी के बाद अमजद खान को सबसे बेहतरीन खलनायक मानते हैं. अपनी अधिकतर फिल्मों में अमजद खान अमिताभ बच्चन के साथ नजर आए.
निगेटिव रोल के अलावा अमजद खान ने कुछ फिल्मों में सह अभिनेता की भी भूमिका निभाई है. फिल्म “याराना” में अमजद खान अमिताभ के दोस्त बने थे तो वहीं फिल्म “लावारिस” में वह अमिताभ के पिता और इसी तरह फिल्म “कुर्बानी” में वह एक हास्य किरदार में नजर आए थे. कमर्शियल फिल्मों के साथ अमजद खान ने कुछेक आर्ट फिल्में भी की हैं जिनमें 1984 की फिल्म “उत्सव” शामिल है.
अमजद खान ने साल 1972 में शीला खान (Sheila Khan) से शादी की थी. उनके तीन बच्चे हैं जिनमें दो बेटे और एक बेटी शामिल हैं. उनके बड़े बेटे शादाब खान(Shadaab Khan)ने कुछ फिल्मों में काम भी किया है.
साल 1986 में अमजद खान का मुंबई-गोवा रोड पर एक्सिडेंट हो गया था. इस एक्सिडेंट के बाद से ही अमजद खान का वजन बेहिसाब बढ़ने लगा. अमजद खान चाय के भी बेहद शौकीन थे. दिन भर में पच्चीस-तीस कप चाय पीने के कारण भी उनका शरीर फैलता जा रहा था. अधिक वजन बढ़ने के कारण साल 1992 में दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई. अमजद खान की कई फिल्में उनकी मौत के बाद रिलीज हुईं. जिस समय अमजद खान को दफनाने के लिए ले जाया जा रहा था तब उनके पाली हिल में उनके घर से लेकर बांद्रा ईस्ट तक फिल्मी सितारों का पूरा रेला उनकी अंतिम यात्रा में साथ था. सभी बड़े अभिनेता उनकी शवयात्रा में शामिल हुए थे.
आज हिन्दी सिनेमा में खलनायकों की कमी खल रही है. हाल के समय में ऐसा कोई खलनायक नहीं है जो पर्दे पर खलनायक का वही जादू फैला सके जो कभी अमजद खान ने फैलाया था.
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