पर्दे से असल जिन्दगी में उतरता किरदार
एक अभिनेता या कलाकार न सिर्फ पर्दे पर ही दिखता है बल्कि उसकी अपनी भी एक पर्सनल लाइफ होती है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि पर्दे पर काम करते-करते कई कलाकारों का चरित्र उनकी असल जिंदगी में भी उतरने लगता है. और जनता भी उन्हें उनके उसी रुप में पहचानने लगती है जिसे वह पर्दे पर देखती है.
अक्सर यह कहा जाता है कि कलाकार असल जिंदगी में बडे जिद्दी और घमंडी होते हैं लेकिन कई बार यह व्यवहार में इसलिए भी आ जाता है क्योंकि घंटों पर्दे पर उसी स्वभाव को करते-करते वह चरित्र को अपनाने लगते हैं.
अगर आप बैड मैन शक्ति कपूर या गुलशन ग्रोवर को देखें तो समझने में आसानी होगी कि किस तरह पर्दे का किरदार असल जिंदगी में भी उतर जाता है. और भी कई नाम हैं जिनकी छवि जैसे फिल्मी पर्दे पर होती है वैसा ही इनके चरित्र भी आता है.
दिन भर एक ही चरित्र को निभाते-निभाते वह खुद को एक खास इमेज में बांध लेते हैं. इसमें नकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही किरदार आते हैं. शाइनी आहुजा हों या सलमान खान या आमिर की पर्फेक्शन वाली इमेज पर्दे के साथ असल जिंदगी में भी नजर आती है.
पॉजिटिव इमेज तो चल जाता है लेकिन जब कोई कलाकार निगेटिव इमेज को अपनी असल जिंदगी में उतार लेता है तो जनता उसे एक सिरे से नकार देती है. इसका सीधा उदाहरण आप शाइनी आहूजा, शक्ति कपूर या अन्य ऐसे कलाकारों में पा सकते हैं जो किसी न किसी स्कैंडल में फंस कर अपने फिल्मी कॅरियर को बर्बाद कर चुके हैं.
लेकिन कुछ भी हो एक कलाकार अपने अभिनय को पर्दे पर उतारने के लिए बहुत मेहनत करता है, पर बाजारवाद और अन्य कारणों से कई बार वह फिल्मी चरित्र को अपने असल जिंदगी में भी ला बैठता है जो कई बार अच्छे फल देता है तो कई बार बुरे परिणाम.
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