जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले के बाद से ही देशभर में रोष, आक्रोश, शोक और गुस्से की लहर है। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के अधिकतर जवान छुट्टियां बिताने के बाद ड्यूटी पर लौट रहे थे और उनके साथ ये त्रासद और भयानक घटना हुई और 40 जवानें को मौत हो गई। बॉलीवुड में इंडियन आर्मी की विलक्षण परिस्थितियों को रुपहले पर्दे पर दिखाया गया है। इसके अलावा कई विज्ञापन ऐसे भी हैं जिनमें सैनिकों के देश के प्रति समर्पण और जुनून को दिखाने की कोशिश की गई है। ऐसे में चलिए हम आपको मिलवाते हैं कुछ खास विज्ञापनों से दिन्हें देखकर आप भी हो जाएंगे इमोशनल।
अक्षय कुमार फौजियों के साथ
इस विज्ञापन में अक्षय कुमार फौजियों के साथ वक्त बिताते हुए देखे जा सकते हैं। बातचीत से साफ जाहिर होता है कि ज्यादातर जवान घर के खाने को काफी मिस करते। ऐसे में अक्षय उनके लिए खाना बनाते हैं और उन्हें हम सबका ख्याल रखने के लिए धन्यवाद देते हैं।
सैनिक कभी अपनी ड्यूटी से नहीं घबराता
इसे भारतीय सेना पर बने सबसे बेहतरीन विज्ञापन में शुमार किया जा सकता है. इस एड के सहारे कोका कोला ने भारतीय सेना को ट्रिब्यूट दिया है। जैसलेमर की चिलचिलाती गर्मी हो या कश्मीर की कंपा देने वाली ठंड, एक सैनिक कभी अपनी ड्यूटी से नहीं घबराता। बैकग्राउंड में गिटार की ट्यून पर चलता ‘सारे जहां से अच्छा’ किसी भी इंसान को इमोशनल करने का माद्दा रखता है।
जो देश की ड्यूटी हो उसकी ड्यूटी सबसे पहले करो
ह्यूंडई सैंट्रो के इस विज्ञापन को काफी इमोशनल टच दिया गया है और ये काफी लोकप्रिय विज्ञापन भी है। विज्ञापन में ‘रंग दे बसंती’ फेम एक्टर अतुल कुलकर्णी एक आर्मी ऑफिसर की भूमिका में नज़र आए। इसमा दिखाया गया है कैसे एक आदमी अपना इंटरव्यू छोड़कर आर्मी जवान को समय पर पहुंचाता है। इस विज्ञापन का सार यही था, ‘जो देश की ड्यूटी पर जा रहा हो, उसकी ड्यूटी सबसे पहले करो’।
देश सबसे पहले सेना की तरफ ही देखता है
एक्शन से भरपूर इस विज्ञापन में सेना के कुछ जवान भारी बारिश और जलप्रलय के बीच कुछ बच्चों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। तभी वहां मौजूद एक औरत एक शख़्स से मदद मांगती है जो बजाज की बाइक पर सवार है। विज्ञापन भले ही बजाज बाइक का हो लेकिन ये एड देखकर एक बार फिर साफ हो जाता है कि भयानक आपदा की स्थिति में सरकार और देश सबसे पहले सेना की तरफ ही देखता है।
मांओं और उनके फौजी बच्चों का मिलन
फॉर्चून के इस विज्ञापन में मांओं और उनके फौजी बच्चों का मिलन देखने को मिलता है। बॉर्डर पर तैनात इन बच्चों से मिलने को तरसती मांएं जब अपने बच्चों के लिए फेवरेट डिश तैयार करती हैं और अपने बच्चों से मिलती हैं तो उनके चेहरों पर खुशी देखने लायक होती है।
देश के खातिर भूल गया घर का मौसम
‘देश की सरहद से घर की दहलीज तक जाने कितने मौसम गुज़र जाते हैं’। एक जवान जब अरसे बाद देश की सेवा करने के बाद अपने घर पहुंचता है तो उसके परिवार में कितनी ही चीज़ें बदल चुकी होती हैं। पारले जी का ये विज्ञापन परिवार के साथ महत्वपूर्ण मौकों पर न उपलब्ध रहने की उसी कसक को बयां करता है।…Next
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