कहते हैं हर कामयाब इंसान के पीछे उसकी मदद करने के लिए कई हाथ होते हैं लेकिन उन लोगों में से कोई एक ऐसा होता है जिसने किसी पत्थर को तराशकर मूर्ति बनाने जैसा काम किया होता है। फिल्म जगत में भी कुछ ऐसे ही उदाहरण देखने को मिलते हैं। अभिनेता महमूद को ज्यादातर लोग उनकी कॉमेडी के लिए जानते हैं लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि वो इंडस्ट्री में कई कलाकारों के गॉडफादर रह चुके हैं। उनमें से एक नाम है सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन। आज महमूद की पुण्यतिथि है, आइए जानते हैं उनसे जुड़ी खास बातें-
हीरो से ज्यादा फीस लेते थे महमूद
उस दौर में महमूद का जादू बॉलीवुड पर इस कदर हावी था कि उन्हें हीरो से ज्यादा फीस दी जाती थी। आज की फिल्मों में जहां कॉमेडियन को सपोर्टिव रोल के तौर पर देखा जाता है, वहीं उस दौर में फिल्म के पोस्टर पर महमूद का फोटो फिल्म हिट करवाने की गारंटी मानी जाती थी।
अमिताभ को बनाया सुपरस्टार
अपनी मेहनत से बॉलीवुड में अपनी जड़ें जमा चुके महमूद ने कई लोगों की जिंदगी बदलकर रख दी। उस लंबी लिस्ट में से एक नाम है सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का। महमूद अमिताभ को अपना दूसरा पिता कहते थे, लेकिन अमिताभ के 25वें जन्मदिन पर महमूद ने एक इंटरव्यू में कहा था।।।
‘इंसान के दो पिता होते हैं एक जो उसे जन्म देता है और दूसरा जो उसे कमाना सिखाता है। मैंने अपने बेटे अमिताभ को कमाना सिखाया, उसे फिल्में दिलाई। काम सिखाया लेकिन एक बात को लेकर मैं अमिताभ से थोड़ा नाराज हूं। जब हरिवंशजी गिरकर जख्मी हो गए थे तो वो अस्पताल में भर्ती थे। उसी के एक सप्ताह बाद मेरी भी ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी, मैं उसी अस्पताल में भर्ती था लेकिन अमिताभ मुझे देखने नहीं आया। वो जानता था कि मैं वहीं हूं, लेकिन वो मेरी खैरियत जानने के लिए नहीं आया। मुझे उस दौरान बेहद सदमा लगा था लेकिन वो मेरा बेटा है और हमेशा रहेगा।’
अपना बोरिया-बिस्तर बांधकर लौट जाना चाहते थे अमिताभ
अमिताभ ने इंटव्यू में ये बात खुद मानी थी कि उस दौर में सात हिंदुस्तानी, रास्ते का पत्थर, बंधे हाथ जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई थी। अमिताभ के पास काम नहीं था। उनका आत्मविश्वास अंदर तक हिल गया था। अपने कॅरियर को खत्म होता देखते हुए अमिताभ वापस मायानगरी से लौट जाना चाहते थे। लेकिन महमूद के बड़े भाई अनवर अली ने उन्हें रोक लिया और अपने भाई महमूद के पास ले गए। तब महमूद उनके साथ खड़े हुए और उन्हें कर्मिशयल सिनेमा का मतलब समझाया।
इस गाने में डांस नहीं करना चाहते थे अमिताभ
अमिताभ और महमूद की जिंदगी से जुड़ी एक और घटना है। ‘बॉम्बे टू गोवा’ की शूटिंग चल रही थी। ‘देखा न हाय रे सोचा न’ गाने में अमिताभ को डांस करना था, लेकिन अमिताभ को धुन के साथ थिरकना नहीं आ रहा था। अमिताभ उदास होकर अपने कमरे में चले गए। जब बहुत देर हो गई तो महमूद ने कमरे में जाकर देखा। वहां अमिताभ को 102 डिग्री बुखार था और वो रो रहे थे। उन्होंने सुबकते हुए महमूद से कहा ‘भाई जान! ये मुझसे नहीं होगा, मैं डांस नहीं कर सकता। ये सुनकर महमूद ने कहा ‘जो चल सकता है वो नाच भी सकता है’। उन्होंने अमिताभ को डांस करवाने की एक ट्रिक सोची।
अमिताभ से ऐसे कराया डांस
उन्होंने अमिताभ को कहा कि उन्हें जैसा डांस आता है वैसे ही करें। हम उसी तरह शूट कर लेंगे। दूसरी तरफ महमूद ने अपनी टीम के मेम्बर्स से कहा ‘अमिताभ जैसे मर्जी डांस करें, आप सब उसकी वाहवाही करके तालियां बजाना।’ अमिताभ ने बहुत बुरा डांस किया लेकिन सभी ने महमूद के कहे मुताबिक अमिताभ के बेकार डांस की भी तारीफ की। अपनी तारीफ होते देखकर अमिताभ में आत्मविश्वास आ गया। 1-2 टेक के बाद अमिताभ ने फिल्म में मस्त डांस किया।
महमूद अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके बारे में ऐसे कई दिलचस्प और अनसुने किस्से हैं। महमूद उस दौर में भी हीरो से ज्यादा फीस लेते थे, जहां हीरो को 60-70 हजार से संतोष करना पड़ता था वहीं महमूद को 2 लाख रुपए दिए जाते थे। आखिर में महमूद की फिल्म ‘तुमसे अच्छा कौन है’ का एक गुदगुदाता डॉयलाग…
‘मैं ऑल इन वन हूं, मैं ड्राइवर का मोटर हूं। मैं कोचवान का घोड़ा हूं। मैं माली का बगीचा हूं और मैं किचन का बावर्ची हूं’…Next
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