फिल्मी दुनिया कई किस्सों से भरी हुई है। अगर आप फिल्म जगत में थोड़ी भी दिलचस्पी रखते हैं, तो आपको ऐसे दिलचस्प और रोचक किस्से पढ़ने का भी शौक होगा। आज हम आपको बॉलीवुड के पहले डांसिंग स्टार कहे जाने वाले एक्टर भगवान दादा के बारे में बताएंगे। उनकी एक्टिंग, कॉमेडी और डांसिंग स्टाइल के आज भी लोग फैन हैं। भगवान दादा की जिंदगी पर एक बॉयोपिक भी बनी है। ‘अलबेला’ फिल्म में भगवान दादा के जीवन के कई पहलुओं को पर्दे पर उतारा गया है।
बड़े दिलवाले भगवान दादा
1947 में विभाजन के दौरान जब हिन्दू-मुस्लिम के दंगे हो रहे थे, तो भगवान दादा ने मुस्लिम कलाकारों और कई टेक्नीशियन को अपने घर में पनाह दी थी। उनका मानना था कि कलाकारों का कोई मजहब नहीं होता। उनके लिए सारी दुनिया उनका घर है, जिसमें कोई सरहद नहीं बनी।
बेस्ट सीन के लिए कुछ करने को तैयार थे भगवान दादा
भगवान दादा हॉलीवुड फिल्म एक्टर डगलस फेयरबैंक के फैन थे। वह बिना किसी बॉडी डबल के अपने स्टंट खुद ही करते थे। उनके स्टंट इतने असली लगते थे कि राज कपूर उन्हें इंडियन डगलस कहते थे। उनके द्वारा निर्देशित और निर्मित फिल्म के एक सीन में उन्हें पैसों की बारिश दिखानी थी, तो उन्होंने इसके लिए असली नोटों का इस्तेमाल किया था।
जब भगवान दादा की एक गलती की वजह से कोमा में चली गई हीरोइन
ललिता पवार की बॉयोग्राफी ‘द मिसिंग स्टोरी ऑफ ललिता पवार’ में उनसे और भगवान दादा से जुड़ा एक किस्सा है। साल 1942 में फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ के सेट पर एक सीन की शूटिंग चल रही थी। इस सीन में अभिनेता भगवान दादा को ललिता पवार को एक थप्पड़ मारना था। उन्होंने इतनी जोर का थप्पड़ मारा कि ललिता पवार गिर पड़ीं, और उनके कान से खून निकलने लगा। इसके बाद उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया। जहां वो डेढ़ दिन तक कोमा में रहीं। ईलाज से बाद वो ठीक तो हो गईं लेकिन उनकी दाहिने आंख में लकवा मार गया। लकवा तो वक्त के साथ ठीक हो गया लेकिन उनकी दाहिनी आंख पूरी तरह सिकुड़ गई और हमेशा के लिए उनका चेहरा खराब हो गया। इसके बाद ललिता को हीरोइन के रोल के बजाय नेगेटिव रोल के लिए ऑफर आने लगे। भगवान दादा को इस हादसे का ताउम्र अफसोस रहा। हालांकि, ललिता ने अपनी कड़ी मेहनत से बॉलीवुड में खूब नाम कमाया…Next
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