वो अभिनेता जिसके साथ अभिनेत्रियां काम करने के लिए मरती थी. सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन से कहीं आगे निकलने वाला वो अभिनेता, जिसने अचानक ही सबकुछ छोड़कर जाने का मन बना लिया. विनोद खन्ना की जिंदगी को समझने के लिए एक शब्द है ‘अचानक’. अचानक एक फिल्म ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया, रातों-रात स्टार बन गए और फिर अपने कॅरियर के पीक पर सबकुछ छोड़कर ओशो की शरण में अमेरिका चले गए.
बॉलीवुड में एंट्री के लिए अपनी जान पर खेल गए थे विनोद
विनोद खन्ना के पिता नहीं चाहते थे कि विनोद फिल्मों में काम करे. उनके पिता की इच्छा थी कि उनके बाद उनका बेटा ही उनका बिजनेस संभाले, लेकिन विनोद को बचपन से ही एक्टिंग का बहुत शौक था. अपने एक इंटरव्यू में विनोद ने बताया था कि एक बार उनके पिता ने उनके सीने पर बंदूक तानकर कहा था कि अगर वो फिल्मों में गए, तो उन्हें जान से मार देंगे. तब उनकी मां ने बीच-बचाव किया था. मां के समझाने पर विनोद के पिताजी इस शर्त पर राजी हुए कि अगर वो फिल्मों में कामयाब नहीं हुए, तो उन्हें वापस आकर पिता के बिजनेस में हाथ बंटाना पड़ेगा.
अमिताभ से बड़े स्टार थे विनोद खन्ना
विनोद खन्ना के निधन पर अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में लिखा था, ‘मैंने सबसे पहले उन्हें बांद्रा स्थित सुनील दत्त के ऑफिस अजंता आर्ट्स में अंदर जाते हुए देखा, जहां मैं भी अपने लिए काम मांगने की उम्मीद से गया था. मोस्ट गुड लुकिंग हैंडसम यंग मैन. उनका शरीर गठीला था, उनकी चाल की अनूठी अदा और उन्होंने एक खूबसूरत मुस्कान के साथ मेरी तरफ देखा. वह अजंता आर्ट्स में अपनी फिल्म ‘मन का मीत’ पर काम कर रहे थे और मैं एक रोल पाने के लिए संघर्ष कर रहा था,
इसके अलावा अमिताभ ने लिखा ‘वह मुझे उस समय होटल ताज में बने शहर के इकलौते नाइट क्लब में ले गए, जहां के वह सदस्य थे और मैं दूर-दूर तक इसके बारे में सोच भी नहीं सकता था.’
अमिताभ के इस ब्लॉक से पता चलता है कि विनोद अमिताभ के संघर्ष के दिनों में कितने बड़े स्टार थे.
80 के दशक के करीब फिल्म इंडस्ट्री को कहा अलविदा
मुकद्दर का सिंकदर, हेरा-फेरी, अमर अकबर अंथनी फिल्म सुपरहिट साबित हुई. जिसके बाद विनोद टॉप अभिनेताओं में सबसे ऊपर के पायदान पर काबिज हो गए, लेकिन एक दिन अचानक उन्होंने घोषणा कर दी कि वो अब कोई फिल्म नहीं करेंगे और इंडस्ट्री को अलविदा कह रहे हैं. विनोद ने अपने इस फैसले से सभी को चौंका दिया था.
5 साल बर्तन धोने के साथ किया माली का काम
विनोद 5 साल तक अमेरिका में रजनीशपुरम में रहे. वहां रहकर उन्होंने ओशो से मन की शांति के लिए काफी बातें सीखी. आश्रम में रहकर विनोद ने बर्तन धोए और माली का काम किया.
फिल्मों में वापसी
ओशो के आश्रम में रहने की वजह से उनके सम्बध पत्नी से बिगड़ गए, लेकिन कॅरियर में उनकी फिर से वापसी हुई और उन्होंने ‘इंसाफ’ और ‘सत्यमेव जयते’ फिल्म की.
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