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फिल्म शूटिंग में गलती से लगे थप्पड़ ने ललिता पवार की बदल दी जिंदगी, लव लाइफ में पति से मिला धोखा और मिलने लगे ‘विलेन’ के रोल

ललिता पवार उन अभिनेत्रियों में शामिल रही हैं, जिनका नाम ग्रे शेड या विलेन के किरदार के लिए जाना जाता है। ‘रामायण’ टीवी सीरियल में निभाया मंथरा का किरदार आज भी याद किया जाता है लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था। हिन्दी सिनेमा के शुरुआती दिनों में उन्हें बेहतरीन अभिनेत्री के तौर पर याद किया जाता था, लेकिन फिल्म के सेट पर हुए एक हादसे ने उनकी जिंदगी बदल दी।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal18 Apr, 2019

 

 

कभी स्कूल नहीं गई थी ललिता पवार
ललिता का असली नाम अंबा था। ललिता कभी स्कूल नहीं जा पाईं, क्योंकि उस समय लड़कियों को स्कूल भेजना ठीक नहीं माना जाता था। ललिता ने फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था। ललिता ने पहली बार एक मूक फिल्म में काम किया था। इस फिल्म के लिए उन्हें 18 रुपए दिए गए थे।

 

 

जब भगवान दादा की एक गलती की वजह से कोमा में चली गई हीरोइन
ललिता पवार की बॉयोग्राफी ‘द मिसिंग स्टोरी ऑफ ललिता पवार’ में उनसे और भगवान दादा से जुड़ा एक किस्सा है। साल 1942 में फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ के सेट पर एक सीन की शूटिंग चल रही थी। इस सीन में अभिनेता भगवान दादा को ललिता पवार को एक थप्पड़ मारना था। उन्होंने इतनी जोर का थप्पड़ मारा कि ललिता पवार गिर पड़ीं, और उनके कान से खून निकलने लगा। इसके बाद उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया। जहां वो डेढ़ दिन तक कोमा में रहीं। ईलाज से बाद वो ठीक तो हो गईं लेकिन उनकी दाहिने आंख में लकवा मार गया। लकवा तो वक्त के साथ ठीक हो गया लेकिन उनकी दाहिनी आंख पूरी तरह सिकुड़ गई और हमेशा के लिए उनका चेहरा खराब हो गया। इसके बाद ललिता को हीरोइन के रोल के बजाय नेगेटिव रोल के लिए ऑफर आने लगे। भगवान दादा को इस हादसे का ताउम्र अफसोस रहा। हालांकि, ललिता ने अपनी कड़ी मेहनत से बॉलीवुड में खूब नाम कमाया।

 

 

हादसे के बाद ऐसे की वापसी

ललिता ने फिर से की वापसी इस घटना के बाद ललिता पवार को काम मिलना बंद हो गया। अगले कई साल तक अपनी सेहत और हौसले को फिर से हासिल करने की कोशिश में जुटी रहीं। आखिरकार 1948 में अपनी एक मुंदी आंख के साथ निर्देशक एसएम यूसुफ की फिल्म ‘गृहस्थी’ से एक बार फिर वापसी की। अब ललिता को फिल्मों में जालिम सास के रोल मिलने लगे थे। ललिता ने किसी मौके को गंवाया नहीं। इसी के चलते उन्होंने फिल्म ‘अनाड़ी’ (1959) में दयावान मिसेज डीसा, ‘मेम दीदी’ (1961) की मिसेज राय और ‘श्री 420’ (1955) में ‘केले वाली बाई’ का किरदार निभाया।

 

 

पति को हो गया था ललिता की छोटी बहन से प्यार
रील लाइफ में सभी को परेशान करने वाली ललिता को तो उनके पहले पति गणपत ने उन्हें धोखा दे दिया था। गणपत को ललिता की छोटी बहन से प्यार हो गया था। बाद में उन्होंने निर्माता राजप्रकाश गुप्ता से शादी की। अपने करियर में 700 फिल्मों में अभिनय के जौहर दिखाने वाली इस एक्ट्रेस ने पुणे में अपने छोटे से बंगले ‘आरोही’ में आखिरी सांसे ली।…Next

 

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