अगर कोई आपसे पूछे कि फिल्मों में हीरोइन बनने के लिए कौन-सी खूबियां चाहिए, तो आपका जवाब क्या होगा जरा सोचिए!
गोरा रंग, लंबाई, सुंदर नैन-नक्श, आर्कषण व्यक्तित्व, दिलकश आवाज वगैरह-वगैरह. अब जरा इन मापदंडों से अलग हटकर सोचिए, जिस लड़की में ऐसी कोई खूबी नहीं है क्या वो फिल्मों में ही हीरोइन यानि नायिका नहीं बन सकती?
असल में फिल्मी दुनिया या फिर ये कहें कि हर क्षेत्र में कोई न कोई ‘स्टीरियोटाइप’ बने हुए हैं. रंग-रूप को लेकर फिल्मी दुनिया में कई ‘स्टीरियोटाइप’ देखने को मिलते हैं. इस चकाचौंध भरी मायानगरी में ऐसे लोग कम ही होते हैं, जो इन ‘स्टीरियोटाइप’ को तोड़कर अपनी एक खास जगह बनाते हैं. ऐसी ही अभिनेत्री जिनकी एक्टिंग इतनी दमदार थी कि उन्होंने फिल्म जगत की पुरानी परिभाषाओं को बदलकर रख दिया.
‘स्मिता पाटिल’ जिनके तीखे नैन-नक्श और सांवले रंग के आगे कई अभिनेत्रियां फीकी दिखाई देती थी. उनकी जबर्दस्त एक्टिंग ने उन्हें 70-80 की दशक की टॉप अभिनेत्रियों में खड़ा कर दिया था, लेकिन इतनी दमदार एक्टिंग के बावजूद स्मिता को एक फेस्टिवल के दौरान एंट्री नहीं दी गई थी क्योंकि वो दूसरी अभिनेत्रियों जैसी नहीं दिखती थीं.
बचपन की कालूराम बन गई फिल्मों में ‘डस्की क्वीन’
स्मिता अपनी तीन बहनों में सांवली थी. उनकी दोनों बहनें उनकी मां की तरह गोरी थी. जबकि स्मिता अपने पिता पर गई थी. उनके पिता का रंग सांवला था, इस वजह से स्मिता की मां, अपने पति को कृष्ण कहकर बुलाती थी. स्मिता का रंग सांवला लेकिन नैन-नक्श तीखे थे, इसलिए उनकी मां उन्हें प्यार से काली या कालूराम कहकर बुलाती थी. बड़े होकर स्मिता के रंग-रूप और एक्टिंग ने बॉलीवुड में एक नया मुकाम बनाया.
नेशनल अवार्ड जीतने के बावजूद नहीं मिली फिल्म फेस्टिवल में एंट्री
स्मिता पाटिल की बॉयोग्राफी ‘A Brief Incandescence’ में उनकी जिंदगी से जुड़ा एक किस्सा लिखा हुआ है.
1980 में एक बार दिल्ली फिल्म फेस्टिवल के दौरान स्मिता की फिल्म ‘चक्र’ भी स्क्रीनिंग होनी थी. वो अपनी बहन अनीता और दोस्त पूनम ढिल्लों के साथ फेस्टिवल के लिए गई, लेकिन तीनों गलती-से अपना डेलीगेट बैज नहीं लेकर आईं थीं. जब स्मिता और पूनम ने सिक्योरिटी को बताया कि वो अभिनेत्रियां हैं, तो पूनम को अन्दर जाने दिया गया, पर स्मिता को रोक लिया गया. सिक्योरिटी वालों का कहना था कि स्मिता फिल्म स्टार जैसी नहीं लगती.सबसे हैरानी की बात ये है कि स्मिता एक नेशनल अवार्ड जीत चुकी थीं. जिसके लिए उन्हें काफी तारीफें भी मिल चुकी थी.
इस घटना को स्मिता ने दिल पर नहीं लिया और हंसी में टाल दिया. उनके अनुसार ये सोच दुनिया में ज्यादातर लोगों की हैं, तो इस घटना के लिए सिर्फ उस सिक्योरिटी गार्ड को ही क्यों जिम्मेदार ठहराया जाए.
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