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‘कितने आदमी थे’ से लेकर ‘क..क..क किरन तक’ बॉलिवुड के बेस्ट डायलॉग


बॉलिवुड एक ऐसी जगह है जहां सपने बिकते हैं जहां हम सभी के सपने बिकते हैं. इस मायानगरी की हर अदा फिर चाहे वह पहनावा हो या बोल आम जनता ने अपनाने की भरपूर कोशिश की. और आखिर ऐसा हो भी क्यों ना जब भारत और आस-पास के देशों में मनोरंजन के क्षेत्र में सबसे ज्यादा विश्वास बॉलिवुड पर ही किया जाता है.

बॉलिवुड का पहनावा और स्टाइल तो हमेशा से फैशन में रहता है पुराने पहनावे भी कई बार वापस आ ही जाते हैं लेकिन बॉलिवुड ने इसके साथ कुछ ऐसे बोल भी दिए हैं जो आज भी लोगों की जुबानी सर चढ़ कर बोलते हैं.

आज के इस ब्लॉग में हम कुछ ऐसे ही डायलॉग के बारे में आपको रुबरु कराएंगे जिन्होंने सिनेमा जगत में अभी तक हलचल मचा रखी है.

01. कितने आदमी थे रे कालिया (शोले): भारतीय सिनेमा जगत की सबसे कामयाब फिल्म का यह डायलॉग “कितने आदमी थे रे कालिया” आज भी फिल्मी दुनिया और आम जनता के मुंह से सुना जा सकता है. 1975 की इस सुपरहिट फिल्म में वैसे तो और भी कई मशहूर डायलॉग हैं लेकिन जिस डायलॉग को आज भी लोग अपनी पहली पंसद बताते हैं वह यही है. गब्बर सिंह की भूमिका में अमजद खान ने इस बोल को बोला था.

शोले फिल्म के ही कुछ अन्य डायलॉग जैसे “बंसती इन कुत्तों के सामने मत नाचना” “पचास-पचास कोस दूर गाँव में जब बच्चा रोता है तो माँ बोलती है सो जा, नहीं तो गब्बर आ जाएगा ”और “चल धन्नो आज तेरी इज्जत का सवाल है” भी बेहद लोकप्रिय है.

1979_don2.  डॉन को पकडना मुश्किल ही नही नामुमकिन है(डॉन): 1978 में अमिताभ बच्चन की एक और कामयाब फिल्म “डॉन” का यह डायलॉग जब भी लोग बोलते हैं तो लोगों को वही अमिताभ बच्चन याद आ जाते हैं. साथ ही यह डायलॉग मुजरिमों का तो सबसे फेवरेट डायलॉग है.

3.  मेरे पास मां हैं (दीवार): शशि कपूर द्वारा बोला गया फिल्म दीवार का यह डायलॉग कितना लोकप्रिय है इसका पता इसी बात से चलता है कि यह डायलॉग आज भी अनेक फिल्मों में बोला जाता है और मीमिक्री करने वालों की पहली पसंद है यह. इसी फिल्म का एक और डायलॉग “…….मेरे बाप चोर हैं” भी बहुत लोकप्रिय हुआ था.

20050112051449amrish-puri-14. मोगैंबो खुश हुआ (मिस्टर इंडिया): मि. खलनायक अमरीश पुरी ने मिस्टर इंडिया में यह डायलॉग बोल कर फिल्म जगत में हलचल ही मचा दी थी. एक तो मोगैंबो का किरदारऔर ऊपर सेयहडायलॉग. लोग इस फिल्म को देखने के बाद बाहर निकलने पर इसी डायलॉग को दोहरा रहे थे.

trial25. तारीख पर तारीख तारीख पर तारीख….(दामिनी): सन्नी देओल ने वैसे तो कई जानदार डायलॉग बोले हैं लेकिन जिस डायलॉग और फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार तक मिला वह यही था. आज भी जब कभी लोगों को न्याय मिलने में देर होती है तो उन्हें यह डायलॉग जरुर याद आता है. और यही नहीं आम जनता तो इसे कई बार अदालत में बोल भी चुकी है.

इसी फिल्म का एक और मशहूर डायलॉग “जब यह ढाई किलो का हाथ किसी पर पड़ जाता है तो आदमी उठता नहीं, उठ जाता है ” भी बहुत लोकप्रिय है.

p6.  अनारकली सलीम की मोहब्बत तुम्हें मरने नहीं देंगी और हम तुम्हे जीने नहीं देंगे (मुगले-आज़म): अपने समय की सुपरहिट फिल्म मुगले-आजम का यह संवाद भी बेहद लोकप्रिय है.  पृथ्वीराज कपूर का यह संवाद जब भी सिनेमा घरों के सुनहरे परदे पर गूंजता था तो लोग तालियां बजाकर झूम उठते थे.

7. दोस्ती में नो सॉरी, नो थैंक्यू (मैंने प्यार किया): सलमान खान द्वारा बोला गया यह डायलॉग आज भी हम सभी अक्सर बोलते नजर आते हैं. वैसे जिस अंदाज में सलमान ने यह डायलॉग बोला था उसी की वजह से यह डायलॉग इतना लोकप्रिय हुआ था.

dilwale-dulhania-le-jayenge-watchmoviesworld8. बड़े-बडे़ शहरों में छोटी-छोटी बातें तो होती ही रहती हैं (दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे): किंग खान की सुपरहिट फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे का यह डायलॉग आज भी कई लोग बोलते हैं और खासकर आम जनता के लिए तो हर छोटी-मोटी बात पर निकलने वाला संवाद बन गया है.

9.  रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं लेकिन नाम है शहंशाह (शहंशाह): बिग बी ने कई फिल्मों में अभिनय किया है लेकिन उन्हें सही पहचान शहंशाह फिल्म के इस डायलॉग के बाद ही मिली. यह डायलॉग सुन जब दर्शक बाहर आए तो उनकी जुबान पर यह डायलॉग चढ़ चुका था.

इसके साथ ही कुछ अन्य डायलॉग जैसे राजेश खन्ना द्वारा बोला गया “आई हेट टीयर्स पुष्पा (अमर प्रेम)”; राजकुमार का “जिनके अपने घर शीशे के होते हैं, वे दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते” (वक्त); शाहरुख खान का ट्रेड मार्क डायलॉग “क..क..का.किरन” और “राहुल नाम तो सुना होगा ?” और “कौन कमबख्त बरदास्त करने के लिए पीता है”; जैसे डायलॉग लोगों की जुबान पर चढ़े थे.

एक समय था जब फिल्म देखने आए हुए दर्शक बोलते थे ‘क्या डायलॉग मारा है‘, लेकिन आज यह लाइन सुनने को ही नहीं मिल रही क्योंकि आज की फिल्मों में संवाद कम ही मिलते हैं और संवाद के नाम पर फुहड़पन ज्यादा होता है.

इसकी एक वजह है हमारे पास जावेद अख्तर, जयदीप शाहनी, संजय मासूम को छोड़कर अच्छे डायलॉग राइटर्स की कमी. वक्त के साथ इनपर भी वही परोसने का दबाव है जो डायरेक्टर इन्हें कहता है.

साथ ही आजकल के अभिनेताओं के अभिनय और डायलॉग डिलवरी की तो हालत इतनी खराब है कि अपनी ही फिल्म के डायलॉग इन्हें याद नहीं रहते. कभी था जमाना जब राजकुमार, नसरुद्दीनशाह, नाना पाटेकर, शत्रुध्न सिंहा, सन्नी देओल जैसे कलाकारों की फिल्में कहानी की वजह से नहीं बल्कि उनके दमदार डायलॉग से चलती थीं.

आज ऐसे कलाकारों की गिनती ना के बराबर है. आज फिल्म जगत में ओमपुरी, मनोज बाजपेयी, इरफान खान जैसे चन्द कलाकार ही रह गए हैं जिनके डायलॉग में दम दिखता है.

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