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भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज सत्यजीत रे की वो दमदार फिल्में, जिन्हें एक बार तो जरूर देखना चाहिए

बॉलीवुड में ऐसे बहुत कम कलाकार हैं, जिनकी पहचान उनके नाम से नहीं बल्कि उनके उम्दा काम से होती है। आप जब भी उनके अभिनय से सजी कोई फिल्म देखेंगे, तो आप उस फिल्म के बारे में ज्यादा जानकारी खुद सर्च करने लग जाएंगे। सत्यजीत रे की फिल्में भी ऐसी ही दमदार फिल्मों में शामिल हैं, जिनकी तारीफ विदेशों में भी होती है। सत्यजीत रे भारतीय सिनेमा के एकमात्र ऐसे कलाकार हैं, जिन्हें पद्मश्री से पद्म विभूषण तक और ऑस्कर अवार्ड से लेकर दादासाहेब फाल्के पुरस्कार व 32 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का गौरव मिला है। आज के दिन सत्यजीत दुनिया को अलविदा कह गए थे, ऐसे में आइए याद करते हैं, उनकी ऐसी उम्दा फिल्मों को जिनकी आज दशकों बाद भी तारीफ होती है।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal23 Apr, 2019

 

‘शतरंज के खिलाड़ी’ फिल्म का दृश्य

 

 

अपू ट्रायोलॉजी

 

 

इस फिल्म को तीन भागो में बनाया गया था। पहला भाग पत्थर पंचली दूसरा भाग अपराजितो और तीसरा भाग द वर्ल्ड ऑफ अपू था। फिल्म के तीनों भागों को देशभर में काफी पसंद किया गया था। इस फिल्म से भारतीय सिनेमा के लिए अंतराष्ट्रीय कला क्षेत्र के भी दरवाजे खुल गए थे।

 

महानगर

 

इस फिल्म में सत्यजीत रे ने बड़ी खूबसूरती से बड़े शहरों की में रहने वाले लोगों के लिये गुजर-बसर करना कितना मुश्किल होता है। साथ ही ये फिल्म ये भी बताती है कि किस तरह से बड़े शहर में रहने वाली महिलाएं ऑफिस में काम करने के साथ घर के काम भी बड़ी सहजता से करने में सक्षम होती हैं।

 

चारूलता

 

इस फिल्म को अपने समय के आगे की फिल्म माना जाता है। फिल्म में महिला के व्यभिचार और अकेलेपन को बहुत सहजता से बताती है। फिल्म में एक महिला के अकेलेपन को दिखाया गया है। फिल्म की कहानी यह है कि एक महिला अपने मेंटर से प्रेम में पड़ जाती है और मेंटर उनके पति का चचेरा भाई होता है।

 

शतरंज के खिलाड़ी

 

यह फिल्म हिंदी भाषा में बनाई गई सत्यजीत दा की एकलौती फिल्म थी। फिल्म की कहानी अवध के आखिरी मुगल वाजिद अली शाह और उनके शासन के पतन पर फिल्माई गई थी। फिल्म का केंद्र संवेदनशील न रखकर हल्के-फुल्के अंदाज में रखा गया। फिल्म में उनके मंत्रियों की कहानी बताई गई जिनको शतरंज खेलने की जिद रहती है और वो इसे आनंदित हो कर खेलने के लिए महफूज जगहों की तलाश करते रहते हैं। फिल्म में मुख्य किरदार अमजद खान, संजीव कुमार और सहीद जाफरी ने निभाया था।

 

पाथेर पांचाली

 

फिल्म की कहानी ग्रामीण बंगाल के निश्चिंदीपुर गाँव मे सन 1910 से शुरू होती है। वहां हरिहर रॉय (कानू बनर्जी) नाम का आदमी पुजारी के रूप मे काम करता है, लेकिन वह अपना भविष्य एक कवि और नाटककार के रूप मे देखता है।…Next

 

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