जब भी बात 60-70 के दशक के कलाकारों की होती है, तो ऐसे सितारों का नाम जरूर लिया जाता है जो फिल्मों में अपने अलग हटकर रोल और चार्मिंग फेस के लिए जाने जाते हैं। मौसमी चटर्जी एक ऐसी ही अभिनेत्री हैं, जो फिलहाल राजनीति में अपनी पारी शुरू कर चुकी हैं। अब ऐसे में देखना यह है कि राजनीति में मौसमी अपना जादू कितना चला पाती हैं। आज उनका जन्मदिन है, आइए जानते हैं उनके फिल्मी सफर से जुड़ी खास बातों को।
शादी के बाद फिल्मों में शुरू किया था काम
मौसमी चटर्जी का जन्म 26 अप्रैल 1948 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता प्रांतोष चट्टोपाध्याय आर्मी ऑफीसर थे। मौसमी का असली नाम इंदिरा चटर्जी है। बंगाली फिल्मों के डायरेक्टर तरुण मजूमदार ने उनका नाम बदलकर मौसमी रख दिया था। उन्होंने कम उम्र में ही प्रोड्यूसर जयंत मुखर्जी से शादी की। मौसमी और जयंत की दो बेटियां हुईं- पायल और मेघा। पहली बेटी के जन्म के वक्त उनकी उम्र केवल 18 साल थी। मौसमी ने शादी के बाद ही हिन्दी फिल्मों में काम करना शुरू किया।
बालिका वधू से फिल्मों में की थी एंट्री
मौसमी ने साल 1967 में बंगाली फिल्म बालिका वधू से डेब्यू किया था, जबकि हिन्दी सिनेमा में उनकी पहली फिल्म अनुराग थी जो कि साल 1972 में रिलीज हुई थी। इसके अलावा उन्होंने रोटी कपड़ा और मकान, बेनाम, सबसे बड़ा रुपया, स्वर्ग नरक, घर एक मंदिर जैसी कई सुपरहिट फिल्में कीं।
फिल्म के सेट पर हो गया था ऐसा हादसा
फिल्म रोटी कपड़ा और मकान (1974) की शूटिंग के दौरान मौसमी चटर्जी प्रेग्नेंट थीं। शूटिंग के दौरान उनके ऊपर ढेर सारा आटा गिर गया। अपनी हालत देखकर मौसमी चटर्जी रोने लगीं। मौसमी के मुताबिक, ‘उस वक्त मैं प्रेग्नेंट थीं और नीचे गिरने से ब्लीडिंग होने लगी थीं। मुझे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। मैं खुशकिस्मत थी कि मैंने बच्चे को नहीं खोया।’
इमोशनल रोल में रोने के लिए नहीं पड़ती थी ग्लिसरीन की जरूरत
मौसमी चटर्जी को इमोशनल रोल करने में इतनी महारत हासिल थी, कि उन्हें रोने के लिए ग्लिसरीन की जरूरत नहीं पड़ती थी। इस वजह से उनके साथ काम करने वाले कई सितारे उन्हें ‘मैडम नो ग्लिसरीन’ नाम से पुकारा करते थे।…Next
Read More :
Read Comments