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धमाकों पर संजीदा हुई मायानगरी


Amitabh bachchan on Twitter 13 जुलाई, 2011 को मुंबई में हुए धमाकों के बाद भारतीय राजनेताओं ने कई ऐसे बयान दिए जिससे देश शर्मसार हुआ. दिग्विजय सिंह और राहुल गांधी जैसे नेताओं के बयानों से लगा कि उनके लिए अब यह धमाके आम हो गए हैं. लेकिन इसके विपरीत बॉलिवुड के सितारों ने बमकांड पीड़ितो के प्रति अधिक सहानुभूति दिखाई. बॉलिवुड के सितारों का धमाके के बाद इस तरह की प्रतिक्रिया दिखाना दर्शाता है कि कहीं ना कहीं बॉलिवुड समाज के प्रति सजग है और वह देश के भविष्य के बारे में भी सोचता है.


जहां एक तरफ धमाके होने के बाद भी एक केन्द्रीय मंत्री ने अपनी बेटी के फैशन शो को जारी रखा वहीं दूसरी और अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन ने फ्रांस की सरकार की ओर से दिए जाने वाले “नाइट ऑफ द ऑर्डर ऑफ आर्टस एंड लेटर्स” सम्मान को स्थगित कर दिया. अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन ने कहा कि हम विस्फोट की खबर से हतप्रभ हैं. हमारी दुआएं पीडि़तों के साथ हैं.


Bollywood मुंबई पर हुए हमले के बाद बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने इस बात पर जोर दिया कि बढ़ते खतरे के मद्देनजर देश के हर नागरिक को अपनी रक्षा खुद करना सीखना होगा. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि हम में से हर नागरिक को पुलिस का काम करना होगा. आप अपने आस-पास देखें, ध्यान दें, नजर रखें ताकि हर कदम पर खतरे को महसूस करके उसकी जानकारी दे सकें.


मुंबई हमलों की कड़ी आलोचना करते हुए अभिनेत्री रवीना टंडन का कहना है कि अब सरकार को जागना चाहिए. उन्होंने तो कसाब और अफजल गुरु के प्रति सरकार के रवैये पर भी सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि क्या अब हमारी सरकार जागेगी? हम अब भी अफजल गुरु और कसाब को अपना मेहमान बनाए हुए हैं ! हम इस तरह के आतिथ्य से आतंकवादी संगठनों को क्या संदेश दे रहे हैं?


फिल्म “मर्डर 2” के निर्माता महेश भट्ट 13 जुलाई को ही फिल्म की सफलता के लिए एक पार्टी देने वाले थे लेकिन विस्फोट की खबर के बाद उन्होंने अपना कार्यक्रम स्थगित कर दिया था.


बॉलिवुड का इस तरह से एक विस्फोट के बाद सजग होना समाज के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा सकता है. इससे पहले भी कई बार अहम सामाजिक मुद्दों पर बॉलिवुड की हस्तियों ने कंधे से कंधा मिलाकर चलने की आवाज बुलंद की है, जिसके परिणाम सकारात्मक ही रहे हैं. माया नगरी के निवासी होने के नाते फिल्मी सितारों का यह दायित्व भी बनता है कि वह अपने शहर के पीड़ितों के दुख में शामिल हों और जहां तक हो सके उनकी सहायता करने की कोशिश करें.


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