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क्या क्रिकेट काल है सिनेमा के लिए


कभी ऐसा भी होगा कि किसी फिल्म की पूर्वघोषित रिलीज की तारीख देख कर क्रिकेट व‌र्ल्ड कप या आईपीएल के आयोजक अपने मैच की तारीख बदल दें या उस तारीख के पहले से ही कोई मैच न रखें? फिलहाल इसकी कोई संभावना नहीं बनती, क्योंकि हम देख रहे हैं कि क्रिकेट मैचों के डर से फिल्मों की रिलीज आगे-पीछे खिसकाई जा रही है. इस साल 19 फरवरी को व‌र्ल्ड कप आरंभ हुआ. उसके ठीक एक दिन पहले विशाल भारद्वाज की फिल्म 7 खून माफ रिलीज हुई. फिल्म को दर्शकों ने एक सिरे से नकार दिया. कुछ ट्रेड पंडितों और प्रियंका चोपड़ा को लगता है कि व‌र्ल्ड कप ने उनके दर्शकों को घरों में बांध लिया. हालांकि इस धारणा का कोई प्रमाण नहीं है, फिर भी हर फ्लॉप के दस कारण होते हैं और व‌र्ल्ड कप तो एक ठोस कारण बनता ही है.


ENTERTAINMENTलेकिन इस फिल्म के बाद आई तनु वेड्स मनु ने पर्दे पर अच्छा बिजनेस किया. 7 खून माफ और तनु वेड्स मनु के विपरीत बिजनेस के बावजूद सच यही है कि व‌र्ल्ड कप ने हिंदी फिल्मों के कारोबार पर ओलों की बौछार कर दी और हिंदी ही नहीं अन्य भाषाओं की फिल्मों पर भी गंभीर असर देखने को मिला है.  तमिल और तेलुगू भाषाओं की फिल्में भी रिलीज के लिए जमा हो गई हैं.

अगर इस हफ्ते की बात करें तो दो फिल्में रिलीज होंगी जिसमें से एक “फालतू” है और दूसरी “गेम”. इस हफ्ते इन्हें व‌र्ल्ड कप के फाइनल की मार शनिवार को झेलनी होगी, लेकिन उसके बाद के पांच दिन इन्हें व्यापार के लिए मिल जाएंगे, बशर्तें दर्शकों को दोनों फिल्में पसंद आएं. अभी से कुछ भी कह पाना मुश्किल है. हां, फिल्में न चलने पर अभिषेक बच्चन और जैकी भगनानी व‌र्ल्ड कप के फाइनल का बहाना गढ़ सकते हैं.


लेकिन इसके पीछे की वजह को समझना बहुत जरुरी है. सिनेमा और क्रिकेट भारत में एक मीडिल क्लास जनता के लिए मनोरंजन का सबसे आसान और सस्ता माध्यम है. दोनों की लोकप्रियता अविश्वसनीय है. लोग इसके लिए दीवाने भी हैं तो वक्त पड़ने पर इसके दुश्मन भी बन जाते हैं. फिल्में तो साल भर रिलीज होती हैं और उन्हें बाद में भी देखा जा सकता है, इसलिए क्रिकेट मैच के सामने दर्शक सिनेमा को दरकिनार कर देते हैं. उनके इस रवैये को देखते हुए निर्माता और वितरक डर जाते हैं. वे बड़ी और अच्छी फिल्मों को भी रिलीज करने का रिस्क नहीं लेते. लेकिन बेहतर होगा कि अगले साल से निर्माता क्रिकेट से डरना छोड़ें और दर्शकों की प्राथमिकता पर यकीन करते हुए अपनी फिल्में रिलीज करें. आखिरकार तनु वेड्स मनु का उदाहरण हमारे सामने है. फिल्म अच्छी होगी, तो जरूर चलेगी.


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