लोगों का इंतज़ार हुआ खत्म! और फैल गई सलमान खान की दबंगई. पहले ही दिन दबंग ने कर दिया 14.5 करोड़ का बिज़नेस और अब तक कर चुकी है 48 करोड़ का बिज़नेस. मतलब तीन दिन में 3 इडियट्स से भी ज़्यादा कमायी.
“चुलबुल पांडे” के रोल में सलमान खान तो बहुत भाए, साजिद-वाजिद के संगीत को भी लोगों ने खूब सराहा और सभी के जुबान पर है “तेरे मस्त-मस्त दो नैन” जो उड़ा ले जा रहे हैं सब का चैन. परन्तु क्या वास्तव में दबंग की यह सफलता न्यायसंगत है? क्या खास है बालीवुड की इस फिल्म में जो दर्शक इसकी खूब प्रशंसा कर रहे हैं.
अगर हम दबंग की समीक्षा करें तो हमको इसे दो पहलुओं से देखना होगा. पहला जो दर्शक चाहते हैं और दूसरा एक आलोचक की दृष्टि से जहाँ फिल्म के हर एक पहलुओं को तोला जाता है.
पहला पहलू
अगर हम पहले पहलू से दबंग का आकलन करें तो रोचक कहानी, दमदार एक्शन व मजेदार रोमांस की छौंक है दबंग. इंस्पेक्टर चुलबुल पांडे के रूप में सलमान खान के गेटअप को देख ऐसा प्रतीत होता है कि वास्तव में सलमान खान हैं दरोगा बाबू. फिल्म की कहानी में सलमान खान को उत्तरप्रदेश के लालगंज का पुलिस इंस्पेक्टर दिखाया है जिसके दो पक्ष हैं.पहला एक भ्रष्ट पुलिस वाला और दूसरा खतरों से खेलने का शौकीन. एक हीरो को नेगेटिव और पॉजिटिव रूप में दिखाने का अच्छा प्रयास किया गया है. इसके अलावा जिस तरह से उत्तरप्रदेश के लालगंज को दर्शाया गया है वह काबिले तारीफ़ है क्योंकि पूरी फिल्म में उत्तरप्रदेश के गांव की झलक साफ़ उभर कर सामने आती है.
अपनी पहली फिल्म में निर्देशन कर रहे अभिनव कश्यप को शायद पता था कि दर्शक क्या चाहते हैं तभी तो दबंग में एक्शन की कमी नहीं है और एक्शन भी ऐसा जो आपको ताली मारने पर मजबूर कर दे. फिल्म में चुलबुल पांडे के द्वारा की गई कॉमेडी तड़के का काम करती है. फिल्म में मसाले को तेज़ करने के लिए मलाइका अरोड़ा खान का आइटम डांस “मुन्नी बदनाम हुई” भी है, जो सबको थिरकने और सीटी मारने पर मजबूर कर देता है. अगर हम इन सब पहलुओं को जोड़ दें तो दबंग बन जाती है एक फुल मनोरंजक, मसालेदार फिल्म जिसका दर्शकों को बहुत दिनों से इंतज़ार था. इसके अलावा सल्लू भाई तो हैं ही जिनकी जनता दीवानी है जो दबंग की सफलता को और बढ़ाती है.
अपने मसाले और मनोरंजन के दम पर दबंग को मिलते हैं 5 में से 4 स्टार.
दूसरा पहलू
अगर हम फिल्म का आकलन एक आलोचक की दृष्टि से करें तो मनोरंजन और मसाले से भरपूर फिल्म दबंग की पटकथा फिल्म की सबसे कमज़ोर कड़ी है. ऐसा लगता है हम 1990 दशक की कोई फिल्म देख रहे हैं. फिल्म पूर्वावलोकन में सबने दबंग को दो भाइयों के बीच टकराव की कहानी बताया था परन्तु शायद पूरी फिल्म में 15 मिनट के अलावा कहीं ऐसा लगा ही नहीं.
फिल्म में एक्शन तो भरपूर है परन्तु वह भी चुराया गया. एक्शन सीनों को देख ऐसा प्रतीत होता है जैसे हम मैट्रिक्स, ट्रांसपोर्टर, आंग बक और हल्क जैसी हालीवुड फिल्म देख रहे हैं. फिल्म में अनुपम खेर, ओमपुरी जैसे मंझे हुए कलाकार तो हैं परन्तु सिर्फ पांच मिनट के लिए जिनको अपना अभिनय दिखाने का मौका ही नहीं मिला.
फिल्म की हीरोइन हैं सोनाक्षी सिन्हा जो आजकल बहुत चर्चा में हैं. लोगों ने उन्हें बहुत सराहा लेकिन किस चीज़ के लिए! अदाकारी तो उन्होंने की ही नहीं. कुल मिलाकर पूरी फिल्म में पांच शब्द तो उन्होंने बोले हैं. फिल्म में सलमान खान के भाई मक्खी का रोल निभाया है अरबाज़ खान ने जो फिल्म के निर्माता भी हैं और शायद यही कारण है कि वह इस फिल्म में हैं. वरना उनके अभिनय की क्या तारीफ़ करूं वह तो हैं ही मासा अल्लाह. अगर आप दबंग को एक आलोचक की नज़र से देखेंगे तो ऐसा प्रतीत होगा कि “चुराया हुआ एक्शन, कमज़ोर पटकथा और अभिनय रहित दो भाईयों के टकराव की कहानी है “दबंग.”
आलोचक के रूप में दबंग को मिलते हैं 5 में से 2.5 स्टार.
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