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पाकिस्तान में हुआ था देव आनंद का जन्म, शूटिंग के दौरान रचा ली थी एक्ट्रेस से शादी

बॉलीवुड के पहले रोमांटिक हीरो के रूप में जाने जाने वाले देव आनंद भारतीय सिनेमा के सदाबहार अभिनेता रहे हैं। देव आनंद के लाखों दीवाने थे। देव आनंद की हर एक अदा पर आहें भरती थी हसीनाएं। कहा जाता है वो जिस सड़क से होकर गुजरते थे उन्हें देखने वालों की लाइन लग जाती थी। देव आनंद अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी शानदार अदाकारी हमेशा लोगों को याद रहेगी। ऐसे में आज देव आनंद का आज 95वां जन्मदिन हैं, ऐसे में आइए जानते हैं देव साहब की जिंदगी से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं के बारे में।

Shilpi Singh
Shilpi Singh26 Sep, 2018

 

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पाकिस्तान में हुआ था देव आनंद का जन्म

 

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देव आनंद का असली नाम धर्म देवदत्त पिशोरीमल आंनद है। देव आनंद का जन्म 26 सितंबर 1923 को पंजाब के उस हिस्से में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है, उनके घर का नाम चीरू था।

 

क्लर्क का भी किया काम

 

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अभिनेता बनने से पहले देव आनंद मुंबई की एक अकाउंटेंसी फर्म में क्लर्क का काम करते थे, जहां वेतन के रूप में उन्हें केवल 85 रुपये मिलते थे। कुछ समय तक उन्होंने मिलिट्री सेंसर ऑफिस में भी काम किया।

 

अपने दौर के रोमांटिक हीरो थे देव आनंद

 

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भारतीय सिनेमा में 50-60 के दशक में तीन अभिनेताओं के नाम का डंका बजता था, दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद। दिलीप ‘ट्रैजेडी किंग’ के रूप में मशहूर थे, राज कपूर ‘शो मैन’ के रूप में जाने जाते थे। लेकिन रोमांस और स्टाइल के मामले में जिस अभिनेता का नाम उभरा वह थे ‘देव आनंद।

 

‘जिद्दी’ने दिलाई खास पहचान

 

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उनकी पहली फिल्म ‘हम एक हैं’ थी लेकिन फिल्म फ्लॉप रही और देव दर्शकों के बीच अपनी पहचान नहीं बना सके। लेकिन वर्ष 1948 में प्रदर्शित फिल्म ‘जिद्दी’ देव आनंद के फिल्मी करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई. इस फिल्म की कामयाबी के बाद उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और ‘नवकेतन बैनर’की स्थापना की।

 

गुरूदत्त को दिया पहला ब्रेक

 

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‘नवकेतन’ के बैनर तले उन्होंने वर्ष 1950 में अपनी पहली फिल्म ‘अफसर’ बनाई। हालांकि ये फिल्म पर्दे पर कुछ खास नहीं कर पाई। इसलिए उन्होंने अपनी दूसरी फिल्म की जिम्मेदारी गुरूदत्त को सौंप दी। नवकेतन के बैनर तले गुरूदत्त ने ‘बाजी’ बनाई और इस फिल्म ने पर्दे पर अच्छा काम किया।

 

सुरों की रानी सुरैया से हुआ इश्क

 

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देव और सुरैया की पहली मुलाकात एक फिल्म की शूटिंग के दौरान हुआ थी। फिल्म ‘विद्या’ की शूटिंग के दौरान सुरैया पानी में डूब रही थी और देव साहब ने अपनी जान पर खेल कर उन्हें बचाया था और यहीं से इस प्रेम कहानी की शुरूआत हुई।

 

3000 रूपये की हीरे की अंगूठी दी थी सुरैया को

 

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देव साहब केवल पर्द पर ही नहीं असल जिंदगी में भी बेहद रोमांटिक थे और इस बात का सबूत है सुरैया और उनका प्रेम। देव आनंद ने सुरैया को प्रपोज करने के लिए 3000 रूपये की हीरे की अंगूठी दी थी।

 

सुरैया की नानी ने तोड़ा ये खूबसूरत रिश्ता

 

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देव और सुरैया भले ही एक दूसरे से प्यार करते थे लेकिन सुरैया की नानी को ये रिश्ता मंजूर नहीं था। दरअसल सुरैया एक मुसलमान थीं और देव हिंदू थे इसलिए उनकी नानी ने ये रिश्ता नहीं होने दिया। सुरैया ने अपनी नानी की बात को रखते हुए ये रिश्ता खत्म कर दिया। देव से अलग होने के बाद सुरैया ने कभी शादी नहीं की।

 

फिल्म के लंच ब्रेक में कर ली थी शादी

 

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देव आनंद की शादी का किस्सा भी बेहद मशहूर है, उन्होंने साल 1954 में फिल्म की शूटिंग के दौरान लंच ब्रेक में अपनी सह कलाकार कल्पना कार्तिक से शादी कर ली थी। उनके दो बच्चे हुए, सुनील आनंद और देविना आनंद। देविना वही नाम था जो देव की शादी से पहले उन्होंने और सुरैया ने अपनी बेटी के लिए सोचा था।…Next

 

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