शीर्षक देखकर आपको लगेगा कि शायद यह किसी बच्चे या किसी आदमी की बात हो रही होगी लेकिन यहां यह बता दें कि मुन्नी का उपयोग बॉलिवुड अभिनेत्रियों और मुन्ना अभिनेताओं के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. आज के दौर में एक अनोखा सा चलन चल पड़ा है जिसमें हम देख रहे हैं कि रोज नई हिरोइनों को बॉलिवुड में बेहतरीन काम मिल रहा है वहीं पुरानी अभिनेत्रियों को जैसे भुला दिया गया है. तो वहीं अभिनेताओं के मामले में यह कथन बिलकुल उलट हो जाता है.
आज बॉलिवुड इंडस्ट्री में रानी, तब्बू, प्रीती जिंटा जैसी उम्रदराज हिरोइनों की उतनी पूछ नहीं है जितना लोग दीपिका, करीना, कैटरीना या प्रियंका को देखना चाहते हैं. वैसे इस श्रेणी में आप ऐश्वर्या, विद्या बालन आदि को अपवाद मान सकते हैं. बॉलिवुड के इस चलन को जहां कुछ जानकार महज एक संयोग मान रहे हैं वहीं बाकियों का मानना है कि जो जितना दिखता है उतना ही बिकता है. मतलब साफ है जहां एक तरफ नई हिरोइनें पर्दे पर बहुत सक्रिय रहती हैं वहीं दूसरी ओर पुरानी और थोड़ी उम्रदराज हिरोइनों की पर्दे से जैसे दूरियां बढ़ गई हैं.
अभी हाल के कुछ दिनों में तो कई पुरानी हिरोइनें फिल्मी पर्दे से दूर हो गई थीं जैसे रानी, तब्बू, सुष्मिता सेन, अमीषा पटेल, प्रीती जिंटा आदि. तो इस दूरी को हम क्या समझें ! क्या नई हिरोइनों के सामने इन पुरानी अभिनेत्रियों की चमक फीकी हो चुकी है.
समाज का वर्गीकरण और उसकी सोच को उजागर करता यह भेदभाव साफ करता है कि आज भी नारी भोग्या ही बनी हुई है. आज दर्शकों को वही हिरोइन ज्यादा दिलकश लगती है जिसकी देह छरहरी हो और जो ज्याद कमर मटका सके. दर्शकों के लिए अदाकारी से ज्यादा बोल्डनेस मायने रखती है. और ऐसे में जहां व्यावासयिक फिल्मों का चलन ज्यादा है वहां यह तो होना ही था. समाज और दर्शकों की सोच ने “जो दिखता है वही बिकता है ” के कथन को बॉलिवुड में एक बार फिर से साबित कर दिया.
अधिकतर भारतीय समाज की यह सोच रहती है कि लड़कियां जल्दी जवान और जल्दी ही कायाहीन हो जाती हैं. और शायद यही वजह है कि दर्शक पर्दे पर नई हिरोइनों के नए अंदाज को देखना चाहते हैं और समय के साथ उम्र की लड़ाई लड़ रही हिरोइनों में दर्शकों को ज्यादा रुचि नहीं होती.
वैसे एक और बात बॉलिवुड में पुरानी हिरोइनों के अस्त का कारण है, और वह है शादी के बाद खत्म होने वाला कैरियर. बॉलिवुड का तो यह रुल बहुत ही पुराना है कि अगर हिरोइन ने शादी कर ली तो उसका कैरियर द एंड. वहीं उसके उलट अभिनेताओं को हम उम्र से साथ ज्यादा मैच्योर और परिपक्व मानते हैं. उम्र का असर अभिनेताओं पर भी होता है लेकिन जब काम की बात आती है तो अभिनेताओं का कैरियर अभिनेत्रियों के मुकाबले कहीं ज्यादा चलता है.
हालांकि ऐश्वर्या राय और विद्या बालन जैसी अभिनेत्रियां आज भी दर्शकों को अपनी ओर खींचने में कामयाब रही हैं लेकिन उसके लिए भी उन्हें अपने अभिनय और रोल में बोल्डनेस लानी पड़ी है.
समाज में होने वाला यह भेदभाव बॉलिवुड में भी व्यापक तौर पर असर कर रहा है और इसे खत्म करना एक बेहद कठिन और ज्यादा समय लेने वाला है. वह जमाना गया जब लोग कहते थे ओल्ड इज गोल्ड. आज तो हर वह चीज पुरानी हो जाती है जो समय के साथ न चल पाए.
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