‘ओ गोरी मैंने प्यार तुझसे ही किया तेरे बिन जिया तो क्या जिया’ यह लगान फिल्म का गाना आपको याद होगा साथ ही मुन्नाभाई फिल्म में डॉ. सुमन का जोर-जोर से कहना मुन्ना तुम ऐसा क्यों करते हो? भी याद होगा. यह बातें आज भी आपको हंसाती होंगी और उस अभिनेत्री की ‘मुस्कान’ भी याद आती होगी जो अब भी बहुत से लड़कों के दिल पर राज करती है. हां, यहां बात फिल्म अभिनेत्री ग्रेसी सिंह की हो रही है. आज ग्रेसी सिंह का बर्थडे है. ग्रेसी सिंह उन फिल्म अभिनेत्रियों में से एक हैं जिन्होंने कामयाबी के सफर को हमेशा एक जैसा रखा है और अपनी कामयाबी को जिया है चाहे कामयाबी फिल्मों की हो या पर्सनल जिन्दगी की.
ग्रेसी सिंह के बचपन का सफर
ग्रेसी सिंह का जन्म 20 जुलाई, 1980 को दिल्ली में हुआ था. उनके पिता स्वर्ण सिंह दिल्ली में एक बड़ी प्राइवेट कंपनी में ऊंचे पद पर हैं, मां वरजिंदर कौर टीचर हैं. बचपन में मां-पिता की इच्छा थी कि खूब पढ़-लिखकर ग्रेसी सिंह इंजीनियर या डॉक्टर बनें. लेकिन पढ़ाई के बाद ही वह मॉडलिंग में आ गईं और यहीं से उनका अभिनय करने का सफर शुरू हुआ. शुरुआती भागदौड़ के बाद उन्हें टीवी शो “अमानत” में लीड रोल मिल गया. अमानत टीवी शो में उनको बेटी के रोल में देखा गया और उनके अभिनय की बेहद तारीफ की गई जिसके बाद हर भारतीय पिता उनके जैसी बेटी पाने की इच्छा रखने लगा.
“अमानत” की शूटिंग के दौरान ही उन्होंने फिल्म “लगान” का स्क्रीन टेस्ट दिया और बाद में उन्हें इस फिल्म के लिए चयन भी कर लिया गया. “लगान” से पहले ग्रेसी सिंह फिल्म “हम दिल दे चुके सनम” में भी एक छोटी सी भूमिका निभा चुकी थीं लेकिन “लगान” में पहली बार वह लीड रोल में नजर आईं. आमिर खान की फिल्म “लगान” एक सुपरहिट फिल्म साबित हुई. फिल्म की सफलता ने ग्रेसी सिंह को बॉलिवुड में खास पहचान दिला दी. सीधी-सादी व्यक्तित्व वाली ग्रेसी सिंह बॉलिवुड की अन्य अभिनेत्रियों से हटकर हैं. वह फिल्मों में अंगप्रदर्शन की जगह अभिनय को तरहीज देती हैं. और शायद यही वजह भी रही कि उन्हें ज्यादा फिल्मकारों ने अपनी फिल्मों में काम नहीं दिया.
लगान के बाद फिल्म “मुन्ना भाई एमबीबीएस” में उन्हें बतौर हीरोइन लिया गया. यह फिल्म भी एक सुपरहिट फिल्म साबित हुई. “लगान” और “मुन्ना भाई एमबीबीएस” जैसी फिल्मों ने ग्रेसी सिंह को एक हिट हिरोइन बना दिया. इसके अलावा ग्रेसी सिंह ने ‘अरमान’, ‘मुस्कान’, ‘शर्त’, ‘वजह’ जैसी फ्लॉप फिल्मों में भी अभिनय किया. शुरुआती कामयाबी को ग्रेसी सिंह अधिक समय तक बरकरार नहीं रख पाईं. हिन्दी फिल्मों के साथ-साथ उन्होंने कई अन्य भाषाई फिल्मों में भी कार्य किया है. 2003 में आई “गंगाजल” में भी ग्रेसी सिंह के अभिनय की सराहना हुई. यह उनकी आखिरी सफल फिल्म कही जा सकती है क्यूंकि इसके बाद तो उन्होंने अधिकतर फ्लॉप फिल्में ही की हैं.
पंजाबी फिल्मों से लेकर मलयालम फिल्मों तक का सफर
ग्रेसी सिंह ने हिन्दी फिल्मों में काम करने के अलावा पंजाबी, मलयालम, तेलुगू फिल्मों में काम किया. पंजाबी फिल्म ‘लख परदेशी होए’ में ग्रेसी सिंह के अभिनय की तारीफ हुई पर फिल्म कुछ खास कामयाबी नहीं पा सकी.
ग्रेसी सिंह के खास शौक
ग्रेसी सिंह को देखकर ही लगता है कि हर सॉफ्ट दिखने वाली चीज से उन्हें प्यार होगा. सॉफ्ट टॉयज से ग्रेसी सिंह को खास प्यार है. बचपन की कुछ आदतें उन्हें आज भी अच्छी लगती हैं. कार्टून फिल्म देखना उन्हें आज भी अच्छा लगता है और ग्रेसी सिंह किसी की दीवानी भी हैं और वो है गुरुवाणी. ग्रेसी सिंह को गाने सुनने से ज्यादा गुरुवाणी सुनना अच्छा लगता है.
शादी की चर्चा
ग्रेसी सिंह ने शादी तो जरूर की लेकिन फिल्म ‘मिलता है चांस बाय चांस’ के लिए और वो भी कार में क्योंकि फिल्म का सीन ही कुछ ऐसा था. अग्नि के चारों ओर फेरे लेने के लिए लाइटर जलाकर काम चलाया गया. उस सीन को ग्रेसी अपने बेहतरीन दृश्यों में से एक मानती हैं. इस सीन के बारे में ग्रेसी कहती हैं ‘दोनों प्रेमी अचानक चलती कार में शादी का फैसला करते हैं. वे एक पंडित का किडनैप करते हैं और खुली कार में लाइटर से जली आग के चारों ओर फेरे लेते हैं. चूँकि चलती कार में हमारी शादी होती है, इसलिए कई बार हम गिर पड़े और कई बार हास्यास्पद परिस्थितियां निर्मित हुईं.
कुछ खास बातें
ग्रेसी सिंह को ‘अमानत’ जैसे टीवी शो में किए गए बेटी के अभिनय पर तारीफ मिली. साल 2010 में ‘बेटी एक वरदान’ टीवी शो में भी उनके किरदार की तारीफ हुई. फिर क्या था ‘बेटी’ जैसे किरदारों से उनका नाता ही जुड़ गया और ग्रेसी सिंह ‘बेटियों को दहेज से बचाओ’ जैसे एनजीओ की डायरेक्टर बन गईं.
ग्रेसी सिंह का अंदाज ही अलग है
ग्रेसी सिंह ने भले ही कुछ हिट फिल्में की हों पर उनका अभिनय करने का अंदाज बड़ा अनोखा रहा है. ग्रेसी सिंह की कुछ हिट फिल्मों की कामयाबी का दौर लंबा चला है जैसे उनकी हिट फिल्म ‘लगान’ ऑस्कर फिल्म लिस्ट में शामिल हुई थी. ग्रेसी सिंह इस बार 32 साल की हो जाएंगी पर लगता नहीं कि उनकी मुस्कान का असर कुछ कम हो पाएगा.
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