हिन्दी फिल्में बिना खलनायक के अधूरी लगती हैं. जब तक फिल्म में हीरो खलनायक की पिटाई ना करे तब तक दर्शकों को देखने में मजा नहीं आता. आज बेशक फिल्मों में खलनायक कम देखने को मिल रहे हैं पर 80 और 90 के दशक में बॉलिवुड में खलनायकों की बहुत मांग थी. प्राण, अमरीश पुरी, गुलशन ग्रोवर, शक्ति कपूर सरीखे खलनायकों ने हिन्दी सिनेमा को कई अच्छे किरदार दिए हैं जो बुरे होने के बाद भी लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाए हुए हैं. आज हिन्दीसिनेमा के बैड बॉय गुलशन ग्रोवर का जन्मदिन है. तो चलिए जानते हैं बैड बॉय गुलशन ग्रोवर के बारे में कुछ बातें.
गुलशन ग्रोवर का जन्म 21 सितंबर, 1955 को रामपुरा जोरबाग, दिल्ली में हुआ था. दिल्ली के ही श्री राम कॉलेज से उन्होंने कॉमर्स में स्नातक की डिग्री हासिल की. शुरू में जब वह अभिनय की दुनिया में गए तो अभिनेता बनने की चाहत रखते थे पर बॉलिवुड में उन्हें खलनायक के रोल में फिट कर दिया गया.
गुलशन ग्रोवर ने 300 से अधिक हिन्दी फिल्मों में काम किया है. उन्होंने अपने कॅरियर की शुरूआत संजय दत्त के साथ फिल्म “रॉकी” से 1981 में की. फिल्म हिट रही और साथ ही उनके निगेटिव किरदार को लोगों ने खूब पसंद किया. इसके बाद उन्होंने यस बॉस, मोहरा, राम लखन, राजा बाबू और सोहनी महिवाल जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया. उन्होंने अधिकतर निगेटिव किरदार ही निभाए. फिल्मों में विलेन की शानदार भूमिका के कारण उन्हें ‘बैड मैन’ नाम से पहचाना जाने लगा.
डिज्नी के जंगल बुक के सीक्वल में काम करने के बाद से ही गुलशन ग्रोवर को अंतरारष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. उन्होंने दो विदेशी फिल्में भी की हैं. कुछ समय पहले ग्रोवर को ऑस्कर पुरस्कार विजेता फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ में पुलिस अधिकारी की भूमिका की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया था.
अभी हाल ही में गुलशन ग्रोवर “आई एम कलाम” में नजर आए थे. फिल्म में बहुत समय बाद गुलशन ग्रोवर एक सकारात्मक रोल में नजर आए.
यह एक संयोग की बात है कि गुलशन ग्रोवर को हिन्दी फिल्मों में अर्थपूर्ण किरदार नहीं मिले लेकिन उन्होंने जो भी किरदार निभाए हैं उससे वह दर्शकों के दिलों पर छा गए.
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