बॉलीवुड के पहले रोमांटिक हीरो के रूप में जाने जाने वाले देव आनंद भारतीय सिनेमा के सदाबहार अभिनेता रहे हैं। देव आनंद के लाखों दीवाने थे और उनकी हर एक अदा पर आहें भरती थी हसीनाएं। कहा जाता है वो जिस सड़क से होकर गुजरते थे, उन्हें देखने वालों की लाइन लग जाती थी। अपने किरदारों की तरह ही देव साहब की जिंदगी भी बहुत दिलचस्प थी। आज सदाबहार देव साहब का जन्मदिन है, आइए जानते हैं खास बातें-
क्लर्क का भी किया काम
देव आनंद का असली नाम धर्म देवदत्त पिशोरीमल आंनद है। देव आनंद का जन्म 26 सितंबर 1923 को पंजाब के उस हिस्से में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उनके घर का नाम चीरू था। अभिनेता बनने से पहले देव आनंद मुंबई की एक अकाउंटेंसी फर्म में क्लर्क का काम करते थे, जहां वेतन के रूप में उन्हें केवल 85 रुपये मिलते थे। कुछ समय तक उन्होंने मिलिट्री सेंसर ऑफिस में भी काम किया।
अपने दौर के रोमांटिक हीरो थे देव आनंद
भारतीय सिनेमा में 50-60 के दशक में तीन अभिनेताओं के नाम का डंका बजता था, दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद। दिलीप ‘ट्रैजेडी किंग’ के रूप में मशहूर थे, राज कपूर ‘शो मैन’ के रूप में जाने जाते थे, लेकिन रोमांस और स्टाइल के मामले में जिस अभिनेता का नाम उभरा, वह थे देव आनंद।
‘जिद्दी’ ने दिलाई खास पहचान
उनकी पहली फिल्म ‘हम एक हैं’ थी लेकिन फिल्म फ्लॉप रही और देव दर्शकों के बीच अपनी पहचान नहीं बना सके। लेकिन वर्ष 1948 में प्रदर्शित फिल्म ‘जिद्दी’ देव आनंद के फिल्मी करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म की कामयाबी के बाद उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और ‘नवकेतन बैनर’ की स्थापना की।
गुरूदत्त को दिया पहला ब्रेक
‘नवकेतन’ के बैनर तले उन्होंने वर्ष 1950 में अपनी पहली फिल्म ‘अफसर’ बनाई। हालांकि, फिल्म पर्दे पर कुछ खास नहीं कर पाई। इसलिए उन्होंने अपनी दूसरी फिल्म की जिम्मेदारी गुरूदत्त को सौंप दी। नवकेतन के बैनर तले गुरूदत्त ने ‘बाजी’ बनाई और इस फिल्म ने पर्दे पर अच्छा काम किया।
काला सूट पहनने पर लगा था बैन
देव आनंद अपने जमाने के सबसे हैंडसम हीरो थे, उनकी अदा इतनी आकर्षक थी कि लोग उनकी एक झलक पाने को बेताब रहते थे। लड़कियों के बीच वह खासतौर पर लोकप्रिय थे। कई जगहे खबरें छपें कि उन पर काले कपड़े पहन कर बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई हैं क्योंकि उन्हें इस काले लिबास में देखने के लिए लड़कियां अपनी छतों से कूद जाया करती थीं।
सुरों की रानी सुरैया से हुआ इश्क
देव और सुरैया की पहली मुलाकात एक फिल्म की शूटिंग के दौरान हुआ थी। फिल्म ‘विद्या’ की शूटिंग के दौरान सुरैया पानी में डूब रही थी और देव साहब ने अपनी जान पर खेल कर उन्हें बचाया था और यहीं से इस प्रेम कहानी की शुरूआत हुई।
3000 रूपये की हीरे की अंगूठी दी थी सुरैया को
देव साहब केवल पर्द पर ही नहीं असल जिंदगी में भी बेहद रोमांटिक थे और इस बात का सबूत है सुरैया और उनका प्रेम। देव आनंद ने सुरैया को प्रपोज करने के लिए 3000 रूपये की हीरे की अंगूठी दी थी।
सुरैया की नानी ने तोड़ा ये खूबसूरत रिश्ता
देव और सुरैया भले ही एक दूसरे से प्यार करते थे लेकिन सुरैया की नानी को ये रिश्ता मंजूर नहीं था। दरअसल, सुरैया एक मुसलमान थीं और देव हिंदू थे इसलिए उनकी नानी ने रिश्ता नहीं होने दिया। सुरैया ने अपनी नानी की बात को रखते हुए ये रिश्ता खत्म कर दिया। देव से अलग होने के बाद सुरैया ने कभी शादी नहीं की।
फिल्म के लंच ब्रेक में कर ली थी शादी
देव आनंद की शादी का किस्सा भी बेहद मशहूर है। उन्होंने साल 1954 में फिल्म की शूटिंग के दौरान लंच ब्रेक में अपनी सह कलाकार कल्पना कार्तिक से शादी कर ली थी। उनके दो बच्चे हुए। सुनील आनंद और देविना आनंद। देविना वही नाम था, जो देव की शादी से पहले उन्होंने और सुरैया ने अपनी बेटी के लिए सोचा था।
जीनत अमान को दिल बैठे थे देव आनंद
‘हरे रामा हरे कृष्णा’में अपनी बहन का किरदार निभाने के लिए देव ने जीनत अमान को चुना था। जीनत ने उसी दौरान ‘मिस एशिया पैसिफिक’ का खिताब जीता था और देव साहब फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें अपनी प्रेमिका मान चुके थे। लेकिन एक पार्टी में उन्हें राज कपूर के साथ देखकर देव साहब का दिल टूट गया और उन्होंने जीनत से दूरी बना ली।
सदाबहार हैं देव साहब
सदाबहार या एवरग्रीन अभिनेता के तौर पर देव साहब ने अपनी एक नई पहचान बनाई थी। देव आंनद ने बॉलीवुड को कई हसीन और प्रतिभाशाली कलाकार दिए हैं। जैकी श्रॉफ़, ऋचा शर्मा, तब्बू और संगीतकार राजेश रोशन ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत देव आनंद की बनाई फिल्मों से ही की है।…Next
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