‘आर्ट फिल्मों से भला किसा कॅरियर चलता है, लगता है आपकी पहली बॉलीवुड फिल्म आखिरी साबित होगी।’ कुछ ऐसी ही बातें अभिनेत्री शबाना आजमी को सुनने को मिली थी, जब उन्होंने श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ फिल्म में काम करने की हामी भरी थी, लेकिन अंकुर फिल्म हिट साबित हुई और शबाना की पहली ही फिल्म के लोग दीवाने हो गए थे। शबाना के दमदार अभिनय का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फिल्म अकुंर के बाद 1983 से 1985 तक लगातार तीन सालों तक उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। अर्थ, खंडहर और पार जैसी फिल्मों के लिए उनके अभिनय को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था।
आइए, एक नजर डालते हैं शबाना की कुछ बेहतरीन फिल्मों पर-
स्पर्श-1980
नेत्रहीन टीचर और प्रिंसिपल के बीच पनपा प्यार जो जिंदगी की सच्चाईयों को समेटे हुए कई भावनाओं से गुजरता है, लेकिन एक-दूसरे प्रति समर्पण कम नहीं होता। फिल्म में शबाना आजमी के साथ नसरूद्दीन शाह ने दमदार भूमिका निभाई है।
मंडी-1983
गुलाम अब्बास की लिखी कहानी ‘आनंदी’ पर बनी ये फिल्म शबाना के लिए टर्निग प्वाइंट साबित हुई थी। फिल्म रेड लाइट एरिया की कई जिंदगियों को दिखाती है। फिल्म में शबाना ने रूकमणि बाई का किरदार निभाया था। वेश्यालय को चलाने वाली रूकमणि बाई चाहे बाहर से कितनी ही सख्त क्यों ना दिखे लेकिन अंदर से उनका दिल मोम का था, शबाना के हैदराबादी स्टाइल को भी बहुत पसंद किया गया था।
मासूम-1983
एक्स्ट्रा मैरिटल से जन्मा बच्चा किस तरह कई जिंदगियों पर असर डाल सकता है, इस फिल्म में बखूबी दिखाया गया है। नसीरूद्दीन शाह की पत्नी का शानदार किरदार निभाते हुए शबाना पूरी फिल्म में छाई रही। शबाना एक पत्नी और एक औरत की मनोस्थिति से कैसे जूझती है, ये देखना वाकई लाजवाब रहा।
फायर-1996
अकेलेपन और खुद को प्यार ना किए जाने का एहसास किस तरह औरत को अंदर से तोड़ देता है, फिल्म में दिखाया गया है. फिल्म होमोसेक्सुअल रिलेशनशिप पर बनी हुई है। जिसमें शबाना ने राधा और नंदिता दास ने सीता की भूमिका निभाई है। अपने पति की उपेक्षा का शिकार होकर दोनों एक-दूसरे के करीब आ जाती है। 90 के दशक में बनी इस फिल्म का जमकर विरोध हुआ था। होमोसेक्सुअल रिलेशनशिप भारत में हमेशा से टैबू रहा है। फिल्म सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को एडल्ट रेटिंग दी थी। साथ ही फिल्म में सीता के किरदार को नीता करने की भी मांगें उठ रही थी। फिल्म को लेकर विरोध इतना बढ़ गया था कि शबाना आजमी के घर के बाहर फिल्म के पोस्टर जलाए गए थे। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां भी मिल रही थी…Next
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