आज यानी 18 मार्च को सदाबहार हीरो शशि कपूर का जन्मदिन है, हालांकि अब वो हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उऩकी मुस्कान आज भी लोगों के बीच बनी हुई है। शशि कपूर अपनी खास मुस्कान के लिए भी जाने जाते थे इसी का एक अंदाज देखने के लिए फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ का गाना ‘एक था गुल और एक थी बुलबुल’ में उनका मुस्कुराता चेहरा ही काफी है।
पृथ्वी थियेटर्स से सिखी एक्टिंग
हिंदी सिनेमा के पितामह कहे जाने वाले पृथ्वीराज कपूर के घर 18 मार्च, 1938 को जन्मे शशि कपूर पृथ्वीराज के चार बच्चों में सबसे छोटे हैं। कर्षक व्यक्तित्व वाले शशि कपूर के बचपन का नाम बलबीर राज कपूर था। बचपन से ही एक्टिंग के शौकीन शशि स्कूल में नाटकों में हिस्सा लेना चाहते थे। उनकी यह इच्छा वहां तो कभी पूरी नहीं हुई, लेकिन उन्हें यह मौका अपने पिता के ‘पृथ्वी थियेटर्स’ में मिला।
राज कपूर के बचपन का किरदार निभाते थे
शशि ने एक्टिंग में अपना करियर 1944 में अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिएटर के नाटक ‘शकुंतला’ से शुरू किया। उन्होंने फिल्मों में भी अपने एक्टिंग की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की थी। राज कपूर के बचपन की भूमिकाएं निभाने के बाद यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म ‘धर्मपुत्र’ से हिंदी फिल्मों में एंट्री की, इसके पहले वह नाटकों में काम करते रहे।
फ्लॉप रहा शुरूआती दौर
‘धर्मपुत्र’ के बाद शशि कपूर ने ‘चारदीवारी’ और ‘प्रेमपत्र’ जैसी असफल फिल्मों में काम किया। इसके बाद उनकी ‘मेहंदी लगी मेरे हाथ’, ‘मोहब्बत इसको कहते हैं’, ‘नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे’, ‘जुआरी’, ‘कन्यादान’, ‘हसीना मान जाएगी’ जैसी फ़िल्में आई, लेकिन सारी नाकामयाब रही।
‘जब-जब फूल खिले’ से महके शशि कपूर
सही मायने शशि कपूर की कामयाबी का सफर शुरू हुआ साल 1965 में बनी सूरज प्रकाश निर्देशित फिल्म ‘जब-जब फूल खिले’ से। यह फिल्म उनके लिए गोल्डन जुबली हिट साबित हुई, इस फिल्म में उनकी नायिका थी नंदा। फिल्म के साथ ही यह जोड़ी भी हिट हो गई, इस फिल्म के बाद उनके पास फिल्मों के अंबार लग गए। लेकिन उनकी यही व्यस्तता उनके लिए अभिशाप साबित हुई, जरूरत से ज्यादा फिल्मों में काम करने के कारण शशि ने अभिनय की गुणवत्ता खो दी। इस दौरान उन्होंने ऐसी कई महत्वहीन फिल्में की, जिसने उनकी फिल्मोग्राफी को कमजोर बना दिया।
राज प्यार से शशि को बुलाते थे टैक्सी
शशि कपूर के पास उस दौर में कई फिल्में थी ऐसे में वो बेहद व्यस्त रहते थे। उसी दौरान राज कपूर सत्यम शिवम सुंदरम के लिए कास्ट करना चाहते थे शशि को लेकिन इसके लिए शशि बड़े भाई को डेट्स नहीं दे पा रहे थे। जिससे नाराज राज कपूर ने उन्हें टैक्सी का खिताब देते हुए था कि, ‘शशि एक ऐसी टैक्सी है, जिसे जब बुलाओ आ तो जाता है, लेकिन मीटर हमेशा डाउन रहता है’।
अमिताभ को कहते थे बबुआ
शशि कपूर के साथ 16 फ़िल्मों में काम करने वाले अमिताभ बच्चन उनके बहुत क़रीबी थे। अमिताभ की बेटी श्वेता की शादी, राज कपूर की बेटी के परिवार में हुई है, जिस नाते ये दोनों संबंधी भी हैं । जब अमिताभ बॉलीवुड में काम ढंढू रहे थे उस दौरान उनकी मुलाकात शशि से हुई और वहीं से दोनों एक दूसरे के अच्छे दोस्त बने। शशि प्यार से शशि अमिताभ को बबुआ कहकर बुलाते थे। अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी खूब जमी और दर्शकों द्वारा पसंद की गई। इनकी जोड़ी ने ‘दीवार’, ‘कभी-कभी’, ‘त्रिशूल’, ‘काला पत्थर’, ‘ईमान-धरम’, ‘सुहाग’, ‘दो और दो पांच’, ‘शान’, ‘नमक हलाल’ और ‘सिलसिला’ जैसी कई यादगार फिल्में दी हैं।
तीन साल बड़ी जेनिफर से की शादी
पृथ्वी थिएटर में काम करने के दौरान वह भारत यात्रा पर आए गोदफ्रे कैंडल के थिएटर ग्रुप ‘शेक्सपियेराना’ में शामिल हो गए। थियेटर ग्रुप के साथ काम करते हुए उन्होंने दुनियाभर की यात्राएं कीं और गोदफ्रे की बेटी जेनिफर के साथ कई नाटकों में काम किया। इसी बीच उनका और जेनिफर का प्यार परवान चढ़ा और 20 साल की उम्र में ही उन्होंने खुद से तीन साल बड़ी जेनिफर से शादी कर ली, कपूर खानदान में इस तरह की यह पहली शादी थी।
ब्रिटिश और अमेरिकी फिल्मों में भी काम किया
शशि कपूर भारत के पहले ऐसे एक्टर्स में से एक हैं, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रिटिश और अमेरिकी फिल्मों में भी काम किया। इनमें हाउसहोल्डर, शेक्सपियर वाला, बॉम्बे टॉकीज, तथा हीट एंड डस्ट जैसी फिल्में शामिल हैं। शशि कपूर भारत के पहले ऐसे एक्टर्स में से एक हैं, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रिटिश और अमेरिकी फिल्मों में भी काम किया। इनमें हाउसहोल्डर, शेक्सपियर वाला, बॉम्बे टॉकीज, तथा हीट एंड डस्ट जैसी फिल्में शामिल हैं।…Next
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