खुद भूल कर वफाएं मेरी
मुझे ही बेवफा नाम दिया उसने….
कहने के लिए यह एक मात्र शायरी है पर इसी शायरी में किसी की जिंदगी का दर्द छिपा है. एक लड़की को बेइंतहा प्यार किया और उसकी आंखों में किसी और का चेहरा देखना शायद इनके लिए मौत के समान था. यह ऋतिक-सुजैन की प्रेम कहानी है.जब ऋतिक-सुजैन के तलाक की खबर आई तो सिर्फ ऋतिक के जिम्मे उनकी शादी टूटने का भार डाल दिया गया. हर तरफ यही कहा गया कि ऋतिक को बारबरा मोरी से प्यार हो गया है जिस कारण उन्होंने सुजैन का हाथ छोड़ना सही समझा. जब लोग ऋतिक का नाम बारबरा मोरी के साथ जोड़ते हुए थक गए तो उन्हीं लोगों ने सुजैन का नाम अर्जुन रामपाल के साथ जोड़ना शुरू कर दिया.
एक तरफ ऋतिकअपने टूटे दिल को सहारा दे रहे थे और वहीं दूसरी तरफ उनकी पत्नी सुजैन का नाम उनके करीबी दोस्त अर्जुन रामपाल के साथ जोड़ा जा रहा था. क्या एक बार भी ऋतिक का नाम बारबरा मोरी के साथ जोड़ने से पहले किसी ने सोचा कि यदि ऋतिक को बारबरा मोरी के कारण सुजैन को छोड़ना होता तो आज से सालों पहले ही वो यह काम कर चुके होते, जब साल 2010 में ऋतिक और बारबरा मोरी की फिल्म ‘काइट्स’ बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुई थी. बॉलीवुड सूत्रों के अनुसार, ऋतिक और बारबरा मोरी के बीच प्यार की शुरुआत फिल्म ‘काइट्स’ के दौरान हुई थी. ऋतिक के दर्द को यूं ही बयां नहीं किया जा रहा है. दरअसल 10 जनवरी ऋतिक रोशन का जन्मदिन है और शायद यह दिन उन्हें अपनी पत्नी सुजैन के साथ के बिना ही गुजारना पड़े.
हिन्दी सिनेमा में रिश्तों को जुड़ते और टूटते हुए देखा है पर ऋतिक-सुजैन की शादी का बंधन टूटना किसी दुखभरी घटना से कम नहीं. ऐसा नहीं है कि इनका ‘प्यार भरा रिश्ता’ टूटने के लिए केवल सुजैन ही जिम्मेदार हैं. जब ऋतिक का नाम करीना कपूर के साथ जोड़ा गया उसके बाद भी सुजैन ने ऋतिक का साथ नहीं छोड़ा था. यहां शादी शब्द का प्रयोग इसलिए नहीं किया गया क्योंकि शादी तो ऋतिक-सुजैन ने साल 2000 में की थी पर दोनों का दिल कहीं सालों पहले ही जुड़ गया था. ऋतिक-सुजैन के तलाक लेने के फैसले की खबर से ज्यादा महत्वपूर्ण उनका आपसी अलगाव होना है मतलब अपनी जिंदगी के 17 साल किसी के साथ व्यतीत करने के बाद उस व्यक्ति का आपकी जिंदगी से चले जाने के दुख को इन दिनों ऋतिक-सुजैन से अधिक कोई और नहीं समझ सकता है.
वास्तविक सच क्या है यह कोई नहीं जानता है पर ऋतिक-सुजैन अपने अलगाव के लिए स्वयं ही जिम्मेदार हैं क्योंकि किसी भी रिश्ते में अलगाव का दौर तब तक नहीं आता है जब तक कि व्यक्ति स्वयं अपने रिश्ते को तोड़ना ना चाहे.
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