बचपन के दिनों में मुझे सिर्फ इतना पता था कि ‘जॉनी वाकर’ कोई एक्टर है, जो बहुत हंसाते हैं। जब भी टीवी पर जॉनी वाकर की फिल्म आती, मेरे पापा कहते ‘चैनल चेंज मत करना’। इसके बाद फिल्म के बीच में हंसी के फव्वारे फूटते रहते। जॉनी वाकर जब-जब स्क्रीन पर आते, पापा के चेहरे पर उन्हें देखते ही मुस्कान आ जाती। उस दौरान मुझे उनकी कॉमेडी ज्यादा समझ, तो नहीं आती थी लेकिन वो एक हंसाने वाले हीरो के रूप में मन में बस गए। वक्त के साथ-साथ मैंने उनके व्यक्तित्व को इससे कहीं ज्यादा जाना। जॉनी वाकर की जिंदगी भी ऐसी ही है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। सभी को हंसाने वाला यह एक्टर खुद निजी जिंदगी में किन हालातों से आया है, यह बात उनके मशहूर होने के बाद लोगों को पता चली। आज के दिन जॉनी वाकर दुनिया को अलविदा कह गए थे। आइए एक नजर उनकी जिंदगी के दिलचस्प किस्सों पर-
अपने संघर्ष के दिनों में लोगों को हंसाया करते थे जॉनी
जॉनी वॉकर का जन्म इंदौर के एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। उनका असली नाम बदरुद्दीन जमालुद्दीन काज़ी था। बदरु के पिता एक मिल में काम करते थे लेकिन मिल बंद हो गई और उन्हें बहुत तलाश करने के बाद भी काम नहीं मिला। 10 भाई-बहनों वाले इस परिवार के सामने भूखे मरने के हालात आ गए। दूसरे जमालुद्दीन ने परिवार के लिए कमाने की जिम्मेदारी उठाई और उनका पूरा परिवार मुंबई आ गया। यहां आने के बाद रोजी-रोटी चलाने के लिए वो मुंबई की बसों में कंडक्टर की नौकरी करने लगे, लेकिन इससे घर की जरुरतें पूरी नहीं हो पाती थीं इसलिए वो ड्यूटी के बाद आइसक्रीम, सब्ज़ी या फल बेचना बेचने निकल पड़ते थे। इतने मुश्किल हालात होने के बावजूद वो अपनी बस के सवारियों का मनोरंजन किया करते थे। वो उन्हें अपने खास अंदाज से खूब हंसाया करते थे।
स्कॉच ब्रांड पर कैसे पड़ा उनका नाम
कहते हैं कि हर किसी की जिंदगी में ऐसा दिन आता है, जब उसकी किस्मत पलट सकती है। जॉनी के साथ भी यही हुआ। वो दिन उनका खास दिन था। उनकी बस में ही मशहूर फिल्म लेखक और एक्टर बलराज साहनी सफ़र कर रहे थे, उन्होंने बस में जॉनी का मजाकिया अंदाज और बोलने के ढंग को देखा और उन्हें गुरु दत्त के पास लेकर गए। गुरु दत्त उस वक़्त ‘बाज़ी’ फिल्म डायरेक्ट कर रहे थे। गुरु दत्त ने जब उनकी एक्टिंग देखी तो खुश होकर उन्हें उन्हें बदरू की एक्टिंग इतनी पसंद आ गई कि उन्होंने उनका नाम बदरुद्दीन जमालुद्दीन काज़ी से बदलकर अपने पसंदीदा स्कॉच ब्रांड के ऊपर ‘जॉनी वॉकर’ रख दिया। गुरु दत्त फिल्मों में उनके लिए अलग से रोल लिखवाते थे।
आखिरी बार ‘चाची 420’ में आए थे नजर
जॉनी वॉकर ने 1983 के बाद फिल्मों में काम करना बंद कर दिया था क्योंकि उन्हें लगता था की कॉमेडी का लेवल गिरता जा रहा है। यह बात सही भी है क्योंकि इन दिनों डबल मीनिंग वाले शब्दों को डालकर कॉमेडी करने की कोशिश की जाती है लेकिन जॉनी को यह सब कभी पसंद नहीं था। वो लगातार फिल्में रिजेक्ट करते रहे। 1997 में वो एक बार फिर कमल हासन की ‘चाची 420’ में नजर आए।
कुछ ऐसे बयां किया जॉनी ने अपना दर्द
इस फिल्म के बाद जॉनी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया इस फिल्म की रिलीज के बाद उन्हें कई मैसेज, फोन और यहां तक की चिट्टियां आनी शुरू हो गईं। लोग उन्हें फिल्मों में काम न करने की वजह से यह समझने लगे थे, कि उनके मौत हो गई है। इस इंटरव्यू में वो मुस्कुराते हुए अपना दर्द बयां कर रहे थे। जॉनी अपनी अदाकारी से दुनिया से जाने के बाद भी हमारे दिलों में बसते हैं।…Next
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