जावेद अख्तर फिल्म इंडस्ट्री का एक ऐसा नाम हैं जिन्हें किसी पहचान की जरूरत नहीं है। सलीम के साथ उनकी जोड़ी ने कई हिट फिल्में दी हैं और 70 से 80 के दशक में दोनों की जोड़ी बॉलीवुड में काफी मशहूर थी। दोनों ने एक साथ फिल्म अंदाज, यादों की बारात, जंजीर, दीवार, हाथी मेरे साथी और शोले की पटकथा लिखी कवि, गीतकार और लेखक जावेद अख्तर आज अपना 74वां जन्मदिन मना रहे हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं जावेद के बारे में कुछ खास बातेँ।
जावेद अख्तर का असली नाम था जादू
जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी 1945 को ग्वालियर में हुआ था, उनकी पढ़ाई लखनऊ में हुई। जावेद अख्तर के पिता निसार अख्तर बॉलीवुड गीतकार और कवि थे और उनकी मां सफिया अख्तर भी एक सिंगर, टीचर और लेखिका थीं। जावेद अख्तर का असली नाम जादू है। उनके पिता की कविता थी, ‘लम्हा-लम्हा किसी जादू का फसाना होगा’ से उनका यह नाम पड़ा था। जावेद नाम जादू से मिलता-जुलता, इसलिए उनका नाम जावेद अख्तर कर दिया।
जावेद अख्तर के पास नहीं थे खाने के पैसे
4 अक्टूबर 1964 को जावेद अख्तर मुंबई आए थे। बताया जाता है उस वक्त उनके पास खाने तक के पैसे नहीं थे। उन्हें कई रातें सड़कों पर खुले आसमान के नीचे सोकर बीतनी पड़ी थी। फिर बाद में कमाल अमरोही के स्टूडियो में उन्हें ठिकाना मिला।
जावेद और सलीम की जोड़ी थी सुपरहिट
जावेद अख्तर ने अपने करियर की शुरुआत सरहदी लूटेरा की थी। इस फिल्म में सलीम खान ने छोटी सी भूमिका भी अदा की थी। इसके बाद सलीम-जावेद की जोड़ी ने मिलकर हिंदी सिनेमा के लिए कई सुपर-हिट फिल्मो की पटकथाएं लिखी। इन दोनों की जोड़ी को उस दौर में सलीम जावेद की जोड़ी से जाना जाता था। इन दोनों की जोड़ी ने वर्ष 1971-1982 तक करीबन 24 फिल्मों में साथ किया जिनमे सीता और गीता, शोले, हठी मेरा साथी, यादों की बारात, दीवार जैसी फिल्मे शामिल हैं। उनकी 24 फिल्मों में से करीबन 20 फ़िल्में बॉक्स-ऑफिस पर ब्लाक-बस्टर हिट साबित हुई थी।
पदम भूषण से नवाजे जा चुके हैं जावेद
1987 में प्रदर्शित फिल्म मिस्टर इंडिया के बाद सलीम-जावेद की सुपरहिट जोड़ी अलग हो गई। इसके बाद भी जावेद अख्तर ने फिल्मों के लिए संवाद लिखने का काम जारी रखा। जावेद अख्तर को मिले सम्मानों को देखा जाए तो उन्हें उनके गीतों के लिए आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 1999 में साहित्य के जगत में जावेद अख्तर के बहुमूल्य योगदान को देखते हुए उन्हें पदमश्री से नवाजा गया। 2007 में जावेद अख्तर को पदम भूषण सम्मान से नवाजा गया।
17 साल की हनी से रचाई शादी
जावेद अख्तर और हनी ईरानी की पहली मुलाकात फिल्म ‘सीता और गीता’ के सेट पर हुई थी। इस फिल्म में हनी सर्पोटिंग रोल प्ले कर रही थी। दोनों एक दूसरे की तरह आकर्षित हो रहे थे। एक इंटरव्यू में हनी ने कहा था, एक बार ताश खेलते हुए जावेद हार रहे थे। मैंने जावेद से कहा था लाओ मैं तुम्हारे लिए कार्ड निकालती हूं। तब जावेद ने कहा अगर पत्ता अच्छा निकला तो मैं तुमसे शादी कर लूंगा। खुशकिस्मती से पत्ता अच्छा निकला। जावेद ने हनी से कहा चलो शादी कर लेते हैं। हनी उस वक्त सिर्फ 17 साल की थी और जावेद उनसे 10 साल बड़े थे।
कैफी आजमी की बेटी शबना से लगा दिल
1970 में जावेद का दिल कैफी आजमी की बेटी और फेमस एक्ट्रेस शबाना आजमी पर आ गया। शबाना भी जावेद अख्तर से प्यार कर बैठीं। हालांकि वे जानती थीं कि वे पहले से शादीशुदा हैं और उनके दो बच्चे भी थे। ऐसे में दोनों का एक होना नामुमकिन था, लेकिन जावेद अख्तर शबाना आजमी से शादी करने का फैसला कर चुके थे। 6 साल के अफेयर के बाद जावेद और शबाना ने साल 1984 में शादी कर ली।…Next
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