जब किसी चीज के प्रति आपको बचपन से ही घर-परिवार में देखने, सुनने और समझने को मिलता है तो उसके प्रति आपका आकर्षण और भी बढ़ जाता है. ठीक इसी तरह भारतीय बॉलिवुड के कपूर खानदान में भी यही परपंरा है कि उन्होंने बॉलिवुड को हमेशा बेहतर और अच्छे कलाकार दिए हैं.
एक ऐसे घराने से जिसने सदियों से बॉलीवुड को सुपरस्टार दिए, करीना कपूर भी सफलतम अभिनेत्रियों में से है कोई अचरज की बात नहीं है. अभिनय तो उनके खून में ही है और उन्होंने ये साबित भी कर दिया है.
करीना का जन्म मुंबई में 21 सितम्बर 1980 को हुआ. करीना फ़िल्म अभिनेता रणधीर कपूर और अभिनेत्री बबिता की सबसे छोटी बेटी हैं. वो अभिनेता और फ़िल्म निर्माता राज कपूर की पोती और पृथ्वीराज कपूर की परपोती हैं. प्यार से बेबो के नाम से पुकारी जाने वाली करीना, अभिनेत्री करिश्मा कपूर की बहन और अभिनेता ऋषि कपूर की भतीजी भी हैं.
लेकिन फिल्मी परिवार से होने के बाद भी करीना को बीच में लॉ की पढ़ाई करने की तरफ रुझान हुआ, जिसके लिए उन्होंने चर्चगेट स्थित गवर्नमेंट ला कॉलेज में दाखिला लिया. वहां एक साल पूरा करने के बाद, वह एक अभिनेत्री बनने की अपनी प्रारंभिक योजना की तरफ़ लौटीं और किशोर नामित कपूर के अभिनय संस्थान में प्रशिक्षण लेने लगीं.
फिल्मी कैरियर की शुरुआत उन्होंने राकेश रौशन की फ़िल्म “कहो ना …प्यार है” के साथ की, जिसमें उनके साथ राकेश रोशन के बेटे रितिक रोशन थे. हालांकि, कई दिनों तक दृश्य फिल्माने के बाद उन्होंने ये फिल्म छोड़ दी.
पर पर्दे पर उनकी एंट्री हुई अभिषेक बच्चन के साथ जे. पी. दत्ता की युद्ध पर आधारित नाटकीय फ़िल्म रिफ्यूजी में. भारत और पाकिस्तान की लड़ाई की पृष्ठभूमि पर बनी यह फ़िल्म बनी थी. इस फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल डेब्यू यानि उस साल अपने अभिनय जीवन की शुरुआत करने वाली अभिनेत्रियों में से सर्वश्रेष्ठ अभिनत्री का पुरस्कार भी मिला. साल 2001 में, अपनी दूसरी फ़िल्म “मुझे कुछ कहना है” रिलीज़ होने के साथ ही, कपूर को अपनी पहली व्यावसायिक सफलता मिली. इसके बाद इसी साल आई करन जौहर की नाटक से भरपूर फ़िल्म “कभी खुशी कभी ग़म” में भी करीना नज़र आईं. ये फ़िल्म उस साल विदेशों में सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली भारतीय फ़िल्म बन गई और साथ ही करीना के लिए ये तब तक की सबसे बड़ी व्यावसायिक सफलता थी.
हालांकि इसके बाद करीना कपूर को काफी असफलता का सामना करना पड़ा पर इसके बाद भी वह हमेशा खबरों में बनी ही रहीं. 2002 से 2004 तक लगातार कई फिल्मों की असफलता और एक जैसी भूमिकाएं करने की वजह से करीना को समीक्षकों से काफ़ी नकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलीं, उसके बाद करीना ने एक जैसी भूमिकाओं या टाइपकास्ट से बचने के लिए ज्यादा मेहनत वाली और कठिन भूमिकाएं लेना शुरू कर दिया. लेकिन बुरे दिन भी खत्म हुए और 2004 से 2008 तक आते-आते समय बदल गया. इस बीच अभिनय के क्षेत्र में इतनी अलग-अलग तरह की भूमिकाएं करने के बाद उन्हें बहुमुखी प्रतिभा की धनी अभिनेत्री के रूप में जाना जाने लगा.
बॉक्स ऑफिस पर कमाई करने के मामले में भले ही उनकी फिल्मों का प्रदर्शन काफी अलग-अलग रहा हो लेकिन करीना ख़ुद को हिन्दी फ़िल्म उद्योग में आजकल की अग्रणी फ़िल्म अभिनेत्री के रूप में स्थापित करने में सफल रहीं.
इन सब के साथ उनका शाहिद कपूर और सैफ अली खान से प्रेम-प्रसंग हमेशा चर्चा में रहा पर उन्होंने कभी अपने निजी जिंदगी को काम पर हावी नहीं होने दिया.
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