सैनिकों का देश पर मर मिट जाना आज की बात नहीं हैं। अक्षय कुमार भी बीते दौर के जांबाज सैनिकों की कहानी को पर्दे पर लेकर आ रहे हैं, जहां पिछले दिनों केसरी के पोस्टर्स ने लोगों के दिलों में हलचल मचाई वहीं अब यह ट्रेलर देखकर आपके रगों में लहू की रवानी तेज हो सकती है। इस साल मार्च में अपनी मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘केसरी’ दर्शकों के बीच लौट रहे हैं। एक बार फिर से अक्षय के देशभक्ति वाले एक्शन और इमोशन दर्शकों के दिलों पर छाने वाले हैं। इस मात्र 3 मिनट के ट्रेलर में ही आपका मन उत्साह से भर जाता है। 122 साल पहले 21 सिखों ने 10 हजार अफगानी हमलावरों से लड़ाई लड़ी थी। केसरी उन्हीं की कहानी है जो 21 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। बता दें कि यह फिल्म जिस सारागढ़ी की लड़ाई पर आधारित है, वह भारतीय सैन्य इतिहास में काफी महत्वपूर्ण है तो चलिए जानते हैं आखिर कैसी है उनकी कहानी।
119 साल पहले हुए युद्ध की है कहानी
सरागढ़ी’ पश्चिमोत्तर सीमांत (अब पाकिस्तान) में स्थित हिंदुकुश पर्वतमाला की समाना श्रृंखला पर स्थित एक छोटा गांव है। लगभग 119 साल पहले हुए युद्ध में सिख सैनिकों के शौर्य और साहस ने इस गांव को दुनिया के नक़्शे में एक महत्वपूर्ण स्थान के रूप में चिन्हित कर दिया। ब्रिटिश शासनकाल में ‘वीरता’ का पर्याय मानी जाने वाली 36 सिख रेजीमेंट, ’सरगढ़ी’ चौकी पर तैनात थी। यह चौकी रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण गुलिस्तान और लाकहार्ट के किले के बीच में स्थित थी।
सभी 21 रणबांकुरे शहीद हो गए
सितम्बर 1897 में अफगानों की सेना ने ब्रिटिश राज्य के विरुद्ध अगस्त के अंतिम हफ्ते से 11 सितंबर के बीच असंगठित रूप से किले पर दर्जनों हमले किए, लेकिन अंग्रेजों की तरफ से देश के लिए लड़ रहे सिख वीरों ने उनके सारे आक्रमण विफल कर दिए और आखिरकार सभी 21 रणबांकुरे शहीद हो गए।
21 वीरों ने 600 लोगों का शिकार किया
इस जंग में उन 21 वीरों ने करीब 500 से 600 लोगों का शिकार किया, दुश्मन बुरी तरह थक गए और तय रणनीति से भटक गए। जिसके कारण वे ब्रिटिश आर्मी से अगले दो दिन में ही हार गए, पर यह सब उन 21 सिख योद्धाओं के बलिदान के परिणामस्वरूप ही हो सका।
सभी 21 शहीद जवानों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था
इस ‘महान’ और असंभव लगने वाली जंग की चर्चा समूचे विश्व में हुई। लन्दन स्थित ‘हाउस ऑफ़ कॉमंस’ ने एक स्वर से इन सिपाहियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। यूनेस्को ने इसे विश्व की 8 सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ जंगों में शामिल किया है। मरणोपरांत 36 रेजीमेन्ट के सभी 21 शहीद जवानों को परमवीर चक्र के समतुल्य विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया। ब्रिटेन में आज भी ‘सरागढ़ी की जंग’ को शान से याद किया जाता है।
हर साल सिख रेजीमेंट ‘सरागढ़ी दिवस‘ मनाती है
भारतीय सेना की आधुनिक सिख रेजीमेंट 12 सितम्बर को हर साल ‘सरागढ़ी दिवस’ मनाती है. यह दिन उत्सव का होता है, जिसमें उन महान वीरों के पराक्रम और बलिदान के सम्मान में जश्न मनाया जाता है। भारत और ब्रिटेन की सेना ने 2010 में ‘सरागढ़ी की जंग’ के स्मरण में एक “सरागढ़ी चैलेन्ज कप” नाम की ‘पोलो’ स्पर्धा शुरू की, इसके बाद से इसे हर साल आयोजित किया जाता है।…Next
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