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फिल्म बनाने के लिए एक उद्देश्य तो होना ही चाहिए !!

hindi filmsदक्षिण फिल्मोद्योग का एक लोकप्रिय और प्रतिष्ठित चेहरा बन चुकी रेवती एक बेहतरीन अभिनेत्री और निर्देशिका हैं. वर्ष 1983 में तमिल फिल्म मन वस्नेय से अपने अभिनय कॅरियर की शुरूआत करने वाली रेवती वर्तमान समय में भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को लेकर काफी चिंतित हैं. अभिनय के साथ-साथ मित्र: माई फ्रेंड व फिर मिलेंगे जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुकीं अभिनेत्री रेवती का मानना है कि पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड में काफी बदलाव आया है. अब लोगों के जेहन में फिल्में लम्बे समय तक नहीं रहतीं लेकिन फिर भी कमजोर सामग्री प्रस्तुत करके दर्शकों को धोखा देना काफी मुश्किल हो गया है. राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में शामिल होने के लिए पहुंचीं रेवती ने कहा कि इन दिनों की फिल्में दर्शकों का ध्यान बहुत कम समय के लिए ही खींच पाती हैं इसलिए निर्माताओं को उन्हें थोड़े समय में बहुत कुछ देना होता है. रेवती का यह भी कहना है कि वैश्विक स्तर की फिल्में और अदाकारी देखने वाले भारतीय दर्शक अब बहुत हद तक जागरुक हो गए हैं. यही कारण है कि बॉलिवुड जगत के निर्माताओं और निर्देशकों को बेहद सावधानी के साथ विस्तारित सामग्री पेश करनी पड़ती है. शहरी दर्शकों के लिए बनाई जाने वाली फिल्मों के विषय और निर्देशन में ऐसा करना ज्यादा जरूरी होता है ताकि वह फिल्म दर्शकों के दिल को छू सके.


दक्षिण भारतीय फिल्मों में अभिनय करने के आठ साल बाद उन्होंने बॉलीवुड में फिल्म लव से शुरुआत की. उनके पहले बॉलिवुड हीरो सलमान खान थे. रेवती ने अब तक छप्पन, दिल जो भी कहे, डरना मना है जैसी फिल्मों में भी काम किया. वर्ष 2002 में मित्र- माई फ्रेंड के जरिए उन्होंने निर्देशन के क्षेत्र में प्रवेश किया. इस फिल्म के बाद वर्ष 2004 में उन्होंने एचाआईवी-एड्स जैसे गंभीर मुद्दे पर फिर मिलेंगे फिल्म बनाई.


बॉलिवुड के लव-कनेक्शंस


अभिनेत्री से निर्देशन के क्षेत्र में आई रेवती का मानना है कि फिल्म बनाने के लिए एक उद्देश्य का होना बेहद जरूरी होता है. उनके अनुसार अभिनत्री और निर्देशक होने के बीच सबसे प्रमुख अंतर यह होता है कि अभिनेत्री के तौर पर आप सिर्फ फिल्म का एक हिस्सा होते हैं जबकि फिल्मकार एक कहानी गढ़ने का विचार लेकर उसके हर पहलू पर काम करते हुए एक फीचर फिल्म बनाता है, जो एक मुश्किल लेकिन रुचिकर कार्य है. 45 वर्षीया रेवती को हाल ही में उनकी लघु फिल्म रेड बिल्डिंग व्हेयर द सन सेट्स के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. इस फिल्म की कहानी अभिभावकों के बीच होने वाले झगड़े और बच्चों पर उसके असर को दर्शाती है.


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