60वें मिस यूनिवर्स मुकाबले में अंगोला की लीला लोपेज (Leila Lopes) ने बाकी 88 देशों की सुन्दरियों को मात देकर खिताब अपने नाम किया. लीला लोपेज इसके साथ ही उन चुनी हुई अश्वेत सुन्दरियों में से एक बन गई हैं जिनके सिर पर विश्व सुन्दरी का ताज सजा हो. लीला लोपेज के बेहतरीन जवाबों ने ही उन्हें इस ताज का असली हकदार बनाया. उनकी जीत के साथ ही एक बार फिर यह साबित हो गया कि बाहरी सुन्दरता कभी आंतरिक सुन्दरता से जीत नहीं सकती क्यूंकि अगर ऐसा होता तो ऊपरी सौन्दर्य में लीला से भी सुन्दर लड़कियां वहां थीं जिन्हें ताज मिल सकता था.
ब्राजील में हुए 60वें मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में इस साल 89 देशों की प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. भारत की मेजबानी वासुकी संकावल्ली (Vasuki Sunkavalli) ने की जो प्रतियोगिता में कुछ खास जलवा नहीं दिखा सकीं. भारत की ओर से आखिरी बार सन 2000 में लारा दत्ता मिस यूनिवर्स बनी थीं.
प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंचने वाली टॉप टेन प्रतियोगियों में ब्राजील, अंगोला, चीन, ऑस्ट्रेलिया, कोस्टारिका, फ्रांस, पुर्तगाल और पनामा की सुंदरियां भी शामिल थीं. इसमें से मिस यूनिवर्स का ताज मिला अंगोला की सुन्दरी लीला लोपेज को. दूसरे स्थान पर यूक्रेन, तीसरे स्थान पर ब्राजील, चौथे पर फिलीपींस की सुन्दरी रही.
लीला लोपेज (Leila Lopes)
लीला लोपेज (Leila Lopes) का जन्म बेनेजुएला में हुआ था पर उनके पास नागरिकता यूके की है. 2010 में अंगोला की सौन्दर्य प्रतियोगिता जीतकर उन्होंने मिस यूनिवर्स का टिकट हासिल किया था.
लीला का स्वभाव बेहद दोस्ताना है और वह सामाजिक कार्यों में हमेशा आगे रहती हैं. अपने देश में गरीबी और अशांति को मिटाना उनका संकल्प है. साथ ही वह एड्स पीडितों की भी मदद के लिए काम करती हैं.
उनके जवाबों ने जजों का दिल जीत लिया था. प्रतियोगिता में जब उनसे पूछा गया कि अगर उन्हें मौक़ा मिला, तो वे अपनी कौन सी शारीरिक विशेषता को बदलना चाहेंगी तो इस पर उन्होंने जवाब दिया: “गॉड का शुक्रिया. जिस तरह गॉड ने मुझे बनाया है, उससे मैं काफी खुश हूं और मैं कुछ भी बदलना नहीं चाहूंगी. मैं अपने आप को आंतरिक सुंदरता वाली महिला मानती हूं. मुझे अपने परिवार से कई अच्छे संस्कार मिले हैं और मैं पूरी जिंदगी उन पर चलने की कोशिश करूंगी.”
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