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इस महाराजा के जुनून ने दिया पटियाला पैग को जन्म, क्रिकेट के थे दीवाने

ऐसे बहुत कम लोग होंगे, जिन्‍होंने पटियाला पैग का नाम न सुना हो। शराब से संबंध रखने वाले लोग तो इस पैग के दीवाने होते हैं। मगर बहुत कम लोग ऐसे होंगे, जो ये जानते होंगे कि इस पटियाला पैग का आविष्‍कार किसने किया। पटियाला पैग का आविष्कार पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने किया था। आज यानी 12 अक्‍टूबर को महाराजा भूपिंदर सिंह का जन्‍मदिन है। तो आइये इस मौके पर हम आपको बताते हैं उनकी इस खोज के बारे में।


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महाराजा राजिंदर सिंह को क्रिकेट में थी गहरी रुचि

पटियाला स्थित बारादरी गार्डन वो जगह है, जिसका क्रिकेट से पुराना संबंध रहा है। इस गार्डन की विशेषता इसके नाम में छुपी है। बारादरी दो शब्दों से बना है, बारा यानी बारह और दरी का मतलब दरवाजे। संयुक्त रूप से इसका मतलब बारह दरवाजे हुआ। इसका पैवेलियन लाल रंग की खपरैल से बना है। एक प्राचीन घंटाघर इस गार्डन की दुर्लभता को सदा आगे बढ़ती सूईयों की तरह बढ़ाता रहता है। यहां महाराजा राजिंदर सिंह के कारण क्रिकेट की शुरुआत हुई। राजिंदर सिंह की इस खेल में गहरी रुचि थी, इसलिए वो पटियाला में विश्व के प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ियों को बुलाते थे, ताकि लोगों को क्रिकेट प्रशिक्षण एवं नई तकनीकों से अवगत कराया जा सके। उनके बाद इस परंपरा को आगे बढ़ाया उनके बेटे महाराजा भूपिंदर सिंह ने। उन्होंने इंग्लैंड में भारत एकादश की तरफ से वर्ष 1911-12 में अनाधिकारिक टेस्ट मैच खेले। वहां से लौटने के बाद क्रिकेट उनका शौक बन गया। उन्होंने रोड्स, न्यूमैन, रॉबिन्सन जैसे महान खिलाड़ियों को पटियाला में आमंत्रित भी किया।


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लंबी पारी की खुशी में बन गया पटियाला पैग

इस ग्राउंड पर मानसून के बाद यानी अक्टूबर की शुरुआत में टॉमीज कहलाने वाली ब्रिटिश सेना के साथ क्रिकेट मैच खेले जाते थे। वर्ष 1920 में अंबाला छावनी के डगलस एकादश के विरुद्ध खेलते हुए महाराजा भूपिंदर सिंह ने 242 रनों की लंबी पारी खेली। इस पारी में उन्होंने 16 छक्के और 14 चौके लगाए। मैदान पर ही दोनों टीमों के लिए रात्रिभोज की व्यवस्था की गई थी। कहा जाता है कि अपनी इस पारी से महाराजा इतने खुश थे कि उन्होंने स्वयं ही गिलासों में व्हिस्की डालकर पार्टी की शुरुआत कर दी। गिलासों में शराब की मात्रा एक पैग में होने वाली शराब की सामान्य मात्रा से दोगुनी थी। जब कर्नल डगलस को चीयर्स कहने के लिए गिलास दी गई, तो वे असहज हो गए। उन्होंने उत्सुकतावश महाराजा भूपिंदर सिंह से उस पैग के बारे में पूछा।


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एक ही घूंट में खाली कर दिया गिलास

इस पर महाराजा ने हंसते हुए जवाब दिया, ‘आप पटियाला में हैं मेरे मेहमान। टोस्ट के साथ पटियाला पैग से कम कुछ भी नहीं चलेगा.’ फिर दोनों ने हंसते हुए शोरगुल के बीच एक ही घूंट में अपना गिलास खाली कर दिया। तब से विभिन्न आयोजनों पर हर शाही मेहमान को पटियाला पैग अनिवार्य रूप से परोसे जाने की परंपरा शुरू हुई। शीघ्र ही ‘पटियाला पैग’ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बारों, रेस्त्रां और होटलों की व्यंजन सूची में शामिल हो गया। फिर तो पटियाला पैग इतना मशहूर हुआ कि फिल्मी गानों में इसका प्रयोग किया जाने लगा।


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