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धर्मेंद्र पर आया था मीना कुमारी का दिल, इस वजह से बन गईं ‘ट्रेजेडी क्वीन’

बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा मीना कुमारी की आज 85वीं जयंती हैं।  फिल्म जगत की मीना कुमारी का असल जिंदगी का नाम महजबीन बेगम था। हिन्दी सिनेमा के पर्दे पर दिखी अब तक की सबसे दमदार अभिनेत्रियों में मीना कुमारी का नाम भी आता है। मीना कुमारी को दुखियारी महिला के किरदार काफी करने को मिले, उन्हें फिल्मों में रोते हुए देखकर उनके प्रशंसकों की आंखों में भी आंसू निकल आते थे। वैसे मीना की निजी जिंदगी भी काफी उतार चढ़ाव भरी रही और यही वजह रही, जो उन्हें ‘ट्रेजडी क्वीन’ के नाम से पहचाना जाने लगा।

Shilpi Singh
Shilpi Singh1 Aug, 2018

 

 

 

माता-पिता ने मुस्लिम अनाथालय के बाहर छोड़ा

 

 

मीना कुमारी अपने माता-पिता इकबाल बेगम और अली बक्श की तीसरी बेटी थीं, जब मीना कुमारी का जन्म हुआ उस समय उनके पिता के पास पैसों की तंगी थी जिस वजह से उऩ्हें उनके माता-पिता ने मुस्लिम अनाथालय के बाहर छोड़ दिया था। हालांकि, बच्ची से वो ज्यादा देर दूर नहीं रह सके और कुछ ही घंटे बाद फिर से उठा लाया अपने पास।

 

7 साल की उम्र से शुरू किया काम

 

 

मीना कुमार के पिता और मां दोनों ही फिल्मों से जुड़े हुए थे औऱ यही वजह थी जो उन्हें महज 7 साल की मासूम उम्र में ही फिल्मों में काम करना पड़ा और उसी दौरान वो महजबीन से बेबी मीना बन गईं। मीना कुमारी की पहली फिल्म ‘फरजंद-ए-वतन’ नाम से 1939 में रिलीज हुई। बड़ी होने के बाद उनकी पहली फिल्म जिसमें उन्होंने मीना कुमारी के नाम से एक्टिंग की वो थी 1949 में रिलीज हुए फिल्म ‘वीर घटोत्कच।

 

बैजू बावरा से मीना कुमारी को मिली पहचान

 

 

1952 में रिलीज हुई फिल्म ‘बैजू बावरा’ से मीना कुमारी को  हीरोइन के रूप में पहचान मिली। इसके बाद 1953 में ‘परिणीता’, 1955 में ‘आजाद’, 1956 में ‘एक ही रास्ता’, 1957 में ‘मिस मैरी’, 1957 में ‘शारदा’, 1960 में ‘कोहिनूर’ और 1960 में ‘दिल अपना और प्रीत पराई’ से पहचान मिली। 1962 में रिलीज हुई फिल्म ‘साहेब बीवी और गुलाम’ में छोटी बहू की भूमिका के लिए उन्हें खूब पहचान मिली, छोटी बहू की भूमिका के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस चुना गया।

 

कमाल अमरोही हुए मीना पर फिदा

 

 

कमाल अमरोही की मीना कुमारी से मुलाकात फिल्म तमाशा की शूटिंग के दौरान हुई थी। कमाल मीना के साथ कुछ मुलाकातों के बाद ही उन्हें दिल दे बैठे थे वह मीना से शादी करना चाहते थे। कमाल ने अपने दोस्‍त और मैनेजर के हाथ मीना कुमारी के लिए पैगाम भेजकर शादी का प्रपोजल दिया। मीना ने कमाल से प्‍यार की बात तो मानी, पर शादी से इनकार कर दिया।

 

कमाल और मीना ने की दूसरी शादी

 

 

कमाल और मीना एक दूसरे से प्यार करते थे, लेकिन मीना के परिवार को ये रिश्ता मंजूर नहीं था क्योंकि कमाल पहले से शादीशुदा थे। लेकिन दोनों ने 14 फरवरी, 1952 को दोनों का निकाह हो गया, ये कमाल अमरोही की तीसरी शादी थी। लेकिन फिर इस प्यार भरी दास्तां में एक ऐसा मोड़ आया कि कमाल और मीना कुमारी ने एक दूसरे से किनारा कर लिया, 1964 में कमाल अमरोही से मीना का तलाक हो गया।

 

धर्मेंद्र पर आया मीना का दिल

 

 

जहां एक तरफ मीना तलाक से उबर रही थीं और शराब को अपना हमसफर बना रही थीं। वहीं, दूसरी तरफ मीना कुमारी की मुलाकात धर्मेंद्र से साल 1964 में आई फिल्म ‘मैं भी लड़की हूं’ के दौरान हुई ठीक उस वक्त जब उनका और कमाल का तलाक हो चुका था। उस वक्त धर्मेंद्र और मीना कुमारी दोनो ही शादीशुदा थे, लेकिन मीना कुमारी धर्मेंद्र के प्यार में इस कदर पागल हो गईं थीं कि उन्हें उनके अलावा कुछ सूझता ही नहीं था।

 

धर्मेद्र और जिंदगी ने छोड़ा मीना का साथ

 

 

फिल्म ‘फूल और कांटे’ की सफलता के बाद, धर्मेद्र ने मीना कुमारी से दूरियां बनानी शुरू कर दीं और एक बार फिर से मीना कुमारी अपनी जिंदगी में तन्हा रह गईं। धर्मेद्र की बेवफाई को मीना झेल न सकीं और हद से ज्यादा शराब पीने लगीं। फिल्म ‘पाकीजा’ के रिलीज होने के तीन हफ्ते बाद, मीना कुमारी गंभीर रूप से बीमार हो गईं। 28 मार्च, 1972 को उन्हें सेंट एलिजाबेथ के नर्सिग होम में भर्ती कराया गया। मीना कुमारी महज 39 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गई और अपने पीछे कई सारी यादगार फिल्में छोड़ गई।…Next

 

 

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